आतंकवाद को लेकर भारत ने हमेशा से ही अपना रुख साफ रखा है. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तर पर कई बार आतंकवाद को लेकर देश ने कड़ा संदेश दिया है. इसी बीच भारत ने आंतकवाद के खात्मे के लिए एक नई पहल की शुरुआत की है. राजधानी दिल्ली में 'नो मनी फॉर टेरर' एनएमएफटी नाम से एक सम्मेलन का आयोजन किया गया. जिसमें आतंकवाद को कुचलने के लिए एक बड़े प्लान को लेकर जानकारी दी गई. इस सम्मेलन में आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए 'नो मनी फॉर टेरर' एनएमएफटी नाम से एक स्थायी सचिवालय के निर्माण की बात कही गयी. जिससे कि आतंकवाद को बढ़ाने के लिए उसे मिलने वाली फंडिंग को रोका जा सके.


क्योंकि भारत का ये मानना है कि आंतकवाद को सिरे से खत्म करने के लिए उसे मिलने वाली फंडिंग को पूरी तरीके से रोकना बेहद जरूरी है, उन सभी रास्तों को बंद करना होगा जहां से आतंकवाद को फंडिंग हो रही है. इसके लिए दिल्ली में ये एनएमएफटी सम्मेलन आयोजित किया गया. गौर करने वाली बात ये रही कि इस सम्मेलन में चीन और पाकिस्तान दोनों ही देश शामिल नहीं हुए, क्योंकि पाकिस्तान को इस सम्मेलन में बुलाया नहीं गया था और चीन इसमें आया ही नहीं. इस सम्मेलन में 75 से अधिक देशों ने भाग लिया.


आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए होने वाली फंडिंग को रोकने के लिए भारत में एनएमएफटी सम्मेलन का आयोजन किया गया. जिसमें गृहमंत्री अमित शाह ने अन्य देशों को अपने साथ लेने को लेकर चर्चा की. इस सम्मेलन में गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि एक सचिवालय बनाया जाएगा, जो कि फाइनेंशल एक्शन टास्क फोर्स जैसे संगठनों के साथ मिलकर काम करेगा. इस सम्मेलन में बताया गया कि एक अनुमान के मुताबिक हर एक साल अपराधियों तक 2-4 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचता है. जिसका एक बड़ा हिस्सा आतंकवाद को बढ़ावा देता है.


इतना ही नहीं इस सम्मेलन में शाह ने कहा कि आतंकवाद को लेकर सभी देशों को एक साथ आना होगा, क्योंकि आतंकवाद की कोई अंतराष्ट्रीय सीमा नहीं हैं. इसीलिए राजनीति से उठकर सभी देशों के सहयोग की आवश्यकता है. आतंकवाद के खिलाफ इस सम्मेलन में चर्चा के दौरान गृह मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि एनएमएफटी पहल को स्थायी रुप दिए जाने की जरूरत है.


इसके लिए जल्द ही सभी देशों को इससे संबधित पेपर भेजे जाएंगे. जिसके जरिए उन देशों की इसको लेकर राय ली जाएगी. जिसमें तमाम देशों को ये बताया जाएगा कि आतंकवाद के खिलाफ एनएमएफटी सचिवालय का निर्माण करना कितना जरूरी है. इससे आतंकवाद को मिलने वाली फंडिंग को रोका जा सकेगा. भारत सरकार इसका प्रस्ताव तैयार कर रही है. जिसे जल्द पूरा करने के बाद अन्य देशों को भेजा जाएगा.


आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए भारत आए दिन कई अहम फैसले लेता आया है, हाल ही में पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पीएफआई को कथित तौर पर आतंकी गतिविधियों में संलिप्त पाए जाने पर भारत सरकार ने उसपर प्रतिबंध लगा दिया. जिसको लेकर अमित शाह ने कहा कि पीएफआई संगठन सामाजिक गतिविधियों की आड़ में युवाओं को आतंकवाद की ओर धकेलने का काम कर रहा था. गृह मंत्री ने अन्य देशों से भी ये कहा कि इस तरीके के अन्य संगठनों पर भी प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.


