Ammo India 2022: थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे (Manoj Pandey) ने गुरुवार को राजधानी दिल्ली में फिक्की (Ficci) द्वारा आयोजित दो दिवसीय 'एमो-इंडिया' (Ammo India) (मिलिट्री-एम्युनेशन) कांफ्रेंस को संबोधित किया. अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि भारत की सुरक्षा रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) से लेकर पड़ोसी देशों में राजनीतिक अस्थिरता (Political Instability) और अनिश्चितता से प्रभावित होती है. ऐसे में भारत की सेना (Indian Army) को हमेशा से बड़ी मात्रा में गोला-बारूद (Arms-Ammunition) की आवश्यकता रही है. 


इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत का सिक्योरिटी-एनवायरनमेंट ग्लोबल और रीजनल डायनेमिक्स से उभरता है. फिर चाहे वो पिछले चार महीने से चल रहा रुस-यूक्रेन युद्ध हो या फिर पड़ोसी देशों में राजनीतिक अस्थिरता और अनिश्चितता हो. 


क्यों अहम है सेना के लिए गोला-बारूद?
थलसेना प्रमुख के मुताबिक पिछले दो सालों में पहले कोरोना महामारी हो या फिर लाइन ऑफ कंट्रोल यानी एलएसी पर चीन के साथ टकराव, दोनों ही परिस्थितियों बताती हैं कि हमारी सेना के लिए गोला-बारूद क्यों बेहद अहम है. इसीलिए गोला-बारूद के उत्पादन में भी भारत को आत्मनिर्भर बनने की जरूरत है. 


एम्युनेशन में किन कंपनियों का है स्कोप?
थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडेय (Manoj Pandey) ने कहा कि गोला-बारूद (Arms-Ammunition) के क्षेत्र में प्राईवेट कंपनियों के लिए भी बड़ा स्कोप है. क्योंकि भारतीय सेना (Indian Army) को अलग-अलग तरह के गोला-बारूद की बड़ी संख्या में जरूरत है. हमारे सामने एम्युनेशन की जिम्मेदारी, क्वालिटी और समय से डिलीवरी जैसी चुनौतियां भी हैं. जनरल मनोज ने कहा कि पहले भारत अधिकतर एम्युनेशन का आयात करता था लेकिन पिछले कुछ समय से ये तस्वीर बदल गई है.




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