Rafale: वायुसेना के विदेशी युद्धाभ्यास में पहली बार राफेल जेट की तैनाती
IAF In Air Exercise: वायुसेना का विमान राफेल पहली बार किसी विदेशी सैन्य अभ्यास में हिस्सा लेने जा रहा है. यह अभ्यास उसी फ्रांस में होने वाला है, जहां राफेल तैयार किया गया है.
Rafale In Air Exercise: भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) का दल फ्रांस के मोंट-डी-मार्सन मिलिट्री बेस (Mont-de-Marsan Military Base) पर लगभग तीन सप्ताह तक होने वाले बहुराष्ट्रीय हवाई अभ्यास में हिस्सा लेगा. इस हवाई युद्धाभ्यास में चार राफेल जेट, दो सी-17 विमान और दो आईएल-78 मिड-एयर रीफ्यूलर तैनात होंगे. वायु सेना का दल शुक्रवार (14 अप्रैल) को रवाना हो रहा है. भारतीय वायु सेना में शामिल होने के बाद राफेल जेट पहली बार विदेशी अभ्यास में हिस्सा ले रहा है.
वायु सेना ने बताया कि आईएएफ का एक दल मॉन्ट-डे-मार्सन एक्सरसाइज में हिस्सा लेने फ्रांस के लिए रवाना होगा. अभ्यास 17 अप्रैल से 5 मई तक भारतीय वायु सेना के दर के साथ आयोजित किया जाएगा. इसमें चार राफेल, 2 सी-17, 2 एल-78 विमान और 165 एयर फोर्स के जवान शामिल होंगें.
ये देश ले रहे हिस्सा
भारतीय वायु सेना और फ्रेंच एयर एंड स्पेस फोर्स (FASF) के अलावा, जर्मनी, ग्रीस, इटली, नीदरलैंड, यूनाइटेड किंगडम, स्पेन और संयुक्त राज्य अमेरिका की एयर फोर्स भी अभ्यास में हिस्सा लेगी.
आईएएफ ने अपने बयान में कहा, इस अभ्यास में भागीदारी अन्य वायुसेनाओं से सर्वोत्तम अभ्यासों को ग्रहण करके भारतीय वायु सेना को और मजबूती प्रदान करेगी.
भारत के लिए गेमचेंजर राफेल
राफेल विमान को फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट एविएशन ने किया है. भारत ने फ्रांस के साथ 36 राफेल विमानों को लेकर समझौता किया था. बीते साल दिसम्बर में भारतीय सेना ने इस डील के पूरा होने की जानकारी दी थी. वायु सेना ने बताया था कि आखिरी राफेल लड़ाकू विमान भारत को मिल गया है.
59,000 करोड़ रुपये की डील के बाद 5 राफेल विमानों की पहली खेप 29 जुलाई, 2020 को भारत पहुंची थी. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राफेल को वायु सेना में शामिल होने को गेम चेंजर बताया था. रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, राफेल मिलने के बाद एयर फोर्स की क्षमता में बड़ा उछाल आया है.
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