ऐसे लगेगी टेरर फंडिंग पर रोक
गृह मंत्री अमित शाह ने इस सम्मेलन में कहा कि आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए की जा रही टेरर फंडिंग को रोकने के लिए 5 प्वाइंट पर काम किए जाने की जरूरत है, जिसमें पहला प्वाइंट है कि इस टेरर फंडिंग की मॉनिटरिंग की जाए जिसके लिए सभी इंटेलीजेंट और इन्वेस्टिगेशन ऐजेंसिस साथ आकर काम करें.


और दूसरा प्वाइंट जिसमें इसे ट्रेस, टारगेट और टरमिनेट की स्टेर्जी पर काम किया जाए. और तीसरा प्वाइंट टेरर फंडिंग के खिलाफ जो लीगल स्ट्रक्चर है उसे मजबूत किया जाए. और चौथा प्वाइंट जिसमें टेक्नॉलजी के जरिए युवाओं को आतंकवाद की ओर ढकेलने वाले तंत्र को मजबूती से विफल करना होगा. और आखिरी प्वाइंट वो है जिसमें इस टेरर फंडिंग को लेकर जो कानूनी और नियामक ढांचा है उसे और मजबूत किया जाए.


गृहमंत्री ने कहा कि हमेशा से भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते आया है. और अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत आतंकवाद को लेकर एक ग्लोबर प्लेयर के रूप में उभरा है. क्योंकि खालिस्तानी आतंकवाद हो या फिर इस्लामिक आतंकवाद भारत इन आतंकवाद से भारत को अच्छे से निपटने का अनुभव रहा है. इसीलिए टेरर फंडिंग के खिलाफ इस सचिवालय के निर्माण में भारत की अहम भूमिका है, और इसको लेकर दूसरे देश भी यदि अपनी सहमति जताते हैं तो इसकी स्थापना भारत में ही होगी.


क्या है FATF ?
बता दें अभी इस तरीके की टेरर फंडिंग पर रोक लगाने के लिए फाइनेंसियल एक्शन टाक्स फोर्स एफएटीएफ काम कर रही है. ये एक अंतराष्ट्रीय संस्था है. जिसका काम अतंराष्ट्रीय स्तर पर मनी लांड्रिंग और किसी भी सामूहिक विनाश के लिए हथियारों का प्रसार करना या आतंकवाद को वित्तपोषित करने वाले संगठन पर नगर रखना और उसके खिलाफ कार्रवाई करना है. इसकी स्थापना साल 1989 में फ्रांस के पेरिस में जी-7 समूह के देशों की ओर से की गई थी.


इस संस्था की ओर से आतंकवाद को आर्थिक तौर पर बढ़ावा देने वाले देशों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है. साल 2018 में पड़ोसी देश पाकिस्तान के खिलाफ भी एफएटीएफ ने कार्रवाई की थी, और पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखा था, हालांकि इस साल 2022 में उसे इस लिस्ट से बाहर भी कर दिया. वहीं मनी लांड्रिंग और टेरर फंडिंग को लेकर एफएटीएफ के प्रतिबंधों पर भारत का मानना है कि और भी काम किए जाने की जरूरत है. हर देश को कंधे से कंधा मिलाकर इसके खिलाफ लड़ने की जरूरत है. 


बता दें भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए की जा रही टेरर फंडिंग के खिलाफ तीसरी बार एनएमएफटी सम्मेलन आयोजित किया गया. जिसमें भारत ने सीधे तौर पर ना तो पाकिस्तान का नाम लिया और ना ही चीन का. लेकिन आतंकवाद को पनाह देने वाले देशों को कड़ा संदेश दिया कि उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. उन्हें किसी भी कीमत पर बक्शा नहीं जाएगा. क्योंकि ये किसी भी देश के नागरिकों और उनके अधिकारों की सुरक्षा का मुद्दा है. इसीलिए भारत ने सभी देशों से अपिल की है कि वो अपने राजनीतिक हितों को छोड़कर आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता अपनाए.