नई दिल्लीः पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ चल रही तनातनी के बीच, भारतीय वायु सेना (IAF) ने सरकार को 33 नए लड़ाकू विमान प्राप्त करने के लिए एक प्रस्ताव दिया है, जिसमें 21 मिग -29 और रूस से 12 Su-30MKI शामिल हैं.
सरकारी सूत्रों ने कहा कि वायु सेना पिछले कुछ समय से इस योजना पर काम कर रही थी लेकिन वायुसेना ने अब इस प्रक्रिया को तेज कर दिया है. करीब 6000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाले प्रस्तावों को रक्षा मंत्रालय के सामने अगले सप्ताह एक उच्च-स्तरीय बैठक में अंतिम अप्रूवल के लिए रखा जाएगा. सूत्रों ने कहा कि इस प्रस्ताव में 12 एसयू -30 एमकेआई का अधिग्रहण शामिल है, जो विभिन्न दुर्घटनाओं में वायु सेना द्वारा गंवाए गए विमानों की जगह लेने के लिए जरूरी हैं.
भारत ने पिछले 10 से 15 सालों की अवधि में विभिन्न बैचों में 272 एसयू -30 फाइटर जेट्स के लिए आदेश जारी किए थे. सीनियर अधिकारियों का मानना है कि वायुसेना के भारी-भरकम एयरक्राफ्ट की जरूरत के लिए अब तक हासिल किए गए विमानों की संख्या पर्याप्त होगी.
वायुसेना रूस से 21 मिग 29 आईएएस को लेने की योजना बना रही है. रूस ने इन विमानों को भारतीय वायुसेना को बेचने की पेशकश की है जिससे की वायुसेना की लड़ाकू विमान की जरूरत पूरी हो सके. वायु सेना ने यह जांचने के लिए एक अध्ययन किया था कि क्या ऑफर पर मिग -29 के एयरफ्रेम लंबे समय तक काम करने के लिए ठीक हैं और वे लगभग नई स्थिति में पाए गए.
मिग -29 से वायु सेना के पायलट परिचित हैं लेकिन रूसियों द्वारा जिन विमानों की पेशकश की गई है वे भारतीय सूची में शामिल विमानों से अलग हैं. वायु सेना के पास मिग -29 तीन स्क्वाड्रन हैं जिनको एक्टेंशन दिया गया है और अपग्रेड किया गया है. इन्हें एयर डिफेंस की भूमिका के लिए विश्वसनीय माना जाता हैं.