रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण की दिशा में भारतीय‌ वायु‌सेना एक‌ और बड़ा कदम उठाने जा रही है. बुधवार को स्वदेशी फाइटर जेट, एलसीए तेजस की दूसरी स्क्वाड्रन कोयम्बटूर के करीब सुलूर में शुरू होने जा रही है. खास बात ये है कि ये एलसीए तेजस, 'एफओसी' वर्जन है और पहले के तेजस फाइटर जेट से ज्यादा एडवांस और लीथल यानि खतरनाक हैं.


एफओसी यानि फाइनल ओपरेशनल क्लीयेरेंस, तेजस लड़ाकू विमान, बियुंड विजयुल रेंज (बीवीआर) मिसाइल से लैस है जो 50 किलोमीटर दूर ही टारगेट को लॉक कर सकती है. लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस में इजरायल की डर्बी बीवीआर मिसाइल लगी है. साथ ही इन एफओसी एयरक्राफ्ट्स में एयर टू एयर रिफ्यूलिंग तकनीक भी है. यानि हवा में ही रिफ्यूलिंग हो सकती है.


ये दोनों तकनीक शुरूआती तेजस में नहीं थी. वायुसेना में तेजस की जो पहली स्कॉवड्रन शामिल की गई थी उन्हें आईओसी यानि इनीशियल ऑपरेशनल क्लीयेरेंस के नाम से जाना जाता है. एक स्कॉवड्रन में 16-18 फाइटर जेट होते हैं और दो फाइटर एयरक्राफ्ट होते हैं. खुद एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया एफओसी स्कॉवड्रन के गठन-समारोह के दौरान सुलूर एयरबेस‌ पर मौजूद रहेंगे.


तेजस‌ एक फोर्थ जेनरेशन बेहद ही लाइट यानि हल्का विमान है. ये अपने जेनरेशन के सभी फाइटर जेट्स में सबसे हल्का है. स्क्वाड्रन की कमी से जूझ रही वायुसेना को जुलाई के महीने में 36 रफाल लड़ाकू विमानों की पहली खेप फ्रांस से मिलने जा रही है. शुरूआत में चार रफाल के साथ 'गोल्डन एरो' स्कॉवड्रन हरियाणा के अंबाला से ऑपरेट करेगी और चीन-पाकिस्तान सीमा की निगहबानी करेगी.


दूसरे दिन भी बड़े पैमाने पर कैंसिल हुईं उड़ानें, यात्री परेशान, जानिए ऐसा क्यों हो रहा है