Army Logistics Seminar: आर्मी चीफ बोले- 'सिविल और मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर का फ्यूजन बेहद जरूरी', रूस-यूक्रेन युद्ध का भी किया जिक्र
Indian Army Logistics Seminar: थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने रूस-यूक्रेन युद्ध का उदाहरण देते हुए कहा कि मिलिट्री ऑपरेशन की तीव्रता और पहुंच लॉजिस्टिक सपोर्ट की ताकत और क्षमता पर आधारित होती है.
Samanjasya Se Shakti: थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ( Manoj Pande) ने सोमवार को थीम 'सामंजस्य से शक्ति' सम्मलेन को संबोधित करते हुए कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) की तस्वीरों से साफ हो गया कि किसी भी देश की सेना के लिए जंग के दौरान लॉजिस्टिक सपोर्ट कितना जरूरी है. सम्मलेन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित वायुसेना और नौसेना के प्रमुख भी मौजूद थे. इसके अलावा प्राइवेट इंडस्ट्री और नीति आयोग के सदस्य भी शामिल रहे.
सम्मेलन को संबोधित करते हुए थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने रूस-यूक्रेन युद्ध का उदाहरण देते हुए कहा कि किसी भी मिलिट्री ऑपरेशन की तीव्रता और पहुंच लॉजिस्टिक सपोर्ट की ताकत और क्षमता पर आधारित होती है.
रूस-यूक्रेन युद्ध
पिछले छह महीने से रूस और यूक्रेन के बीच में युद्ध चल रहा है. यूक्रेन के मुकाबले रूस भले ही एक सुपर पावर हो लेकिन जंग में रूसी सेना को लॉजिस्टिक सपोर्ट में खासी दिक्कत आ रही है. यही वजह है कि रूसी सेना यूक्रेन के किसी भी इलाके में ज्यादा दिन तक नहीं टिक पा रही है. चाहे फिर वो जंग के शुरुआत में यूक्रेन की राजधानी कीव के आसपास का इलाका हो या फिर हाल में खारकीव का.
हाल ही में खारकीव से रूसी सेना को अपने पांव पीछे खींचने पड़े हैं. यूक्रेन की सेना ने जब खारकीव के इलाकों को अपने अधिकार-क्षेत्र में लिया तो उन्हें वहां बड़ी संख्या में रूसी टैंक और आर्मर्ड व्हीकल्स मिले जो कि इस बात की तरफ इशारा करते कि इन टैंक और मिलिट्री-गाड़ियों को तेल और ईंधन की कमी के चलते रूसी सैनिक वहीं छोड़कर भाग गए या फिर टैंक रास्ते में खराब हो गए. रूसी सेना के पास इसे ठीक कराने का कोई साधन नहीं था. हालांकि, रूसी सेना का दावा कि सेना की रिअरेंजमेंट के चलते किया जा रहा लेकिन हकीकत ये है कि यूक्रेन के खिलाफ रूसी सेना को लॉजिस्टिक की खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
चीन को सेकर बोले
जनरल मनोज पांडे ने पूर्वी लद्दाख में चीन से तनाव पर बोला कि समय रहते वायुसेना के एयर-लिफ्ट के चलते ही थल सेना अपने सैनिकों और फॉर्मेशन्स को बेहद तेजी से फॉरवर्ड लोकेशन पर तैनात कर सकी. थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने साफ तौर पर कहा कि मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर युद्ध के समय त्वरित कारवाई के लिए होते हैं. युद्ध को लंबे समय तक खींचने के लिए देश के सिविल इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होती हैं जिसमें कि ट्रांसपोर्ट, सड़कें, एयरफील्ड, बंदरगाह, ऊर्जा आदि शामिल है.
इस मौके पर बोलते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि फ्यूचर-वॉर में लॉजिस्टिक के लिए न केवल सशस्त्र-सेनाओं के बीच ज्वाइंटनेस की आवश्यकता होगी बल्कि इंडस्ट्रियल बैक-अप, रिसर्च एंड डेवलपमेंट, मैटेरियल सपोर्ट, इंडस्ट्री और मैन-पावर के तौर पर सभी के बीच एकीकरण की जरूरत होगी.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ऐसे में देश में लॉजिस्टिक्स को इंटीग्रेट करने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार ने अनेक नीतियां तैयार की हैं. इसमें नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी, पीएम गति शक्ति नेशनल मास्टर प्लान और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर जोर देना शामिल है. उन्होंने बताया कि आज देश में विश्व-स्तरीय सड़क, हाईवे और एक्सप्रेस-वे का निर्माण हो रहा है.
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