'लोगों में कंफर्ट जोन से बाहर निकलने का साहस होना चाहिए', माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय पर्वतारोही
Mount Everest: पर्वतारोही पूर्णा मालवथ ने याद किया कि पहले रॉक क्लाइंबिंग प्रशिक्षण ने उन्हे सचमुच डरा दिया था. जब उसके ग्रुप के प्रतिभागियों में से एक गिर गया और उसके सिर में चोट लग गई.
Thiruvananthapuram: माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय पर्वतारोही पूर्णा मालवथ ने कहा कि पहला कदम उठाना बहुत महत्वपूर्ण है और व्यक्ति में अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलने का साहस होना चाहिए. 25 मई 2014 को पूर्णा 13 साल और 11 महीने की उम्र में माउंट एवरेस्ट पर चढ़कर शिखर पर पहुंचने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय और सबसे कम उम्र की महिला एवरेस्टर बन गई. पूर्णा ने जुलाई 2017 में यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रस पर भी चढ़ाई की थी.
मातृभूमि इंटरनेशनल फेस्टिवल ऑफ लेटर्स (MBIFL 2023) में बोलते हुए तेलंगाना की पर्वतारोही ने दुनिया के शीर्ष पर अपनी यात्रा को याद किया. पूर्णा ने कहा कि जब वह तेलंगाना के पाकाला में पली-बढ़ी थीं. तब उन्हें पर्वतारोहण के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. उनके जन्म के समय पाकाला आंध्र प्रदेश का हिस्सा था. पूर्णा कहती हैं. मेरा गांव इतना दूर था कि माचिस की डिब्बी लेने के लिए भी हमें सबसे पास की दुकान के लिए 7 किमी जाना पड़ता था. सबसे नजदीकी अस्पताल मेरे गांव से 60 किमी दूर था.
13 साल की उम्र में रॉक क्लाइंबिंग का लिया फैसला
पूर्णा ने याद किया कि पहले रॉक क्लाइंबिंग प्रशिक्षण ने उन्हे सचमुच डरा दिया था. जब उसके ग्रुप के प्रतिभागियों में से एक गिर गया और उसके सिर में चोट लग गई. उन्होंने कहा कि कई लोग मुझसे मेरी पसंद के बारे में सवाल कर रहे थे और वह सोच रहे थे कि क्यों कोई लड़की पहाड़ों पर चढ़ाना चाहेगी. उनके लिए एक लड़की को पहले स्कूल जाना चाहिए. उसके बाद शादी करके घर बसाना चाहिए.
पर्वतारोही पूर्णा मालवथ सात शिखरों (दुनिया भर में सात सबसे ऊंची चोटियों) को फतह करने के लिए पर्वतारोहियों के कुलीन समूह में शामिल हैं. उन्होंने कहा कि डरावने रॉक क्लाइम्बिंग प्रशिक्षण के बावजूद उसे जारी रखने के उसके फैसले ने उनके जीवन को बदल दिया. 13 साल की उम्र में मैंने रॉक क्लाइंबिंग करने का फैसला किया और यहां मैं पोस्ट ग्रेजुएट के रूप में आपके सामने खड़ी हूं.
माता-पिता को अपने सपने के बारे में बताए
पूर्णा ने कहा कि मेरी दोस्त जिसकी 13 साल की उम्र में शादी हुई थी. अब अपने बच्चों को उसी स्कूल में भेजती है. जहां हमने एक साथ पढ़ाई की थी. पूर्णा ने कहा कि अपने माता-पिता को अपनी क्षमता और गंभीरता के बारे में विश्वास दिलाया, जिसके बाद उन्होंने मेरे सपने का समर्थन किया. अपने माता-पिता को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के अपने जनून पर के बारे में बताए. फिर वह आपका समर्थन करेंगे.
पर्वतारोहण विशेषज्ञ ने कहा कि वह एक ऐसी सिस्टम बनाना चाहती हैं. जो युवा, विशेषकर लड़कियों को पर्वतारोहण जैसे साहसिक खेलों में शामिल होने में मदद करेगा. 2020 में फोर्ब्स इंडिया की महिलाओं की सूची में शामिल पूर्णा ने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से किसी की भी मदद करने की योजना बना रही हैं. जो साहसिक खेलों के बारे में जानना चाहता है.
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