नई दिल्ली: एस-400 मिसाइल सिस्टम की ट्रेनिंग के लिए भारतीय वायुसेना का एक आठ-सदस्य दल जल्द रूस जाने वाला है. मंगलवार को वायुसेना के इस दल ने मास्को रवाना होने से पहले राजधानी दिल्ली में रशियन एंबेसी में आयोजित फेयरवेल-कार्यक्रम में रूसी राजदूत से मुलाकात की. माना जा रहा है कि भारत के इस दल के ट्रेनिंग पूरी होने पर भारत को इसी साल तक एस-400 मिसाइल मिल जाएंगी.


इस मौके पर रूसी राजदूत, निकोलेए कुदाशेव ने कहा कि एस-400 मिसाइल का करार, भारत और रूस के बीच मिलिट्री-टेक्नीकल सहयोग का महत्वपूर्ण पहलू तो है ही साथ ही दोनों देशों के बीच सामरिक-भागीदारी का मजबूत स्तंभ भी है.


आपको बता दें कि वर्ष 2016 में भारत ने रूस से 39 हजार करोड़ में एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने का सौदा किया था. ये मिसाइल, दुनिया की सबसे ताकतवर मिसाइल प्रणाली में से एक है, जो लंबी दूरी (लॉन्ग-रेंज) तक हवाई सुरक्षा करने में कारगर साबित होगी. इस मिसाइल सिस्टम की दूरी करीब 400 किलोमीटर है. यानी अगर दुश्मन की मिसाइल किसी विमान या संस्थान पर हमले करने की कोशिश करेगी तो ये मिसाइल सिस्टम 400 किलोमीटर दूर ही नेस्तनाबूत करने में सक्षम साबित है. ये एंटी-बैलिस्टक मिसाइल है. यानी आवाज की गति से भी तेज रफ्तार से ये हमला बोल सकती है.


भारत ने अक्टूबर 2016 में रूस के साथ इंटर-गर्वमेंटल करार किया था जिसके तहत भारतीय वायुसेना को एस- 400 'ट्रायम्फ' मिसाइल की कुल पांच रेजीमेंट (फ्लाइट) मिलनी हैं. हर फ्लाइट में आठ लॉन्चर हैं. हर एक लॉन्चर में दो मिसाइल हैं. ये मिसाइल सिस्टम एक साथ मल्टी टारगेट को निशाना बना सकते हैं. यानी एक साथ दुश्मन के लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर और यूएवी को निशाना बना सकती हैं.


गौरतलब है कि चीन ने भी इस मिसाइल सिस्टम की खूबी को देखते हुए रशिया से इस प्रणाली को खरीदा है. हालांकि, चीन के पास एस-300 मिसाइल है, जो उसने भारत से सटी एलएसी पर तैनात की है. चीन ने एस-400 को भी रूस से खरीदने का करार किया है.


भारत और रूस की इस डील को लेकर अमेरिका की तरफ से अड़ंगा लगाया जा रहा है क्योंकि अमेरिका ने रूस के साथ किसी भी देश के हथियारों के सौदों को लेकर प्रतिबंध लगा रखा है. इसके लिए अमेरिका की संसद ने काटसा यानि काउंटिंरिंग अमेरिका एडवर्सरी थ्रू सेंक्शन्स कानून पारित कर रखा है. लेकिन भारत ने अमेरिका के ऐतराज को ये कहकर दरकिनार कर दिया है कि काटसा कानून एस400 को लेकर भारत और रूस के बीच हुए करार के बाद पारित हुआ है.


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