LAC Row: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है. हाल ही में अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Predesh) के तवांग (Tawang) जिले में चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा में घुसने की कोशिश की थी, जिसे भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया था. लेकिन, बात तवांग की हो, डोकलाम (Doklam) की या फिर लद्दाख (Laddakh) की. चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आता है. बीते कुछ वर्षों में भारतीय सीमा पर चीनी सैनिकों की घुसपैठ काफी बढ़ गई है.


इतना ही नहीं, हर गुजरते साल के साथ भारत और चीन सीमा पर स्थितियां बिगड़ती ही जा रही हैं. वैसे, चीन की बढ़ती आक्रामकता का जवाब भारत भी मुंहतोड़ तरीके से देता है. लेकिन, तवांग में हुई झड़प के बाद एक बार फिर गलवान घाटी जैसे ही हालात बनने लगे हैं और, सीमा पर दोनों ही सेनाओं ने सैन्य तैनाती बढ़ा दी है. इस तरह की लगातार होने वाली घटनाएं भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ा रही हैं. इसके चलते युद्ध जैसे हालात बनने लगे हैं. आइए जानते हैं कि अगर भारत-चीन के बीच युद्ध हुआ, तो दोनों देशों की मुख्य ताकत कहां-कहां है?


सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर


भारत के लिए मुख्य चिंता का कारण चीन के साथ लगती करीब 4000 किमी की सीमा है. जो लद्दाख से शुरू होकर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश तक आती है. इस सरहद के लिए लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल भी अभी तक तय नहीं की जा सकी है. क्योंकि, तवांग, डोकलाम और लद्दाख की तरह ही कई जगहों पर चीन के साथ भारत का सीमा विवाद है.


इतना ही नहीं, चीन ने भारत से लगती सीमा पर बड़ी संख्या में सैन्य संसाधनों को जुटाने के साथ ही कई निर्माण कार्य भी किए हैं. जिन पर भारत लगातार आपत्ति जताता रहा है. वैसे, बीते कुछ सालों में भारत ने भी चीन से लगी सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में तेजी लाई है.


पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी के करीब भारत ने 255 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण किया है. इसी तरह हिमाचल प्रदेश में अटल टनल, उत्तराखंड में ऑलवेदर रोड और तवांग और डोकलाम जैसी विवादित जगहों पर रोड कनेक्टिविटी से जुड़ी परियोजनाओं को पूरा किया है. हालांकि, ये चीनी निर्माण कार्य के मुकाबले काफी कम है. लेकिन, रोड कनेक्टिविटी के मामले में अब भारत चीन को टक्कर देने के करीब पहुंच चुका है. 


भारतीय और चीनी सेना की तुलना



  • चीन के 20 लाख से ज्यादा सैनिक हैं. वहीं, भारत के पास करीब 13 लाख जवानों की सेना है. 

  • भारत का रक्षा बजट करीब 67 अरब डॉलर का है. वहीं, चीन का रक्षा बजट 225 अरब डॉलर है. 

  • भारत के पास 25 लाख से ज्यादा अर्धसैनिक बल है. जबकि, चीन के पास करीब 6 लाख अर्धसैनिक हैं. 

  • चीन के पास 13 हजार से ज्यादा टैंक क्षमता है. वहीं, भारत के पास 4100 से ज्यादा ही टैंक हैं. चीन के पास बख्तरबंद गाड़ियों यानी आर्मर्ड व्हीकल की संख्या करीब 40000 है. वहीं, भारत के पास केवल आर्मर्ड व्हीकल 2800 हैं.  

  • चीनी सेना के पास करीब 1200 लड़ाकू विमान हैं. वहीं, भारतीय वायुसेना के पास 520 के करीब ही लड़ाकू विमान हैं. भारतीय वायुसेना के पास कुल विमानों की संख्या 2182 है. वहीं, चीनी सेना के पास 3285 विमान हैं.

  • भारतीय नौसेना की बात करें, तो भारत के पास केवल एक विमानवाहक पोत है. जबकि, चीन के पास दो विमानवाहक पोत हैं. चीन के पास 41 डिस्ट्रॉयर जहाज है. वहीं, भारतीय नौसेना में इनकी संख्या 10 है.

  • भारतीय नौसेना के पास 17 पनडुब्बियां हैं. वहीं, चीनी सेना में इनकी संख्या 79 है.

  • भारत के पास कुल 295 नौसेना पोत हैं. वहीं, चीन के नौसेना पोतों की संख्या 714 है.


मुख्य ताकत कहां-कहां है?


भारत की चीन से लगती सीमा पश्चिमी सेक्टर (जम्मू-कश्मीर), मिडिल सेक्टर (हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड) और पूर्वी सेक्टर (सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश) के तौर पर जानी जाती है. भारतीय सेना के सैनिकों को हिमालयी क्षेत्र में लड़ने का अच्छा-खासा अनुभव है. इसकी वजह से चीन कभी भी भारत से जमीन पर लड़ाई नहीं छेड़ना चाहेगा.


वैसे भी चीन अपनी पूरी सैन्य ताकत को भारत के खिलाफ उतारने की गलती नहीं करेगा क्योंकि, चीन के अपने हर पड़ोसी के साथ सीमा विवाद हैं. अगर भारत के साथ युद्ध जैसी कोई स्थिति बनती है. तो, ये चीन की अन्य देशों से लगी सीमाओं के लिए भी चिंता बढ़ाने वाला हो जाएगा.


सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में सीमा पर भारत ने खुद को तेजी से मजबूत किया है. तवांग में चीनी सेना को मिला मुंहतोड़ जवाब इसका इशारा भर है. आसान शब्दों में कहें, तो भारत भले ही सैन्य तैयारियों के मामले में चीन से कमजोर हो. लेकिन, जब बात चीन के सामने डटकर खड़े होने की होती है. तो, भारतीय सैनिकों का जोश देखने लायक होता है.


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