बोस को उनकी 123वीं जयंती पर श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वह भारतीयों की उन्नति और कल्याण के लिए खड़े हुए. मोदी ने नेताजी के नाम से पहचाने जाने वाले बोस का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘23 जनवरी 1897 को जानकीनाथ बोस ने अपनी डायरी में लिखा, ‘दोपहर में बेटे का जन्म हुआ.’ यही बेटा साहसी स्वतंत्रता सेनानी और विचारक बना जिसने अपना जीवन भारत की स्वतंत्रता के लिए समर्पित कर दिया.’’
उपराष्ट्रपति नायडू ने भी दी श्रद्धांजलि
वहीं, उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने भी नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने कहा कि स्वाधीनता आंदोलन के आदर्शों का सम्मान करना ही नेताजी के प्रति कृतज्ञ श्रद्धांजलि होगी. नायडू ने अपने दक्षिण भारत दौरे का ज़िक्र करते हुए कहा, “गत सप्ताह अंडमान निकोबार द्वीपसमूह की यात्रा के दौरान, उस स्मारक के दर्शन का सौभाग्य मिला जहां 1943 में नेताजी और उनकी आज़ाद हिंद फौज ने भारत भूमि पर पहली बार आज़ादी का झंडा फहराया था.”
उन्होंने कहा, “हमारी आज़ादी महान बलिदानों की विरासत है. अपने स्वाधीनता आंदोलन के आदर्शों का सम्मान न केवल हमारा संवैधानिक कर्तव्य है बल्कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जैसे राष्ट्र नायकों के प्रति हमारी कृतज्ञ श्रद्धांजलि भी है.”
स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले स्वाधीनता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 1897 में हुआ था.
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