India vs Bharat Renaming Row: देश के नाम को लेकर शुरू हुए विवाद पर सियासी माहौल गरमाता जा रहा है. विवाद की शुरुआत राष्ट्रपति भवन की ओर से भेजे गए जी-20 डिनर से हुई और अब यह बढ़ता ही जा रहा है. निमंत्रण पत्र में प्रेसीडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसीडेंट ऑफ भारत लिखा गया था, जिसे लेकर विपक्ष हमलावर हो गया और आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इंडिया नाम को बदलना चाहती है. वहीं, केंद्र सरकार ने इन आरोपों को कोरी अफवाह करार दिया है. अब सत्ता पक्ष और विपक्ष की ओर से एक के बाद एक तमाम नेता इस विवाद पर अपनी राय रख रहे हैं.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, कांग्रेस सांसद शशि थरूर, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सीताराम येचुरी से लेकर ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल समेत कई नेताओं ने इंडिया या भारत नाम विवाद पर प्रतिक्रिया दी है.
इंडिया नाम खतरनाक, बोले राजनाथ
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विपक्षी दलों के गठबंधन 'इंडिया' को लेकर कहा कि यह नाम खतरनाक है. उन्होंने कहा, 'इस गठबंधन की क्या हालत है? नाम बड़े, दर्शन छोटे. उन्होंने इसका नाम इंडिया रखा, लेकिन मैं उन्हें बताना चाहूंगा कि ये नाम बहुत खतरनाक है. भाईयों और बहनों हमने भी शाइनिंग इंडिया का नारा दिया और हार गए. अब तुमने (विपक्ष) इंडिया गठबंधन बनाया, तुम्हारी भी हार निश्चित है.'
एस. जयशंकर ने दी ये सलाह
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि जो लोग भारत नाम पर आपत्ति जता रहे हैं, उन्हें एक बार संविधन पढ़ना चाहिए. न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए एस. जयशंकर ने कहा, 'इंडिया दैट इज भारत और यह संविधान में है. मैं हर किसी को इसे (संविधान) पढ़ने के लिए कहूंगा. जब आप भारत कहते हैं, तो एक अर्थ, एक समझ और एक अनुमान आता है और मुझे लगता है कि यही हमारे संविधान में भी परिलक्षित है..'
अधीर रंजन ने कहा, हिंदू नाम भी विदेशी,
विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि हिंदू नाम भी विदेशी है उसे भी बदलना चाहिए. उन्होंने कहा, 'हिंदू नाम भी विदेश से आया है. ये अरब और विदेश से आया है. ये हम बीजेपी वालें को कहते है. हिंदू नाम भी बदलना चाहिए ये बाहर से आया है. हिंदू नाम इस जगह का नहीं है. प्रधानमंत्री इंडिया नाम से डर गए हैं. भारत के संविधान को बदलने की ये साजिश कर रहे हैं.'
इंडिया नाम अंग्रेजों की देन, बोलीं सुमित्रा महाजन
लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने मंगलवार (5 सितंबर) को कहा कि देश का मूल नाम निर्विवाद तौर पर भारत ही है और इंडिया के रूप में इसका नामकरण अंग्रेजों की देन है. सुमित्रा महाजन ने कहा, 'यह बात मेरी समझ में नहीं आती कि भारत और इंडिया के नामों को लेकर विवाद की स्थिति क्यों होनी चाहिए? हमारे देश का नाम मूल भारत ही है. इसके अलावा, इसे हिंदुस्तान भी कहा जाता है. सिंधु घाटी सभ्यता को अंग्रेजों ने इंडस वैली सिविलाइजेशन कहा था. नतीजतन अंग्रेजों ने अपनी समझ से भारत को इंडिया के रूप में संबोधित किया. भारत पर अंग्रेजों के राज के कारण यह शब्द प्रचलन में कायम रहा.'
अरविंद केजरीवाल ने कहा, देश 140 करोड़ लोगों का, एक पार्टी का नहीं
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इसकी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है लेकिन अफवाहें सुनी हैं. यह कहा जा रहा है कि ऐसा इसलिए हो रहा है कि हमने इंडिया नाम से गठबंधन बनाया है. उन्होंने कहा, 'देश 140 करोड़ लोगों का है न कि किसी एक पार्टी का. अगर इंडिया गठबंधन अपना नाम बदलकर भारत कर लेता है, तो क्या वे भारत नाम भी बदल देंगे.'
तेजस्वी यादव ने पूछा- अपनी योजनाओं का क्या करेंगे पीएम मोदी?
