तवांग में चीनी सेना के साथ झड़प और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों से मिल रही चुनौती को देखते हुए भारत लगातार अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ाने का काम कर रहा है. हाल ही में भारत ने अग्नि 5 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है. इसके साथ ही भारत लगातार दूसरे देशों से भी आधुनिक हथियार खरीद रहा है. इसी क्रम में भारत अब अमेरिका से एमक्यू-9 रीपर ड्रोन खरीद सकता है.
यह वही ड्रोन है जिसकी मदद से अफगानिस्तान के काबुल में छिपे अलकायदा सरगना अयमान अल-जवाहिरी को मार गिराया गया था. इस ड्रोन की खासियत ये है कि दुश्मन को ड्रोन के आने तक की खबर नहीं मिलती. भारत इस ड्रोन को एलएसी की निगरानी के लिए करीब 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा कीमत खरीद रहा है.
क्या है एमक्यू-9 रीपर ड्रोन की खासियत
- अमेरिका ने इस ड्रोन को हंटर-किलर यूएवी कैटेगरी में रखा है. यह एक लॉन्ग रेंज एंड्योरेंस ड्रोन है. जो हवा से जमीन पर वार करने वाली मिसाइलों से लैस रहता है.
- एमक्यू-9 रीपर की एक खास बात यह भी है कि यह पायलट रहित होता है. जिसका मतलब है कि इसे घर बैठकर कंप्यूटर से जॉय स्टिक के जरिए उड़ाया जाता है. हालांकि इस ड्रोन को चलाने के लिए दो कंप्यूटर ऑपरेटर्स की जरूरत होती हैं, जो वीडियो गेम की तरह इसे चलाते हैं.
- एमक्यू-9 रीपर की इसकी लंबाई 36.1 फीट, ऊंचाई 12.6 फीट, विंगस्पैन 65.7 फीट होती है. बिना किसी हथियार लोड किए इस ड्रोन का वजन 2223 किलोग्राम होता है. जिसमें 1800 किलोग्राम ईंधन की क्षमता होती है.
- इस ड्रोन का इस्तेमाल सर्विलांस, जासूसी, सूचना इकट्ठा करना या दुश्मन के ठिकाने पर चुपके से हमला करने जैसे कई तरह के मिशन में इस्तेमाल किया जा सकता है. इसे किसी भी तरह के मिशन के लिए भेजा जा सकता है.
- एमक्यू-9 रीपर ड्रोन की रेंज 1900 किलोमीटर है. इसके अलावा इस ड्रोन अपने साथ 1700 किलोग्राम वजन का हथियार उठा सकता है.
ड्रोन की रफ्तार 482 KM प्रति घंटा
इस ड्रोन में खास बात यह भी है कि इसकी गति काफी तेज है. यह 482 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से उड़ सकती है. वहीं 50 हजार फीट की ऊंचाई से दुश्मन पर मिसाइल से हमला कर सकता है. हालांकि इसे 25 हजार फीट की ऊंचाई पर ही उड़ाया गया है. इस ऊंचाई से ही अब तक एमक्यू-9 रीपर ड्रोन कई देशों के आतंकी ठिकानों को अपना निशाना बना चुका है.
समुद्र में छिपी पनडुब्बियां भी खोज सकता है ड्रोन
इस ड्रोन में एक अलग तरह का रडार लगा हुआ है जिसकी मदद से यह समुद्र की गहराई में छिपी पनडुब्बियों को भी खोज लेता है. इसका पहला रडार AN/DAS-1 MTS-B मल्टी-स्पेक्ट्रल टारगेटिंग सिस्टम है जो किसी भी तरह के टारगेट को ढ़ूढ़ने में मदद करता है. इसके अलावा दूसरा रडार है AN/APY-8 Lynx II radar जो कि निगरानी करने और जासूसी में मदद करता है. वहीं तीसरे रडार का नाम है Raytheon SeaVue Marine Search Radar जिसकी मदद से यह समुद्र की गहराई में छिपी पनडुब्बियों को भी खोज लेता है.
अल जवाहिरी के खात्मे के लिए किया था इस्तेमाल
ऐसा बताया जाता है कि एमक्यू-9 रीपर का इस्तेमाल हेलफायर मिसाइल के उस संशोधित संस्करण को दागने के लिए किया गया था जिसने पिछले साल काबुल में अल-कायदा सरगना अयमान अल-जवाहिरी को मार गिराया था.
क्यों इतना खतरनाक है अमेरिका का रीपर ड्रोन?
रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो अमेरिकी वायुसेना का रीपर ड्रोन की सबसे खास विशेषता है कि ये पलक झपकते ही सटीक निशाना लगाकर दुश्मन का खात्म कर सकता है. इसे इसकी स्पीड और फायरपावर के लिए भी जाना जाता है. वहीं इस एक ड्रोन का वजन किसी अफ्रीकी हाथी के बराबर है. रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, इसे स्टील्थ श्रेणी में इसलिए रखा जाता है आधुनिक से आधुनिक रडार भी इसे पकड़ नहीं पाता.
भारतीय नौसेना को मिलेगी मजबूती
भारत के लिए इस समय वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ चल रही तनातनी से निपटना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. चीन के साथ बॉर्डर पर चल रहे तनाव के बीच भारत अमेरिका से इस खतरनाक स्टील्थ ड्रोन को खरीदने की तैयारी में है. जानकारी के मुताबिक, इन स्टील्थ ड्रोन को खासकर भारतीय नौसेना के लिए खरीदा जाएगा. भारत से अत्याधुनिक ड्रोन सिस्टम मिलते ही सेना की ताकत को अवश्य बल मिलेगा.