S-400 Missile Air Defence System: एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम के पहले दो स्क्वाड्रनों का संचालन करने के बाद भारतीय वायु सेना (IAF) जल्द ही देश में इसकी पहली फायरिंग करने जा रही है. वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों ने मंगलवार (4 अप्रैल) को न्यूज़ एजेंसी एएनआई को बताया कि इंडियन फोर्स ने रूस (Russia) में परीक्षण के दौरान रूसी मूल की मिसाइल प्रणाली को दागा था, लेकिन अभी तक देश में इसकी फायरिंग नहीं की जा सकी. रक्षा अधिकारियों ने बताया कि छोटी या मध्यम दूरी की मिसाइलों में से एक का उपयोग करके बहुत जल्द फायरिंग की योजना है. 


उन्होंने कहा कि वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली में मिसाइलों की एक अलग रेंज थी, जो अधिकतम 400 किलोमीटर की दूरी पर तेज गति से चलने वाले लड़ाकू विमानों या क्रूज मिसाइलों को मार गिरा सकती है. भारत ने पहले ही अपने दो मिसाइल सिस्टम स्क्वाड्रन को सर्विस में डाल दिया है. पहले दो स्क्वाड्रनों को अलग-अलग स्थानों पर तैनात किया गया है जहां से वे लद्दाख सेक्टर के साथ-साथ पश्चिम बंगाल के नाजुक कॉरिडोर को कवर कर सकते हैं. 


पंजाब में तैनात किया एक मिसाइल सिस्टम स्क्वाड्रन


पहला स्क्वाड्रन पंजाब में तैनात किया गया है ताकि पाकिस्तान की सीमा के साथ-साथ उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों में भी देख-रेख कर सकें. ये मिसाइल प्रणाली दुश्मन के लड़ाकू विमानों, मानव रहित हवाई वाहनों, बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों को 400 किलोमीटर तक मार सकती है. सूत्रों ने कहा कि भारत और रूस ने एस-400 वायु रक्षा मिसाइलों के पांच स्क्वाड्रन के लिए 35,000 करोड़ रुपये से अधिक के सौदे पर हस्ताक्षर किए और सभी डिलीवरी 2023-24 के अंत तक पूरी होने की उम्मीद है, लेकिन इस समय सीमा में देरी हो सकती है. 


भारतीय वायु सेना की बढ़ती ताकत


भारतीय वायु सेना को हाल ही में स्वदेशी MR-SAM और आकाश मिसाइल प्रणाली के साथ-साथ इजराइली स्पाइडर क्विक रिएक्शन सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली प्राप्त हुई है. वायु सेना का मानना है कि एस-400 इसके लिए गेम चेंजर होगा. भारतीय वायु सेना ने हाल के वर्षों में अपनी वायु रक्षा क्षमताओं में उल्लेखनीय सुधार किया है.


एस-400 मिसाइल सिस्टम ने भी अभ्यास में भाग लिया है और सूत्रों के अनुसार विरोधी इससे सतर्क हो गए हैं क्योंकि वे चीनी प्रणाली की तुलना में भारतीय प्रणाली की बेहतर क्षमताओं से अवगत हैं. वर्तमान में चीन और भारत की S-400 वायु रक्षा प्रणालियां वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तैनात हैं.


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