International Passenger Traffic: भारत से उड़ान भरने वाले अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के ट्रैफिक में भारतीय एयरलाइंस का योगदान फिलहाल 43 फीसदी है. CRISIL रेटिंग्स की मानें तो 2028 के वित्तीय वर्ष तक ये योगदान 50 फीसदी तक पहुंच जाएगा. CRISIL का मानना है कि ऐसा इसलिए भी संभव है क्योंकि भारतीय एयरलाइंस लगातार नए विमानों को अपने बेडे़ में जोड़ रही हैं, साथ ही साथ नए अंतरराष्ट्रीय रूट्स पर भी विमान सेवा बढ़ा रही हैं. उनका कहना है कि अंतरराष्ट्रीय विमान एजेंसियों की तुलना में बेहतरीन डॉमेस्टिक कनेक्टिविटी भी एक बड़ी वजह है, जिसके चलते आने वाले सालों में भारतीय एजेंसियां इंटरनेशनल पैसेंजर ट्रैफिक में अपना योगदान बढ़ा पाएंगी.
इस उपलब्धि से भारतीय विमान एजेंसियों के मुनाफे में भी बढ़ोत्तरी होने के कयास लगाए गए हैं. वित्त वर्ष 2024 की बात करें तो भारत का अंतरराष्ट्रीय यात्री ट्रैफिक 70 मिलियन यानी 7 करोड़ तक पहुंच गया है. 2021 में कोरोना महामारी के समय ये 10 मिलियन यानी 1 करोड़ तक गिर गया था. महामारी के बाद से भारतीय एयरलाइंस का इंटरनेशनल पैसेंजर ट्रैफिक में योगदान बढ़ा है.
क्या है भारतीय एयरलाइंस की इस उपलब्धि का वजह?
CRISIL रेटिंग्स के सीनियर डायरेक्टर और डिप्टी चीफ रेटिंग्स ऑफिसर मनीष गुप्ता का कहना है कि भारतीयों के विदेश दौरों में बढ़ती रुचि, वीजा नियमों में आसानी, एयरपोर्ट्स की संख्या में बढ़ोत्तरी और बेहतरीन होती एयर ट्रेवल कनेक्टिविटी के चलते इंटरनेशनल ट्रेवल्स में भी भारी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. उनका कहना है कि सरकार भी भारत को टूरिज्म का केंद्र बनाने की ओर ध्यान दे रही है, जिसके चलते भी इसमें बढ़ोत्तरी हुई है.
भारतीय एयरलाइंस भी इंटरनेशनल पैसेंजर ट्रैफिक में अपना दबदबा बनाने के लिए लगातार कोशिशों में जुटी हुई हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि इस क्षेत्र में डॉमेस्टिक की तुलना में कम प्रतिस्पर्धा है और ज्यादा मुनाफा है. क्राइसिल रेटिंग्स के मुताबिक भारतीय एजेंसियों ने पिछले 15 महीने के दौरान ही 55 नए इंटरनेशनल रूट्स पर विमान सेवा शुरू की है और इसी के साथ कुल रूट्स की संख्या 300 के पार पहुंच गई है.
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