नई दिल्लीः चीन सीमा पर चल रही तनातनी के बीच वायुसेना प्रमुख अपने सभी वरिष्ट कमांडर्स के साथ बुधवार को दो दिनों के लिए राजधानी दिल्ली में एक बड़ी बैठक करेंगे. मौका होगा एयरफोर्स कमांडर्स‌ कांफ्रेंस का जिसमें चीन सीमा के हालात पर चर्चा के साथ साथ राफेल लड़ाकू विमानों के लद्दाख से सटी चीन सीमा पर तैनाती का होगा.


सूत्रों के मुताबिक, एयर चीफ मार्शल, आर के एस भदौरिया के नेतृत्व में वायुसेना की सभी सातों कमांड के प्रमुखों सहित सभी वरिष्ठ एयर ऑफिसर्स, दो दिन (22-23 जुलाई) तक चलने वाले इस सम्मेलन में हिस्सा लेंगे.


27 जुलाई को अंबाला पहुंच रही राफेल की पहली खेप


छह महीने में एक बार होने वाली कमांडर्स कांफ्रेंस में चीन सीमा पर चल रहे तनाव और उससे निपटने के लिए वायुसेना की तैयारियों पर चर्चा होगी. साथ ही 27 जुलाई को अंबाला एयरबेस पर पहुंच रहे राफेल (राफेल) लड़ाकू विमानों की तैनाती पर भी खास चर्चा होगी. माना जा रहा है कि राफेल लड़ाकू विमानों को जल्द से जल्द चीन सीमा से सटी एलएसी की एयर-स्पेस में तैनात किया जाएगा.


आपको बता दें कि 27 जुलाई को फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप पहुंच रही है. पहली खेप में कम से कम छह (06) राफेल फाइटर जेट्स पहुंच रहे हैं,‌ लेकिन अभी तक अंबाला एयरबेस पर राफेल जेट्स की इंडक्शन-सेरेमनी यानि विधिवत तरीके से भारतीय वायुसेना में शामिल होने की तारीख तय नहीं हुई है. ऐसे में माना जा रहा है कि सभी राफेल लड़ाकू विमानों को तुरंत लद्दाख से सटी चीन सीमा पर ऑपरेशनली तैनात कर दिया जाएगा.


हालांकि, जब भी कोई नया लड़ाकू विमान या हेलीकॉप्टर वायुसेना में शामिल किया जाता है तो एयरबेस पर सैन्य परंपरा के तहत विशेष आयोजन किया जाता है जिसमें खुद वायुसेना प्रमुख या फिर रक्षा मंत्री शामिल होते हैं, लेकिन पिछले साल दशहरा के मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह खुद फ्रांस के दौरे पर गए थे (अक्टूबर 2019) और वहां पर राफेल बनाने वाली कंपनी, दसो (दसॉल्ट) के मेरिगनाक स्थित फैसेलिटी पर ही वायुसेना में शामिल होने की सेरेमनी पूरी कर दी थी, इसलिए हो सकता है कि अब अंबाला में कोई सेरेमनी ना आयोजित की जाए.


साथ ही, क्योंकि तभी से यानी पिछले नौ महीनों से भारतीय पायलट इन नए राफेल लड़ाकू विमानों पर फ्रांस में ही ट्रेनिंग ले रहे हैं, ऐसे में फ्रांसीसी फाइटर जेट्स को सीधे लद्दाख में तैनात किया जा सकता है.


LAC पर भारत की ताकत को बढ़ाएगा राफेल


राफेल लड़ाकू विमानों को दक्षिण एशिया में गेम-चेंजर माना जा रहा है. लद्दाख में चीन सीमा पर तैनात किए जाने से भारतीय वायुसेना की ताकत में एक बड़ा इजाफा हो सकता है. अभी भी वायुसेना के सुखोई, मिग-29 और मिराज-2000 फाइटर जेट्स चीन सीमा पर कॉम्बेट एयर पैट्रोलिंग (सीएपी) कर रहे हैं.


भारतीय वायुसेना के सभी फ्रंट लाइन एयरबेस पूरी तरह अलर्ट हैं, क्योंकि इस तरह की खबरें लगातार आ रही है कि चीन ने एलएसी से सटे अपने होटान, नगरी-गुंसा, ल्हासा, शैनान आदि एयरबेस पर फाइटर जेट्स का बड़ा जमावड़ा किया हुआ है.


भारत और चीन के कोर कमांडर स्तर की डिसइंगेजमेंट बातचीत में एक मुद्दा‌ एलएसी पर हेवी बिल्ट-अप यानि बड़ी तादाद में सैनिकों के साथ साथ टैंक, तोप और फाइटर जेट्स के जमावड़े का भी है.


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