नाथूला बॉर्डर: चीन के राष्ट्रीय दिवस के मौके पर भारत चीन सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं ने आज सेरेमोनियल मीटिंग की. सिक्किम सेक्टर में नाथूला बॉर्डर पर भारत और चीन की सेनाओं के कमांडर्स ने मुलाकात की. यहां नाथू ला में दोनों देशों के बीच होने वाली बॉर्डर पर्सनैल मीटिंग हट है जहां दोनों देशों के सैनिक मीटिंग करते हैं. क्योंकि ये चीन का राष्ट्रीय दिवस है इसलिए ये मीटिंग चीन की बीपीएम हट में हो रही है. दरअसल, 1 अक्टूबर को चीन का राष्ट्रीय दिवस होता है इसलिए इस अवसर पर चीन की पीएलए सेना के कमांडर भारतीय सेना के कमांडर्स को अपनी तरफ निमंत्रण देते हैं. इस दौरान एबीपी न्यूज की टीम नाथू ला बॉर्डर पर मौजूद थी.
आपको बता दें कि जल्द ही चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत की यात्रा पर आ रहे हैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से खास मुलाकात करने के लिए. ऐसे में दोनों देश की सेनाओं के बीच इस तरह की तस्वीरें दिखाती हैं कि सीमा पर भी गर्मजोशी दिखाई पड़ रही है. हालांकि भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा यानि एलएसी पर लद्दाख से लेकर सिक्किम, अरूणाचल प्रदेश और डोकलम में तनातनी दिखती रहती है, झड़पें भी होती हैं और 70-70 दिन तक फेसऑफ भी होता है, जैसाकि डोकलम विवाद के दौरान हुआ था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग के बीच हुई समिट के बाद से दोनों देशों की सेनाओं को 'स्ट्रेटेजिक गाईडेंस' देने का आदेश दिया गया था जिसके बाद से इस तरह की बीपीएम मीटिंग में दोनों देशों के कमांडर्स के बीच इस तरह के भाईचारे और दोस्ती की तस्वीरें सामने आती हैं.
सुबह करीब 10 बजे भारतीय सेना के अधिकारी नाथू ला बॉर्डर के गेट पर पहुंचे. भारतीय सेना के दल का प्रतिनिधित्व ब्रिगेडियर एस के डडवाल ने किया. भारतीय दल की आगवानी के लिए खुद चीनी सेना के बड़े अधिकारी मौजूद थे. इस दौरान गिफ्ट्स का आदान प्रदान हुआ और दोनों देशों के सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ. करीब 45 मिनट के रंगारंग कार्यक्रम में चीन के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा भारतीय गाने और भंगड़ा भी शामिल थे. लेकिन इसका खास आकर्षण रहा एक भारतीय सैनिक द्वारा चीनी गीत गाना. भारतीय बैंड ने चीनी अधिकारियों के लिए एक चीनी धुन भी तैयार की थी. दोपहर 1.30 बजे भारतीय सेना का प्रतिनिधिमंडल वापस लौट आया. दोनों देशों की फ्लैग होस्टिंग यानि ध्वजारोहण हुआ और सैनिकों ने सलामी दी.
आपको बता दे कि वर्ष 2017 में जो डोकलम विवाद हुआ था वो नाथूला से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर हुआ था. डोकलम विवाद को निपटाने के लिए दोनों देश के सीनियर अधिकारी इसी बीपीएम हट में ही फ्लैग मीटिंग करते थे. क्योंकि जब भी दोनों देशों के सैनिकों के बीच सीमा पर झड़प होती है तो इन बीपीएम हट में ही फ्लैग मीटिंग होती हैं. भारत और चीनी सेना के बीच इन मीटिंग्स का उद्देश्य यही है की दोनों देशों के बीच जो टकराव के मुद्दे हैं वे विवाद ना न पाए, जैसाकि खुद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि 'डिफ्रेंसिस शूड नॉट बिकम डिस्पियूट्स'.
नाथूला बॉर्डर के बारे में विस्तार से जानिए
भारत और चीन के बीच जो करीब 3488 किलोमीटर बॉर्डर है उसपर पांच बीपीएम हट्स हैं. नाथूला में सबसे पुरानी हट है जो 1990 में बनाई गई थी. इसके अलावा पूर्वी लद्दाख में दो हैं डीबीओ और चुशुल और अरूणाचल प्रदेश में भी दो हैं, एक तवांग के करीब बूमला और दूसरी किबीथू. ऐसे में यहां दो तरह की मीटिंग होती हैं, फ्लैग मीटिंग और सेरेमोनियल बीपीएम मीटिंग. कुल 4-6 सेरेमोनियल मीटिंग होती हैं. भारत के गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर भारत की बीपीएम हट में ये सेरेमोनियल मीटिंग होती हैं.
नाथूला बॉर्डर का खूनी इतिहास और चीन की शिकस्त
नाथूला बॉर्डर का खूनी इतिहास रहा है जिसमें चीन की करारी हार भी शामिल है. इस हार के बारे में कम ही लोग जानते हैं. दरअसल, 1965 में जब भारत-पाकिस्तान का युद्ध चल रहा था तब चीनी सेना ने भारतीय सैनिकों के खिलाफ साईकलोजिकल ऑपरेशन करने लगे. चीनी सैनिकों ने यहां पर एक बड़ा सा लाउड स्पीकर लगा दिया और उसपर दिन रात एनाउंसमेंट करते थे कि नाथूला से भाग जाए नहीं तो 'माओ की सेना' आ जायेगी.
दरअसल, 1962 की जीत के बाद से चीनी सैनिक हमेशा भारतीय सैनिकों पर हावी रहने की कोशिश करते थे. लेकिन 1967 में जब नाथूला बॉर्डर पर भारतीय सेना ने फैंस यानि कटीली तार लगाने की कोशिश की तो चीनी सैनिकों ने यहां पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी जिसमें भारत के 50-60 सैनिक शहीद हो गए थे. लेकिन इसके बाद भारतीय सेना ने चीनी सेना पर मोर्टार और तोप से गोलाबरी शुरू कर दी. पांच दिन तक चली इस लड़ाई में चीन के 300-400 सैनिक मारे गए थे. वो फैंस आज भी दोनों देशों की सीमा पर ज्यों की त्यों पड़ी है.
इसके एक महीने बाद ही नाथूला के करीब चोला पास (दर्रे) पर चीनी सैनिकों ने भारतीय सेना के एक जेसीओ की राइफल के आगे लगी ब्योनेट घोंपकर हत्या कर दी थी. ये विवाद एक पत्थर पर खड़े होने को लेकर शुरू हुआ था ('माओ रॉक'). दोनों तरफ से हुई गोलाबारी में चीन के कम से कम 40 सैनिक मारे गए थे जबकि भारत के 20 सैनिक शहीद हुए थे. इन दोनों घटनाओं के बाद से इस सेक्टर में चीन नए फिर कभी कोई ऐसी हिमाकत नहीं की. उसके बाद से सिक्किम तो क्या पूरी भारत चीन सीमा पर एक भी गोली नहीं चली. यहां तक की डोकलम विवाद के दौरान भी चीनी सैनिक भारतीय सेना कए दवाब में पीछे हट गए और सड़क बनाना बंद कर दिया था जिसको लेकर पूरा विवाद शुरू हुआ था.
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