भारत का LCA MK1A... अबाबील और शाहीन का नाम लेकर न्यूक्लियर धमकी देने वाले पाकिस्तान की अब बढ़ेगी टेंशन
साल 2024 तक 83 एलसीए मार्क1ए तेजस मिसाइल की डिलीवरी हो जाएगी और जल्द ही इसको वायुसेना में शामिल कर लिया जाएगा. यह वायुसेना के तेजस का एडवांस वर्जन है.
भारत अब स्वदेशी एलसीए मार्क1 ए तेजस से पाकिस्तान की टेंशन बढ़ाने वाला है. राजस्थान के बीकानेर के नाल एयर बेस में इसकी तैनाती की जाएगी. 2024 की शुरुआत में भारतीय वायुसेना में स्वदेशी मार्क1 ए शामिल हो जाएगा. उधर, पाकिस्तान अबाबील और शाहीन जैसी बैलिस्टिक मिसाइलों का नाम लेकर न्यूक्लियर धमकी देता रहा है, लेकिन अब उसकी टेंशन बढ़ेगी. हाल ही में अपनी बैलिस्टिक मिसाइल एशिया अबाबील का परीक्षण किया है, जिसका मकसद भारतीय एस-400 मिसाइल डिफेंस का सामना करना है.
2024 में भारतीय वायुसेना के पास 83 एलसीए एमके1ए तेजस होंगे, जिनकी डील साल 2021 में 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर में हुई थी. इसका निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) कर रहा है और अब 97 और एलसीए एमके1ए तेजस खरीदने पर भी विचार किया जा रहा है. पाकिस्तान की बॉर्डर पर बढ़ती नापाक हरकतों के चलते भारत ने उसे मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सीमा पर अपनी एक से बढ़कर एक मिसाइलों को तैनात करने का फैसला किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल ही में एलसीए एमके1ए तेजस की बेंगलुरु में उड़ान भरी थी. पीएम मोदी ने इसकी काफी तारीफ भी की थी. यह वायुसेना में शामिल तेजस का एडवांस वर्जन है.
क्या है पाकिस्तान का मिसाइल प्रोग्राम
पाकिस्तान इस वक्त जिस बदहाली से गुजर रहा है, उसमें भी वह हथियार बनाने में लगा है. जहां महंगाई आसमान छू रही है और जनता दाने-दाने की मोहताज है, वहां पाकिस्तान आवाज के हाल पर तवज्जो देने के बजाय हथियारों पर पैसा खर्च करने में लगा है. जब भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था और उसकी ताकत की बात जाती है तो पाकिस्तान अपनी आर्थिक बदहाली पर बात करने के बजाय न्यूक्लियर पावर की बात करता है. पिछले एक साल में उसने कई मिसाइलों के परीक्षण किए हैं, जिनका मकसद भारत की सैन्य ताकत को भेदना है. इसी उद्देश्य से उसने 18 अक्टूबर को अपनी मध्यम रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल अबाबील का दूसरा परीक्षण किया. इसका मकसद भारत के भारत के एस-400 डिफेंस का सामाना करना है. इसे लेकर एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह दक्षिण एशिया का पहला प्रोग्राम है, जो परीक्षण फेज तक पहुंचा है. यह मिसाइल विभिन्न स्वतंत्र रूप से लक्षित पुनः प्रवेश वाहन (MIRVs) को ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है.
इससे पहले पिछले साल भी पाकिस्तान ने एक और मध्यम रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल शाहीन III का परीक्षण किया था. पाक सेना के जनरल असीम मुनीर के सेना प्रमुख का कार्यभार संभालने के बाद यह पाकिस्तान का पहला मिसाइल परीक्षण था. यह परीक्षण ऐसे समय पर किया गया जब पाकिस्तान के केयरटेकर प्रधानमंत्री अनवर उल हक काकर चीन के दौरे पर गए हुए थे.
पंजाब प्रांत में पाकिस्तान ने क्यों किया परीक्षण?
पाकिस्तान ने सिंध या बलूचिस्तान के बजाय पंजाब प्रांत को परीक्षण के लिए चुना. मेक इन इंडिया कैंपेन के तहत भारत की सैन्य रूप से आत्मनिर्भरता बढ़ रही है. पाकिस्तान भारत की सैन्य ताकत को भेदने की क्षमता हासिल करने की कोशिश करने में लगा है. पाकिस्तान कभी यह बात नहीं छिपाता है कि उसके मिसाइल और परमाणु कार्यक्रम केवल भारत को रोकने के लिए बनाए गए हैं. पाकिस्तानी विश्लेषकों का तर्क है कि एमआईआरवी क्षमता भारत की उभरती बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा को भेदने की संभावनाओं को बढ़ाकर स्थिरता और प्रतिरोध बढ़ाएगी.
पाकिस्तान का मानना है कि भारत के पास मौजूद रूस निर्मित एस-400 ट्रायम्फ सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल भारतीय हवाई क्षेत्र में घुसने की पाकिस्तान की क्षमता के लिए एक तत्काल चुनौती है, जिसमें सबसोनिक राड और बाबर भूमि पर हमला करने वाली क्रूज मिसाइलें विशेष रूप से कमजोर हैं. भारत अपनी खुद की MIRV क्षमता तैयार कर रहा है.
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