1971 के युद्ध की फोटो हटाने को लेकर विपक्ष ने मचाया था बवाल, सेना प्रमुख ने नई और पुरानी पेंटिंग पर दिया जवाब
1971 की जंग में पाकिस्तान के सरेंडर करने वाली तस्वीर हटाने पर भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने जवाब देते हुए कहा कि आत्मसमर्पण की पेंटिंग मानेकशॉ सेंटर के लाउंज में रखी गई है.
Indian army chief Upendra Dwivedi: हाल ही में, भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने अपने कार्यालय से 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के आत्मसमर्पण की प्रतिष्ठित तस्वीर हटाने के फैसले पर अपना पक्ष रखा. यह तस्वीर उनके लाउंज की दीवार पर लगी थी, लेकिन दिसंबर में इसे मानेकशॉ कन्वेंशन सेंटर भेज दिया गया. इसके जगह पर नई पेंटिंग कर्म क्षेत्र लगाई गई है, जो सेना के आधुनिक और बदलते रणनीतिक सोच को दिखाती है.
सेना प्रमुख ने बताया कि नई पेंटिंग "कर्म क्षेत्र" का अर्थ "कर्मों का क्षेत्र" है. इसे 28 मद्रास रेजिमेंट के लेफ्टिनेंट कर्नल थॉमस जैकब ने बनाया है. यह पेंटिंग सेना को एक धर्म संरक्षक और तकनीकी रूप से एडवांस्ड फोर्सेज के रूप में दिखाती है. पेंटिंग में लद्दाख में पैंगोंग झील, भगवान कृष्ण का रथ और चाणक्य को दर्शाया गया है, जो सामरिक ज्ञान और सभ्यता के मूल्यों का प्रतीक हैं.
पीढ़ीगत बदलाव की निशानी
जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने इस बदलाव को सेना के प्रतीकवाद और पीढ़ीगत बदलाव से जोड़ा. उन्होंने कहा कि नई पेंटिंग वर्तमान वास्तविकताओं और उत्तरी मोर्चे से आने वाली चुनौतियों के संदर्भ में बनाई गई है. उन्होंने यह भी कहा कि नई पेंटिंग अतीत, वर्तमान और भविष्य को जोड़ने का प्रयास करती है.
आलोचनाओं पर जवाब
नई पेंटिंग पर आई आलोचनाओं का जवाब देते हुए सेना प्रमुख ने कहा कि यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि प्रतिष्ठित 1971 की पेंटिंग को पूरी तरह से हटा दिया गया है. उन्होंने साफ किया कि सेना प्रमुख के दो लाउंज हैं और आत्मसमर्पण की पेंटिंग मानेकशॉ सेंटर के लाउंज में रखी गई है.
विपक्ष ने उठाए थे सवाल
बता दें कि सेना मुख्यालय में सेना प्रमुख के कमरे में लगी तस्वीर को हटाने को लेकर लोकसभा में 16 दिसंबर 2024 को जमकर बवाल हुआ था. प्रियंका गांधी से लेकर विपक्ष के कई नेताओं ने इस पर सवाल खड़े किए थे. जिस तस्वीर को लेकर आलोचना हुई थी, वह उस दौरान की है जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान सेना को घुटना टेकने पर मजबूर कर दिया था और पाकिस्तान के एक लाख जवानों ने भारतीय सेना के सामने सरेंडर किया था. इसके बाद एक नए देश बांग्लादेश का गठन हुआ था.