चीन सीमा पर भारत नहीं रोकेगा सड़क और दूसरे निर्माण कार्य: सूत्र
सरकार के टॉप-सूत्रों ने एबीपी न्यूज से कहा कि चीन से तनाव के बावजूद बॉर्डर एरिया में सड़क और दूसरा निर्माण-कार्य जारी रहेंगे. दरअसल, लद्दाख में सीमा पर निर्माण कार्यों से चीन खिन्न है, वो नहीं चाहता कि भारत उस एरिया में कोई भी निर्माण कार्य ना करे.
नई दिल्ली: चीन सीमा पर चल रहे तनाव के बीच सरकार ने साफ कर दिया है कि बॉर्डर पर सड़क और दूसरा निर्माण-कार्य का काम नहीं रूकेगा. सरकार के टॉप सूत्रों ने एबीपी न्यूज से कहा कि चीन भले ही बॉर्डर एरिया में इंफ्रास्ट्रक्चर-डेवलपमेंट से खफा हो लेकिन भारत ये काम नहीं रोकेगा.
सूत्रों के मुताबिक, लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जो हालिया विवाद है वो सीमावर्ती इलाकों में सड़कों का जाल और दूसरी मूलभूत सुविधाएं के कारण है. चीन नहीं चाहता है कि भारत के अधिकार-क्षेत्र में ये सब कार्य हों. लेकिन भले ही इसके लिए सीमा पर तनाव हो लेकिन अब ये निर्माण-कार्य जारी रहेगा.
आपको बता दें कि गैलवान घाटी में चीन जो 80 टेंट गाड़कर बैठ गया है वो दरअसल, उस सामरिक महत्व की सड़क के कारण हैं जो लद्दाख के दुरबुक (डुरबुक) से श्योक होते हुए डीबीओ (दौलत बेग ओल्डी) तक के लिए है. ये करीब 255 किलोमीटर लंबी 'डीएसडीबीओ' सड़क है जिसका उदघाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले साल अक्टूबर में किया था. उस वक्त इस सड़क पर श्योक नदी पर 'कर्नल चेवांग रिनछेन सेतु' तैयार हुआ था जिसके बनने से सड़क का काम पूरा हो गया था. ये डीएसडीबीओ रोड गैलवान घाटी के करीब से गुजरती है.
इस डीएसडीबीओ रोड के बनने से एक तो डीबीओ और काराकोरम दर्रा लद्दाख के प्रशासनिक-मुख्यालय लेह से जुड़ गया है जहां पर सेना की 14वीं कोर (फायर एंड फ्यूरी कोर) का मुख्यालय है. साथ ही सड़क बनने से यहां पर भारतीय सेना ने बंकर, बैरक और डिफेंस-फोर्टिफिकेशन का काम पूरा कर लिया है.
चीन ने अपनी नाराजगी अपने मुखपत्र, ग्लोबल टाइम्स में करते हुए गैलवान घाटी के करीब डिफेंस-फैसेलिटी का खासतौर से जिक्र किया है.
आपको बता दें कि कर्नल चेवांग रिनछेन को 'लद्दाख के शेर' के तौर पर जाना जाता है जिन्हें '62 के युद्ध मेंं चीन के खिलाफ बहादुरी के लिए सेना मेडल से नवाजा गया था. उन्हें 1948 और फिर 1965 के युद्ध में भी महावीर चक्र से नवाजा गया था (दो बार महावीर चक्र विजेता--वीरता का दुसरा सबसे बड़ा मेडल).
इसके अलावा फिंगर एरिया में भी भारतीय सेना एक सड़क बना रही है जिसको लेकर चीन को आपत्ति है. साथ ही नेपाल और चीन के ट्राई-जंक्शन पर पिथौरागढ़ के धारचूला से लिपूलेख तक बनी सड़क भी चीन की आंखों में किरकिरी बन गई है.. क्योंकि ये दोनों ही सड़कें (लिपूलेख और डीबीओ) को माना जाता रहा था कि नहीं बन पायेंगी. लिपूलेख सड़क 17 हजार फीट की ऊंचाई तक जाती है और डीबीओ भी बेहद दुर्गम इलाका है. यहां बहुत नदीं-नाले हैं जो बरसात के दिनों में बह जाते हैं. डीबीओ इलाका प्रतिकूल जलवायु और बेहद कम ऑक्सीजन वाला क्षेत्र है जिसके कारण यहां काम करना बेहद बड़ी चुनौती था.
यहां पर लेकिन ये बात गौर करने लायक है कि जहां चीन भारत के निर्माण कार्यों पर आंखें तरेर रहा है वहीं चीन ने अपने क्षेत्र में फोर-लेन हाईवे बना रखे हैं. चीन का वेस्टर्न-हाईवे गैलवानी घाटी के बेहद करीब अक्साई-चिन से होकर गुजरता है.
इस बीच खबर आई है कि चीन के माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट, विबो (ट्वीटर के तरह) एक पोस्ट वायरल हो रही है जिसमें आरोप लगाया गया है कि पैंगोंग त्सो लेक के करीब फिंगर एरिया में भारतीय सेना कई सौ मीटर अंदर चीन सीमा की वास्तविक नियंत्रण रेखा में दाखिल हो गई है. इसके कारण चीनी सैनिक अपनी गैरिसन-ड्यूटू नहीं कर पा रहे हैं और पैट्रोलिंग कर रहे हैं.