(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
करीब 48 घंटे बाद भी AN 32 विमान का पता नहीं, खोजने के लिए सैटेलाइट की भी ली जा रही है मदद
लापता विमान एएन-32 का पता लगाने के लिए एमआई-17 और थलसेना के एएलएच हेलीकॉप्टरों के अलावा सी-130जे, एएन-32 सहित अत्याधुनिक सेंसरों से लैस विमानों को तैनात किया गया है.
नई दिल्ली: भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के एएन-32 विमान को तलाशने के लिए बड़े पैमाने पर आज भी अभियान जारी है. एएन 32 के लापता हुए करीब 48 घंटे बीत चुके हैं. लेकिन अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है. तलाशी अभियान में बड़ी संख्या में विमानों, हेलीकॉप्टरों और सैनिकों को लगाया गया है. लापता विमान का पता लगाने के लिए उपग्रह के जरिए ली गई तस्वीरों की भी मदद ली जा रही है.
अधिकारियों ने बताया कि लापता विमान का पता लगाने के लिए एमआई-17 और थलसेना के एएलएच हेलीकॉप्टरों के अलावा सी-130जे, एएन-32 सहित अत्याधुनिक सेंसरों से लैस विमान और समुद्र में लंबी दूरी तक टोह लेने में सक्षम भारतीय नौसेना के पी8आई विमान को तैनात किया गया है.
सोमवार को हुआ था लापता एएन-32 सोमवार को अरुणाचल प्रदेश के घने जंगलों वाले मेंचुका के पास लापता हो गया था. लापता हुए विमान ने सोमवार को असम के जोरहाट से चीन की सीमा के पास मेंचुका के लिए उड़ान भरी थी. सोमवार की दोपहर को उड़ान भरने के करीब 33 मिनट बाद विमान लापता हो गया. इसमें 13 लोग सवार थे. वायु सेना ने कहा कि विमान में चालक दल के आठ सदस्य और पांच यात्री सवार थे.
भारतीय वायुसेना के प्रवक्ता ग्रुप कैप्टन अनुपम बनर्जी ने कहा कि विमान पर सवार रहे सभी वायु सैनिकों के परिजनों को घटना की सूचना दे दी गई है और लापता विमान की तलाश में हुई प्रगति के बारे में उन्हें नियमित तौर पर जानकारियां दी जा रही हैं. सैन्य सूत्रों ने बताया कि बचाव कर्मियों को लापता विमान में आपात स्थिति के समय ठिकाना तलाशने के लिए लगी बत्ती से कोई संकेत नहीं मिले हैं. उन्होंने कहा कि ऐसी आशंका है कि विमान का यह उपकरण काम नहीं कर रहा हो.
उन्होंने कहा कि लापता हुए विमान को नवीनतम एवियोनिक्स एवं रेडारों से लैस करना बाकी था. हालांकि, कुछ एएन-32 विमानों में यह व्यवस्था की जा चुकी है. नौसेना के प्रवक्ता कैप्टन डी के शर्मा ने कहा कि पी8आई विमान इलेक्ट्रो ऑप्टिकल और इन्फ्रा रेड सेंसरों की मदद से तलाश अभियान में मदद करेगा.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘पी8आई विमान में बहुत शक्तिशाली सिंथेटिक अपर्चर रडार होता है जिसका इस्तेमाल लापता विमान को खोजने के लिए किया जाएगा.’’ बोइंग द्वारा निर्मित पी8आई लंबी दूरी तक समुद्र में टोह रखने वाला विमान है और इस समय नौसेना के पास आठ ऐसे विमान हैं.
पहले भी हो चुके हैं कई हादसे एएन-32 विमान रूस निर्मित विमान है और वायुसेना बड़ी संख्या में इसका परिचालन करती है. इससे पहले जून 2009 में अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी सियांग जिले के एक गांव के पास एएन-32 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिसमें 13 रक्षाकर्मी मारे गये थे. जुलाई 2016 में एक एएन-32 विमान चेन्नई से पोर्ट ब्लेयर की उड़ान भरने के बाद लापता हो गया था, जिसमें 29 लोग सवार थे.
कई सप्ताह तक तलाश अभियान चलाने के बाद भी विमान का पता नहीं चला. कुछ महीने बाद वायु सेना की एक कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी में कहा गया कि इस बात की संभावना नहीं लगती कि विमान पर सवार हुए लापता लोग दुर्घटना में जीवित बचे होंगे.