नई दिल्लीः फ्रांस ने दोहराया है कि कोविड-19 महामारी के बावजूद राफेल  लड़ाकू विमानों की पहली खेप जुलाई के महीने में भारत पहुंच जाएगी. इस बावत मंगलवार को फ्रांस की रक्षा मंत्री ने भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को आश्वस्त किया. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, रक्षा मंत्री राजनाथ ने मंगलवार को अपनी फ्रेंच समकक्ष, फ्लोरेंस पारले से फोन पर बातचीत की.


इस बातचीत में क्षेत्रीय सुरक्षा के साथ साथ कोविड-19 महामारी से जंग सहित आपसी हितों पर चर्चा हुई. इस दौरान फ्लोरेंस पारले ने भरोसा दिलाया कि भले ही उनका देश कोरोना महामारी से पीड़ित हो लेकिन तय समय-सीमा में राफेल  लड़ाकू विमानों की पहली खेप भारत पहुंच जाएगी.


माना जा रहा है कि पहली खेप में चार राफेल फाइटर जेट जुलाई के महीने तक भारत पहुंचे जाएंगे. हालांकि, इस खेप को मई के महीने तक ही भारत पहुंचना था लेकिन फ्रांस में कोरोना महामारी के चलते राफेल  का मेरीग्नाक स्थित प्लांट बंद करना पड़ गया था. इसके चलते ये देरी हुई लेकिन अब ये प्लांट चालू हो गया है. बता दें कि वर्ष 2016 में भारत ने फ्रांस की सरकार से 36 राफेल  लड़ाकू विमानों का सौदा किया था.


पिछले साल अक्टूबर के महीने में दशहरे के मौके पर फ्रांस ने भारत को पहला राफेल  लड़ाकू विमान सौंप दिया था. उस दौरान खुद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह फ्रांस के मेरीग्नाक में मौजूद थे और उन्होंने राफेल  की शस्त्रपूजा की थी. उन्होंने राफेल  विमान में उड़ान भी भरी थी. एबीपी न्यूज की टीम भी उस दौरान वहां मौजूद थी.


अंबाला में तैनात होगी पहली स्क्वाड्रन


राफेल  की पहली स्क्वाड्रन हरियाणा के अंबाला एयरबेस पर तैनात की जाएगी. यहां से राफेल  चीन और पाकिस्तान दोनों मोर्चों की निगहबानी करेगा. राफेल  की जो ताकत है उसके लिए ही इसे दक्षिण एशिया में 'गेम चेंजर' माना जा रहा है. भारत ने फिलहाल फ्रांस से जो 36 राफेल  विमानों का सौदा किया है, वे सभी 2022 तक भारत को मिल जाएंगे. इन 36 विमानों की दो स्कॉवड्रन बनेंगी (18-18 विमानों की) जो अंबाला और पश्चिम बंगाल के हाशिमारा में तैनात की जाएंगी.


भारत को फ्रांस से जो राफेल लड़ाकू विमान मिलने वाला है वो 4.5 जेनरेशन मीडियम मल्टीरोल एयरक्राफ्ट है. मल्टीरोल होने के कारण दो इंजन वाला (टूइन) राफेल  फाइटर जेट एयर-सुप्रेमैसी यानि हवा में अपनी बादशाहत कायम करने के साथ-साथ डीप-पैनेट्रेशन यानि दुश्मन की सीमा में घुसकर हमला करने में भी सक्षम है.


36 राफेल भारत को मिलने वाले हैं


फ्रांस के साथ हुए सौदे में जो 36 राफेल (राफेल ) फाइटर प्लेन भारत को मिलने वाले हैं, वे अत्याधुनिक हथियारों और मिसाइलों से लैस हैं. सबसे खास है दुनिया की सबसे घातक समझे जाने वाली हवा से हवा में मार करने वाली मेटयोर मिसाइल. ये मिसाइल चीन तो क्या किसी भी एशियाई देश के पास नहीं है. यानि राफेल प्लेन वाकई दक्षिण-एशिया में 'गेम-चेंजर' साबित हो सकता है. इस मिसाइल की रेंज करीब 150 किलोमीटर है. हवा से हवा में मार करने वाली ये मिसाइल दुनिया की सबसे घातक हथियारों में गिनी जाती है.


इसके अलावा राफेल फाइटर जेट लंबी दूरी की हवा से सतह में मार करने वाली स्कैल्प (SCALP) क्रूज मिसाइल और हवा से हवा में मार करने वाली माइका (MICA) मिसाइल से भी लैस है. भारतीय‌ वायुसेना का मानना है कि राफेल  की भले ही दो स्कॉवड्रन बनेंगी, लेकिन ये दोनों किसी भी देश की चार से पांच‌ स्कॉवड्रन के बराबर होंगी. इन मिसाइलों से लैस होने के चलते अब राफेल  को दुश्मन देश की सीमा में घुसकर हमला करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.


जैसाकि बालाकोट एयर स्ट्राइक के अगले दिन पाकिस्तान से हुए डॉग फाइट के दौरान विंग कमांडर अभिनंदन पाकिस्तानी वायुसेना के एफ16 फाइटर जेट का पीछा करते हुए दाखिल हो गए थे. अभिनंदन ने एफ-16 को तो डॉगफाइट में मार गिराया था लेकिन उनका मिग-21 बाइसन क्रैश हो गया था. लेकिन राफेल  बॉर्डर (एलओसी) से 150 किलोमीटर दूर से ही इस तरह के मिशन को अंजाम देकर दुश्मनों के हौंसलें पस्त कर सकता है.


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