नई दिल्ली: चीन और पाकिस्तान से चल रही तनातनी के बीच, गुरूवार को रक्षा मंत्रालय ने आसमान में दुश्मन की गतिविधियों पर पैनी निगाहें रखने के लिए वायुसेना के लिए 06 एवैक्स कट्रोंल एयरक्राफ्ट्स के लिए मंजूरी दे दी. ये टोही विमान डीआरडीओ एयर इंडिया की मदद से तैयार करेगा. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई वाली डिफेंस एक्युजिशन कॉउंसिल (डीएसी) ने गुरूवार को एक खास मीटिंग में इसकी मंजूरी दी.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, डीएसी यानि रक्षा खरीद कमेटी ने गुरूवार को सशस्त्र-सेनाओं (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) के लिए करीब 28 हजार करोड़ के प्लेटफॉर्म (एयरक्राफ्ट और युद्धपोत), हथियार और दूसरे सैन्य साजो सामान के लिए कुल सात (07) प्रस्तावों को मंजूरी दी. इनमें से छह 'प्रपोज़ल' मेक इन इंडिया के तहत हैं.
लेकिन इन प्रस्तावों में सबसे खास हैं एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (एवैक्स) हैं. हालांकि, रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में ये नहीं बताया है कि वायुसेना के लिए कितने एवैक्स एयरक्राफ्ट्स के लिए मंजूरी दी गई है और इनकी कितनी कीमत है. लेकिन एबीपी न्यूज को मिली जानकारी के मुताबिक, ऐसे छह एवैक्स विमानों को मंजूरी दी गई है. इस प्रोजेक्ट कई कुल कीमत करीब 10 हजार करोड़ रूपये है.
वायुसेना के इस एवैक्स प्रोग्राम के लिए डीआरडीओ एयर इंडिया से छह ए-320 विमान लेगा और उन्हें टोही विमान में तब्दील करेगा. इसके लिए इन पर 360डिग्री एरै रडार लगेगी होगी जो आसमान में देश की एयर-स्पेस पर कड़ी निगरानी रखेगा ताकि दुश्मन के एयरक्राफ्ट्स, हेलीकॉप्टर्स और ड्रोन्स पर नजर रखी जा सके.
बालाकोट एयर-स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान से हुई डॉग-फाइट और तनातनी के दौरान भारतीय सेना को इन एवैक्स विमानों की बेहद कमी खली थी. हालिया एलएसी पर चल रहे चीन के साथ विवाद के दौरान वायुसेना ने नौसेना के टोही विमानों को लद्दाख से लेकर हिमाचल प्रदेश की एयर स्पेस में तैनात किया था.
आपको बता दें कि फिलहाल वायुसेना को पास इजरायल से लिए दो (02) एवैक्स एयरक्राफ्ट ('फाल्कन') हैं और दो ही डीआरडीओ द्वारा तैयार स्वदेशी एवैक्स हैं.
रक्षा खरीद कमेटी (डीएसी) ने गुरूवार को नौसेना के लिए ऑफसोर पैट्रोल वैसल और थलसेना के लिए मॉडियूलर-ब्रिज के लिए भी मंजूरी दी. आपको बता दें कि डीएसी में रक्षा मंत्री के अलावा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, तीनों सेनाओं के प्रमुख और रक्षा सचिव होते हैं. गुरूवार को ही डीएसी की मीटिंग इसी साल बनाई गई रक्षा खरीद प्रक्रिया-2020 के बाद पहली बैठक थी.