आतंकवाद के खिलाफ श्रीलंका के हाथ मजबूत करने को आर्थिक सहायता देगा भारत
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने शुक्रवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद कहा भारत की तरफ से लाइन ऑफ क्रेडिट के नए एलान का हम स्वागत करते हैं.
नई दिल्ली: भारत ने श्रीलंका के लिए 45 करोड़ डॉलर की नई सहायता राशि देने का ऐलान किया है. भारत के दौरे पर आए नव निर्वाचित श्रीलंकाई राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के साथ मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पड़ोसी मुल्क के लिए इस नई आर्थिक मदद की घोषणा की. इस नई लाइन ऑफ क्रेडिट में से 5 करोड़ डॉलर की धनराशि भारत आतंकवाद के खिलाफ श्रीलंका के हाथ मजबूत करने के लिए देगा.
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने शुक्रवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद कहा भारत की तरफ से लाइन ऑफ क्रेडिट के नए एलान का हम स्वागत करते हैं. श्रीलंका इसमें से 5 करोड़ डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट का इस्तेमाल अपनी खुफिया एजेंसियों की ताकत बढ़ाने में करेगा. इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि "भारत ने हमेशा और हर रूप में आतंकवाद का विरोध किया है. साथ ही सीमा-पार आतंकवाद सहित अन्य प्रकार के आतंकवाद के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से कार्रवाई की अपेक्षा भी की है. इस साल ईस्टर के अवसर पर श्रीलंका में आतंकियों ने पूरी मानवजाति की विविधता और सहजीवन की मूल्यवान विरासत पर नृशंस हमले किए."
राजपक्षे से मुलाकात के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि "आतंकी और चरमपंथी ताकतों के खिलाफ श्रीलंका की लड़ाई में भारत का अटल समर्थन व्यक्त करने मैं भारत में चुनावों के तुरंत बाद श्रीलंका गया. आपसी सुरक्षा के लिए और आतंकवाद के खिलाफ आपसी सहयोग को और मजबूत करने पर मैंने राष्ट्रपति राजपक्ष के साथ विस्तार से चर्चा की है. प्रमुख भारतीय संस्थानों में श्रीलंका के पुलिस अधिकारी काउंटर टेररिस्ट ट्रेनिंग का लाभ पहले से ही ले रहे हैं. आतंकवाद से निपटने के लिए श्रीलंका को 50 मिलियन डॉलर की एक विशेष लाइन ऑफ क्रेडिट की घोषणा करते हुए मुझे खुशी हो रही है."
श्रीलंका में नई सरकार के साथ रिश्तों की गाड़ी को नई रफ्तार देने की जुगत में भारत ने 40 करोड़ रुपये की नई लाइन ऑफ क्रेडिट का भी ऐलान किया. इस आर्थिक मदद का इस्तेमाल श्रीलंका अपने यहां नई ढांचागत परियोजनाओं के लिए कर सकेगा. प्रधानमंत्री मोदी के मुताबिक 400 मिलियन डॉलर की एक नई लाइन ऑफ क्रेडिट से श्रीलंका में इंफ्रास्टक्चर और विकास को बल मिलेगा. महत्वपूर्ण ये है कि इससे पहले 2017 में भारत ने श्रीलंका को 31 करोड़ डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट के लिए समझौता दस्तावेज पर दस्तखत किए थे. पीएम मोदी भारत के रिश्तों को प्राथमिकता देते हैं. दोनों देशों की सुरक्षा और विकास अविभाज्य है. इसलिए यह स्वाभाविक है कि हम एक-दूसरे की सुरक्षा और संवेदनशीलताओं के प्रति सचेत रहें. वहीं राष्ट्रपति राजपक्षे ने भी कहा कि श्रीलंका इस बात का हामी है कि हिंद महासागर शांति का क्षेत्र बने.
श्रीलंका की सत्ता में चीन के करीबी माने जाने वाले गोटाबाय राजपक्षे की आमद को लेकर सचेत भारत ने दोनों मुल्कों के रिश्तों को साधने की कोशिशें कोलंबो में हुए सरकार परिवर्तन के कुछ ही घंटों में कर दी थी. राजपक्षे ने माना कि उन्हें राष्ट्रपति के तौर पर यात्रा निमंत्रण देने वाला भारत पहला मुल्क था. पीएम मोदी ने भी कहा कि श्रीलंका में लोकतंत्र की मजबूती और परिपक्वता बहुत गर्व और खुशी का विषय है. यह हमारे लिए सम्मान की बात है कि राष्ट्रपति राजपक्ष ने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भारत को चुना और पद संभालने के दो हफ्ते के भीतर भारत में हमें उनका सम्मान करने का मौका दिया. यह भारत और श्रीलंका के मित्रतापूर्ण संबंधों की मजबूती का प्रतीक है. यह इस बात का भी संकेत है कि दोनों देश इन संबंधों को कितना महत्व देते हैं. दोनों देशों की प्रगति और हमारे इस पूरे साझा क्षेत्र में शांति, समृद्धि और सुरक्षा के लिए हम राष्ट्रपति राजपक्ष के साथ घनिष्ठ रूप से कार्य करने के लिए तत्पर हैं. बदले में गोटाबाय राजपक्षे ने भी पीएम मोदी को श्रीलंका यात्रा के लिए आमंत्रित किया.
भारत ने अपेक्षा जताई कि नई श्रीलंका सरकार तमिल आबाद को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए अधिक बेहतर प्रयास करेगी. द्विपक्षीय वार्ता के बाद श्रीलंकाई राष्ट्रपति के साथ मीडिया से रूबरू हुए पीएम मोदी ने तमिल और सिंहला आबादी के बीच बेहतर तालमेल के मुद्दे का जिक्र करते हुए कहा कि जातीय समावेश पर भी खुलकर बात हुई. राष्ट्रपति राजपक्ष ने जातीय तालमेल पर अपना नजरिया साझा किया. मुझे विश्वास है कि श्रीलंका सरकार तमिलों की समानता, न्याय, शांति और सम्मान की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए, रिकंसीलिएशन की प्रक्रिया को आगे बढ़ेगी. इसमें 13वें संशोधन को लागू करना भी शामिल है.
श्रीलंका राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान ही कोलंबो ने अपने देश में मौजूद सभी भारतीय मछुआरों की रिहाई का भी ऐलान किया. दोनों नेताओं के बीच दिल्ली में हुई मुलाकात के दौरान मछुवारों की आजीविका को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर भी चर्चा हुई. साथ ही दोनों पक्षों ने सहमति जताई कि इस मामले में रचनात्मक और मानवीय दृष्टिकोण जारी रखेंगे.
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