नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने से बौखलाए पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मुंह की खानी पड़ी है. चीन की जिद पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर पर बंद कमरे में चर्चा हुई. रिपोर्ट्स के मुताबिक इस चर्चा में पाकिस्तान को सिर्फ चीन का ही साथ मिला, बाकी देशों ने भारत का साथ दिया. रूस ने तो खुले आम कह दिया कि यह द्विपक्षीय मामला है. यूएनएससी में बंद कमरे की चर्चा के बाद संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई दूत सैयद अकबरुद्दीन प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आए. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने पाकिस्तान को ना सिर्फ आइना दिखाया बल्कि पूरी दुनिया के भारत का स्टैंड एक बार फिर साफ कर दिया.


इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद सैयद अकबरुद्दीन की सोशल मीडिया पर जमकर चर्चा हो रही है. दरअसल सैयद अकबरुद्दीन ने अपनी बात रखने के बाद मीडिया के सवाल से सवाल लेने शुरू किए. अकबरुद्दीन ने सबसे पहले तीन पाकिस्तानी पत्रकारों के सवालों का जवाब दिया. अपने बेबाक अंदाज से दिए सटीक जवाबों के जरिए अकबरुद्दीन ने ना सिर्फ पाकिस्तानी पत्रकारों की बोलती बंद कर दी बल्कि ये भी कहा कि आप लोगों को कोई संशय ना रहे इसलिए मैंने पहले तीन पाकिस्तानी पत्रकारों के सवाल लिए.





इन्हीं पाकिस्तानी पत्रकारों में एक ने सैयद अकबरुद्दीन को घेरने की कोशिश करते हुए सवाल पूछा कि आप पाकिस्तान के साथ बातचीत कब शुरू करेंगे. इस पर सैयद अकबरुद्दीन ने जो किया वो पाकिस्तानी पत्रकार ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा. अकबरुद्दीन ने कहा कि चलिए आप तीनों के साथ हाथ मिलाकर अभी इसकी शुरुआत करते हैं. इसके बाद वे एक एक तीनों पाकिस्तानी पत्रकारों के पास गए उनसे हाथ मिलाया.


प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पाकिस्तान को दुनिया के सामने बेनकाब करते हुए अकबरुद्दीन ने कहा, ''एक विशेष चिंता यह है कि एक देश और उसके नेतागण भारत में हिंसा को प्रोत्साहित कर रहे हैं और जिहाद की शब्दावली का प्रयोग कर रहे हैं. हिंसा हमारे समक्ष मौजूदा समस्याओं का हल नहीं है.'' अकबरुद्दीन ने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर कहा कि कुछ लोग कश्मीर में स्थिति को 'भयावह नजरिए'' से दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, जो वास्तविकता से बहुत दूर है. उन्होंने कहा कि वार्ता शुरू करने के लिए आतंकवाद रोकिए.


बता दें कि बंद कमरे में बैठकों का ब्यौरा सार्वजनिक नहीं होता और इसमें बयानों का शब्दश: रिकॉर्ड भी नहीं रखा जाता. विचार-विमर्श सुरक्षा परिषद के सदस्यों की अनौपचारिक बैठकें होती हैं. भारत और पाकिस्तान ने बैठक में भाग नहीं लिया. बैठक परिषद के पांच स्थायी और 10 अस्थायी सदस्यों के लिए ही थी. संयुक्त राष्ट्र के रिकॉर्ड के मुताबिक, आखिरी बार सुरक्षा परिषद ने 1965 में 'भारत-पाकिस्तान प्रश्न' के एजेंडा के तहत जम्मू कश्मीर के क्षेत्र को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद पर चर्चा की थी.