'राष्ट्रीय सुरक्षा को आउटसोर्स नहीं कर सकते, डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता जरूरी', आर्मी चीफ ने बताया सेना का लक्ष्य
Indian army: जनरल पांडे ने कहा कि हमारी रक्षा जरूरतों को पूरा करने की प्रक्रिया में नए हथियार प्लेटफॉर्मों या उपकरणों को हासिल करने और मौजूदा के रखरखाव के लिए हमें दोनों में आत्मनिर्भर होना होगा.
भारत सरकार और सेना का पूरा फोकस हथियारों के मामले में खुद को आत्मनिर्भर बनाने पर है. इसी कड़ी में सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने इस लक्ष्य के महत्व को बताया है. उन्होंने रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की रणनीतिक अनिवार्यता को दोहराते हुए कहा है कि देश की सुरक्षा को न तो आउटसोर्स किया जा सकता है और न ही दूसरों की उदारता पर निर्भर रखा जा सकता है. जनरल पांडे ने एक सम्मेलन में कहा कि सेना वर्तमान में 2025 तक 230 कॉन्ट्रैक्ट को पूरा करने के लिए 340 स्वदेशी रक्षा उद्योगों के साथ काम कर रही है, जिसमें 2.5 लाख करोड़ रुपये का खर्च शामिल है.
जनरल पांडे ने कहा कि हमारी रक्षा जरूरतों को पूरा करने की प्रक्रिया में नए हथियार प्लेटफॉर्मों या उपकरणों को प्राप्त करने और मौजूदा के रखरखाव के लिए हमें दोनों में आत्मनिर्भर होने की जरूरत है. राष्ट्र के लिए एक मजबूत और प्रभावी डिफेंस इंडस्ट्री ईकोसिस्टम का होना बहुत जरूरी है. इसमें स्वदेशी रिसर्च, डिजाइन, विकास और उत्पादन क्षमताएं शामिल हैं.
सरकार के प्रयासों की सराहना की
उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने इस दिशा में कई काम किए हैं, जिनमें औद्योगिक लाइसेंसिंग को आसान बनाना, डी-रेगुलेशन, निजी क्षेत्र की समावेशी भागीदारी और विदेशी निवेश उदारीकरण से लेकर टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के लिए प्रोत्साहन, सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियों की घोषणा, ऑर्डिनेंस फैक्ट्री निगमीकरण, कारखानों और दो डिफेंस कॉरिडोर की स्थापना आदि शामिल है.
सेना के लक्ष्य के बारे में विस्तार से की बात
मेजर पांडे ने मौजूदा समय में विश्व व्यवस्था में चल रहे भू-राजनीतिक बदलाव के साथ-साथ हानिकारक टेक्नोलॉजी पारंपरिक युद्ध बल अनुपात को कैसे तबाह कर रही है का जिक्र करते हुए कहा कि भविष्य के लिए सेना का दृष्टिकोण एक आधुनिक, टेक्नोलॉजी से लैस और आत्मनिर्भर भविष्य के लिए तैयार रहने वाले फोर्स के रूप में बदलने के साथ-साथ मल्टीडोमेन ऑपरेशनल एनवायरनमेंट में युद्धों को रोकना और जीतना भी है.
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