वायुसेना प्रमुख वी आर चौधरी ने गुरुवार को कहा कि चीन द्वारा अपने निष्क्रिय उपग्रह को दूसरी कक्षा में ले जाने के कार्य ने अंतरिक्ष के हथियारों से लैस होने का एक नया खतरा पैदा कर दिया है. दरअसल पिछले महीने चीन के शिजियान-21 उपग्रह ने एक निष्क्रिय चीनी उपग्रह को उसकी जगह से स्थानांतरित कर दिया था जिससे उसकी भूस्थैतिक कक्षा बदल गई. किसी उपग्रह की कक्षाओं को भौतिक रूप से बदलने की यह क्षमता पहले केवल अमेरिका ने ही प्रदर्शित की थी.
अंतरिक्ष को हथियारों से लैस करने की दौड़ शुरू कर रहा है चीन
वायु सेना प्रमुख ने कहा कि अपने निष्क्रिय उपग्रहों में से एक को अन्य कक्षा में ले जाने का चीन का हालिया कार्य अंतरिक्ष को हथियारों से लैस करने की दौड़ शुरू कर रहा है. यह ऐसा क्षेत्र है जिसे अब तक अपेक्षाकृत सुरक्षित माना जाता रहा है.
उनके अनुसार हम जिस दायरे को देख रहे हैं वह घातक से गैर-घातक और छोटे ड्रोन से लेकर हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइलों तक फैला हुआ है. यह विशाल और निरंतर बदल रही स्थितियां भविष्य के सशस्त्र बलों के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां पेश करेगी.
वायुसेना के प्रशिक्षण को आधुनिक और लचीली बनाने की जरूरत
वायुसेना प्रमुख ने कहा कि भारतीय वायुसेना के प्रशिक्षण को आधुनिक, लचीला और अनुकूल बनाने की जरूरत है, जिसमें ‘एकजुटता’ का संदेश भी हो. उन्होंने कहा कि तकनीकी रूप से मजबूत अच्छी तरह से प्रशिक्षित वायु सैनिक, वायुसेना की शक्ति बढ़ाने का काम करेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी एक सेना सिर्फ अपने बूते युद्ध नहीं जीत सकती है और यह भविष्य के लिए भी अच्छा है. यह मुझे कमान और नियंत्रण की अगली चुनौती तक ले जाता है.’’