नई दिल्ली: ब्रिस्बेन के गाबा में खेले गए बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के चौथे टेस्ट में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को तीन विकेट से हरा दिया. इसके साथ ही भारतीय टीम ने चार मैचों की यह सीरीज भी 2-1 से अपने नाम कर ली. गाबा के मैदान पर पहली बार किसी ने टीम ने 300 से ज्यादा रनों के लक्ष्य का पीछा किया है. भारत की ऐतिहासिक जीत को लेकर पूरे देश में उत्साह है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर भारतीय क्रिकेट टीम को बधाई दी है.
प्रधानमंत्री ने मोदी ने ट्वीट किया, ''हम सभी ऑस्ट्रेलिया में भारतीय क्रिकेट टीम की सफलता पर बहुत खुश हैं. उनकी ऊर्जा और जुनून पूरे खेल के दौरान दिखाई दे रहा था. उमका दृढ़ इरादा, उल्लेखनीय धैर्य और दृढ़ संकल्प भी नजर आए. टीम को बधाई! आपके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं.''
प्रधानमंत्री के अलावा केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी ट्वीट कर टीम इंडिया को बधाई दी. उन्होंने लिखा, ''भारतीय युवा टीम ने शानदार धैर्य, दृढ़ संकल्प और लचीलेपन का प्रदर्शन किया. यह जीत इतिहास में दर्द की जाएगी क्योंकि भारत द्वारा विदेशों में सबसे बेहतर लक्ष्य का पीछा किया है.''
पंत और गिल ने खेली कमाल की पारी
भारत की इस ऐतिहासिक जीत के हीरो रहे विकेटकीपर बल्लेबाज़ ऋषभ पंत और सलामी बल्लेबाज़ शुभमन गिल. पंत ने 138 गेंदो में 89 रन बनाकर नाबाद रहे. इस दौरान उन्होंने नौ चौके और एक छक्का लगाया. इसके साथ ही वह टेस्ट क्रिकेट में सबसे तेज 1,000 रन बनाने वाले भारतीय विकेटकीपर भी बन गए. वहीं शुभमन गिल ने 146 गेंदो में 91 रनों की शानदार पारी खेली. अपनी इस पारी में उन्होंने आठ चौके और दो छक्के लगाए.
पंत और गिल के अलावा चेतेश्वर पुजारा ने भी टीम इंडिया की जीत में अहम योगदान दिया. उन्होंने 211 गेंदो में 56 रनों की पारी खेलकर एक छोर बांधे रखा. गाबा की टूटी हुई पिच पर पुजारा दीवार बनकर खड़े रहे और भारत को मैच में बनाए रखा. पुजारा के कारण ही पंत तेजी से रन बनाते रहे और भारत को ऐतिहासिक जीत दिलाई.
आस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 369 रन बनाए थे. भारत पहली पारी में 336 रन ही बना सकी थी. पहली पारी के आधार पर आस्ट्रेलिया दूसरी पारी में 33 रनों की बढ़त लेकर उतरी थी. दूसरी पारी में मोहम्मद सिराज ने पांच और शार्दूल ठाकुर ने चार विकेट ले आस्ट्रेलिया को दूसरी पारी में 294 रनों पर सीमित कर दिया था. भारत को हालांकि 328 रनों की मुश्किल चुनौती मिली थी, जिसे उसने अपने जुझारूपन और हार न मानने की जिद से हासिल कर लिया.
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