नई दिल्ली: विश्व के ईंधन बाजार में कीमती खरीददार के बढ़ते दबदबे के साथ भारत अब दुनिया के सबसे बड़े ऊर्जा कुंभ की मेजबानी करने जा रहा है. अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा फोरम की 16वीं मंत्री स्तरीय बैठक अप्रैल 2018 में नई दिल्ली में होगी जिसमें 60 से ज्यादा मुल्कों के ऊर्जा मंत्री शिरकत करेंगे. अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा फोरम के वर्तमान अध्यक्ष भारत के साथ चीन और दक्षिण कोरिया भी इस आयोजन में सह-आयोजनकर्ता होंगे.


भारत के दौरे पर आए अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा फोरम के महासचिव सुन शियानशेंग ने कहा कि तेजी से बदलते ऊर्जा परिदृष्य में यह एक महत्वपूर्ण बैठक है जो ऊर्जा सुरक्षा के मुद्दे पर मंथन करेगी. अप्रैल 10-12 को होने वाली इस 16वीं मंत्री स्तर बैठक में 60 देशों के ऊर्जा मंत्रियों और 15 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा संस्थाओं के प्रमुख जुटेंगे. दुनिया के सबसे बड़े ऊर्जा मंच की यह मंत्री स्तर बैठक दो साल में एक बार होती है. नई दिल्ली में होने वाली बैठक के उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहेंगे.


यह तेल और गैस बाजार में बदलते समीकरणों की ही निशानी है कि अब तक ईंधन उत्पादक मुल्कों में होती आई यह बैठक भारत जैसे उपभोक्ता मुल्क में हो रही है. पेट्रोलयिम व गैस मंत्रालय में संयुक्त सचिव संजय सुधीर ने बताया कि ऊर्जा क्षेत्र को लेकर आए ताजा आकलनों के मुताबिक जहां अमेरिका, जापान जैसे मुल्कों की प्रतिव्यक्ति ईंधन खपत कम हो रही है वहीं भारत में इसका ग्राफ बढ़ रहा है. ऐसे में महत्वपूर्ण होगा कि आईईएफ की मंत्री स्तरीय बैठक का आयोजन भारत में हो रहा है.


तेल बाजार में कीमतों के उतार-चढ़ाव के बीच भारत की कोशिश एशियन प्रीमियम की व्यवस्था को खत्म करने का तरीका तलाशने पर होगी. दअरसल, तेल उत्पादक मुल्कों से पेट्रोलियम खरीद के वक्त एशियाई मुल्कों को अमेरिका या यूरोप की तुलना में अधिक मूल्य चुकाना होता है जिसे एशिया प्रीमियम कहा जाता है. इसके साथ ही भारत का प्रयास कीमतों के भारी उतार चढ़ाव को रोकने की व्यवस्था मजबूत करने पर भी होगा.


महत्वरपूर्ण है कि विश्व बाजार में कच्चे तेल की कीमत करीब 6 से 9 डॉलर प्रति बैरल है जबकि भारत में 1 लीटर पेट्रोल का दाम ही 70 रुपये से अधिक है. ऊर्जा सुरक्षा के मुद्दे पर होने वाले वैश्विक मंथन में एक बड़ा मुद्दा खाड़ी मुल्कों में तेल संसाधनों को आतंकी संगठनों की पहुंच से दूर बनाए रखने की चुनौती का भी होगा. इसके अलावा बैठक में तापी जैसी बहुराष्ट्रीय तेल-गैस परियोजनाओं से जुड़े सुरक्षा पहलुओं पर चर्चा भी होगी. बैठक के दौरान वैकल्पिक ऊर्जा साधनों पर भी विशेष सत्र होगा.