राष्ट्रीय जनता दल के नेता और बिहार के उमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को विपक्षी गठबंधन की समन्वय समिति का सदस्य बनाया गया है. तेजस्वी यादव ने कहा, 'मोदी जी बहुत डरे हुए हैं. मैं सोच रहा हूं कि वह मेक इन इंडिया और स्टार्ट अप इंडिया जैसी अपनी कई पहलों और कई योजनाओं का क्या करेंगे. अगर वह इंडिया नाम रखने वाली हर संस्था का नाम बदलने की कवायद शुरू करते हैं तो इससे सरकारी खजाने पर एक राज्य की जीडीपी के बराबर बोझ पड़ेगा.'
ममता बनर्जी बोलीं- नाम बदलने की क्या जरूरत पड़ गई?
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखी है. उन्होंने कहा कि अचानक से क्या हो गया, दुनिया हमें इंडिया नाम से जानती है. ममता बनर्जी ने कहा, 'मैंने सुना है कि इंडिया का नाम बदला जा रहा है. माननीय राष्ट्रपति के नाम से भेजे गए जी20 के निमंत्रण पत्र पर भारत लिखा हुआ है. अंग्रेजी में हम इंडिया कहते हैं, इंडियन कांस्टिट्यूशन कहते हैं, जबकि हिंदी में हम इसे भारत का संविधान कहते हैं.' उन्होंने कहा कि दुनिया हमें इंडिया के नाम से जानती है. अचानक क्या हो गया कि देश के नाम को बदलने की जरूरत पड़ गई.
शशि थरूर बोले, इंडिया नाम की सदियों से ब्रैंड वैल्यू
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि इंडिया को भारत कहने में कोई संवैधानिक आपत्ति नहीं है, जो कि देश के दो आधिकारिक नामों में से एक है. उन्होंने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि सरकार इतनी मूर्ख नहीं होगी कि उस 'इंडिया' नाम को पूरी तरह से खत्म कर दे, जिसकी सदियों से एक बड़ी ब्रांड वैल्यू बनी हुई है. इतिहास को फिर से जीवंत करने वाले नाम, दुनिया भर में पहचाने जाने वाले नाम पर अपना दावा छोड़ने के बजाय हमें दोनों शब्दों का इस्तेमाल जारी रखना चाहिए.'
सीताराम येचुरी ने भी रखी अपनी राय
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखी है. सीताराम येचुरी ने कहा, 'यह अजीब स्थिति है... यह भारत का संविधान है. सदियों से देश को इसी तरह से जाना जाता रहा है और हमें अपना स्वतंत्र भारत इसी तरह विरासत में मिला है. संविधान के पहले अनुच्छेद में कहा गया है, इंडिया, जो भारत है, राज्यों का एक संघ है.' उन्होंने कहा, 'हमारी विविधता, बहुलता - इसमें सब कुछ शामिल है. वे यह बदलाव क्यों कर रहे हैं? क्या वे इस तथ्य से परेशान हैं कि धर्मनिरपेक्ष विपक्ष इंडिया नाम से एक साथ आया है? क्या यही उनकी समस्या है? हमें नहीं मालूम कि वे इंडिया से इतनी नफरत क्यों करते हैं.'
उन्होंने आगे कहा कि यह स्पष्ट है कि यह प्रतिक्रिया इसलिए आई है क्योंकि विपक्ष ने अपने समूह का नाम इंडिया रखा है. येचुरी ने कहा, 'यह भारत के संविधान का विध्वंस है... यह बहुत ही अपरिपक्व प्रतिक्रिया है.'
एमके स्टालिन क्या बोले
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने मंगलवार को कहा, 'फासीवादी भाजपा शासन को सत्ता से हटाने के लिए गैर भाजपाई शक्तियों के एकजुट होने और अपने गठबंधन का नाम इंडिया रखने के बाद अब भाजपा इंडिया को भारत करना चाहती है. बीजेपी ने इंडिया को बदलने का वादा किया था लेकिन नौ साल बाद हम सभी को सिर्फ नाम बदले हुए नजर आ रहे हैं.' उन्होंने कहा, 'ऐसा लगता है कि भाजपा इंडिया शब्द से परेशान हो चुकी है क्योंकि उन्हें विपक्षी एकता की ताकत का अंदाजा हो गया है. चुनावों के दौरान इंडिया भाजपा को सत्ता से बेदखल कर देगा. इंडिया, इंडिया ही रहेगा.'
(इनपुट न्यूज एजेंसी पीटीआई-भाषा के साथ)
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