Indian Airforce: वायु सेना के दमदार अपाचे हेलीकॉप्टर को लद्दाख में करनी पड़ी इमरजेंसी लैंडिंग, ऐसा क्या हुआ जो पायलट को उठाना पड़ा ये कदम
Indian Airforce: इस हादसे के बाद भारतीय वायु सेना की ओर से बयान जारी कर कहा गया कि यह धटना 3 अप्रैल को घटी. अधिक ऊंचाई के कारण लैंडिंग के दौरान यह हेलीकॉप्टर क्षतिग्रस्त हो गया.
Indian Airforce Apache Helicopter: भारतीय वायु सेना के अपाचे हेलीकॉप्टर ने लद्दाख में आपातकालीन लैंडिंग की. वायुसेना की ओर से कहा गया कि ऊबड़-खाबड़ इलाके और अधिक ऊंचाई के कारण यह हेलीकॉप्टर क्षतिग्रस्त हो गया. इस हादसा बुधवार (3 अप्रैल) को हुई, जिसमें हेलीकॉप्टर में सवार दोनों पायलट सुरक्षित हैं.
लैंडिंग के दौरान हेलीकॉप्टर क्षतिग्रस्त
भारतीय वायु सेना ने इस घटना को लेकर बयान जारी कर कहा, "लद्दाख में ऑपरेशनल ट्रेनिंग के दौरान 3 अप्रैल को अपाचे हेलीकॉप्टर की आपातकालीन लैंडिंग कराई गई. उतार-चढ़ाव का भरे इलाके और ज्यादा ऊंचाई होने के कारण लैंडिंग के दौरान हेलीकॉप्टर को नुकसान पहुंचा है, हालांकि दोनों पायलट सुरक्षित हैं."
भारतीय वायु सेना ने कहा, "अपाचे हेलीकॉप्टर में सवार दोनों पायलट को नजदीकी एयरबेस पर ले जाया गया है. इस घटना के कारणों का पता लगाने के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का आदेश दिया गया है."
जम्मू कश्मीर के NH पर इन हेलीकॉप्टर्स की हुई थी लैंडिंग
इससे पहले भारतीय वायुसेना के चिनूक, एमआई-17 और एएलएच हेलीकॉप्टर्स जम्मू कश्मीर के नेशनल हाइवे पर आपात स्थिति की तैयारी की प्रैक्टिस के दौरान लैंडिंग की थी. अधिकारियों के अनुसार, दो अमेरिका निर्मित चिनूक, एक रूस निर्मित एमआई-17 और दो एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) मंगलवार की सुबह जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाइवे के वानपोह-संगम रास्ते पर उतरा था.
चिनूक हेलीकॉप्टर की अधिकतम स्पीड 310 किमी प्रति घंटे और यात्रा सीमा 741 किमी है. इसका उपयोग भारी सामान उठाने के लिए किया जाता है. इसके मुख्य केबिन में 33 से अधिक सैनिक बैठ सकते हैं. इसका उपयोग मेडिकल के लिए भी किया जा सकता. इसमें 24 स्ट्रेचर के लिए जगह है.
एमआई-17 हेलीकॉप्टर का उपयोग प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राहत और बचाव कार्यों में किया जाता है. जम्मू कश्मीर में आपातकालीन लैंडिंग पट्टी पर साल 2020 में काम शुरू किया गया था. देश भर में अलग-अलग स्थानों पर ईएलएफ के निर्माण के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के साथ भारतीय वायुसेना की ओर से शुरू किए गए कार्यक्रम साल 2023 के अंत पूरा हुआ.
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