इंडिया-यूएस संबंधों का जिक्र कर बोले अमेरिका के पूर्व NSA जॉन बोल्टन, 'चीन को बस भारत रोक सकता है'
भारत और अमेरिका मिलकर चीन की बेल्ट रोड परियोजना को रोकने पर काम कर रहे हैं साथ ही उन्होंने कोलंबो में बनाए जा रहे अमेरिकी बंदरगाह में भारत की भागीदारी की तारीफ की
![इंडिया-यूएस संबंधों का जिक्र कर बोले अमेरिका के पूर्व NSA जॉन बोल्टन, 'चीन को बस भारत रोक सकता है' India USA relation Former US NSA john boltan says Only India can stop china Hegemony इंडिया-यूएस संबंधों का जिक्र कर बोले अमेरिका के पूर्व NSA जॉन बोल्टन, 'चीन को बस भारत रोक सकता है'](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/12/02/4b20d4deb9aac9406552b59f3842f7321701504075895315_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
India USA Relation: पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जॉन बोल्टन ने बढ़ते भारत-अमेरिका के संबंधो को और मजबूत करने पर जोर दिया. उन्होंने वैश्विक समुदाय में भारत के बढ़ते कद की तारीफ करते हुए कहा कि भारत ही एक ऐसा देश है जो आने वाले समय में चीन को रोकने की ताकत रखता है.
वाशिंगटन एक्जामिनर के लिए लिखते हुए, बोल्टन ने कहा, 'भारत और अमेरिका मिलकर चीन की बेल्ट रोड परियोजना को रोकने पर काम कर रहे हैं. वैश्विक मंच पर अपने प्रभाव का दावा करने की भारत की इच्छा के प्रमाण के रूप में चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का मुकाबला करने के लिए संयुक्त अमेरिका-भारत प्रयास की ओर इशारा किया. बीआरआई, चीन की एक विशाल बुनियादी ढांचा निवेश परियोजना है, जिसने पूरे एशिया और उसके बाहर बीजिंग के आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव को बढ़ाने की इसकी क्षमता के बारे में आशंका पैदा कर दी है.'
'बिना शक, चीन को रोकेगा भारत'
जॉन बोल्टन ने आगे लिखा कि अगर सभी पक्षों को देखें तो बिना शक भारत के अंदर चीन का रोकने की ताकत है. इसके अलावा बोल्टन ने कतर में पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारियों से जुड़े चल रहे मामले पर भी अपनी बातें साझा कीं. उन्होंने कहा, इस मामले ने निस्संदेह मिडिल ईस्ट के साथ भारत के जटिल संबंधों और अपने पारंपरिक सहयोगियों से परे देशों के साथ खुफिया मामलों पर सहयोग करने की इच्छा को सामने ला दिया है.
उन्होंने कहा, 'हमास के आतंकवाद को खत्म करने और अपने ईरानी कठपुतली आकाओं को रोकने के लिए इजरायल के मौजूदा युद्ध से भारत के लिए प्रभाव महत्वपूर्ण हैं, जिससे दोनों देशों के लिए अवसर खुल रहे हैं लेकिन स्थिति एक जटिल और कठिन क्षेत्र में जोखिम भी पेश करती है. इसके अलावा उन्होंने अमेरिक द्वारा कोलंबो में बनाए जा रहे पोर्ट को लेकर भी भारत के अडानी ग्रुप की भागीदारी पर जोर दिया.
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