चीन के खिलाफ अगले विवाद में सरप्राइज देने के लिए बेहद जरूरी है कि भारत उत्तम किस्म के स्वदेशी हथियार और दूसरे सैन्य साजो सामान तैयार करे. ये मानना है वायुसेना प्रमुख आर के एस भदौरिया का. 


बुधवार को एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया राजधानी दिल्ली में 'आत्मनिर्भर-भारत के समक्ष चुनौतियां' नाम के एक सेमिनार को संबोधित कर रहे थे. सेमिनार को सीआईआई और सोसायटी फॉर इंडियन डिफेंस इंडस्ट्री (एसआईडीएम) ने सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज़ के साथ मिलकर किया था.


सेमिनार के दौरान वायुसेना प्रमुख ने कहा कि आत्मनिर्भरता एक सामरिक-जरूरत है, और एयरोस्पेस सेक्टर में तो बेहद जरूरी है. भदौरिया ने कहा कि अगर हम अपने नार्दन (चीन) बॉर्डर की तरफ देखते हैं तो हमें उत्तम किस्म की टेक्नोलॉजी की जरूरत है, चाहे फिर वे हथियार हों, सेंसर्स, आर्टिफिशियल-इंटेलीजेंस और बाकी साजो सामान हो. ये सब देश में ही विकसित करने की जरूरत है. 


एयर चीफ मार्शल भदौरिया के मुताबिक, अगले दो दशक में वायुसेना को करीब 350 विमानों की आवश्यकता होगी. इन विमानों में फाइटर जेट्स और हेलीकॉप्टर, दोनों, शामिल हैं. इसके अलावा एलसीए तेजस के ऑर्डर, एमका (एडवांस मीडियम कॉम्बेट एयरक्राफ्ट) और 114 एमएमआरसीए प्रोजेक्ट भी इसमें शामिल हैं. उन्होंने कहा कि वायुसेना अब सिक्सिथ जेनरेशन (छठी पीढ़ी के) एयरक्राफ्ट का भी इंतजार कर रही है. इसके लिए रक्षा क्षेत्र की स्वदेशी कंपनियों को तैयार रहना होगा. 


हाल ही में जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर ड्रोन हमले का जिक्र करते हुए वायुसेना प्रमुख ने कहा कि इसके चलते ही बड़ी संख्या में ड्रोन, एंटी-ड्रोन, जैमर और फ्रीक्वंसी-रडार के ऑर्डर दिए गए हैं. उन्होनें कहा कि अब कोई भी ग्राउंड-रडार आयात नहीं की जाती है. आने वाले समय में भी सभी ग्राउंड-रडार स्वदेशी ही होंगी.  


हालांकि वायुसेना प्रमुख ने साफ तौर से कहा कि स्वदेशी हथियार और एयर-प्लेटफॉर्म उन्नत किस्म के होने चाहिए और उन्हें जल्दी क्लीयरेंस मिलनी चाहिए.


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