फिर से LAC पर 'जानवरों' वाली साजिश कर रहा था चीन, भारतीय सेना ने ऐसे दिया जोरदार जवाब
Indian Army handover Yaks to China: पूर्वी लद्दाख के डेमचौक इलाके में 40 चीनी याक चारा खाते-खाते भारतीय सीमा के भीतर आ गई, जिसे भारीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों से बात करके वापस लौटाया
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India-China LAC: भारत और चीन के बीच सीमा वास्तविक है यानी कि ना ही कोई दीवार है, ना ही कोई कटीले तार. दूर-दूर तक सिर्फ बंजर मैदान है. हल्की-फुल्की घास के यह मैदान सीमा के पास रहने वाले भारतीय गांव वालों के पशुओं के लिए लाइफ लाइन की तरह काम करते है. इसी घास को लेकर भारतीय चरवाहों और चीनी सैनिकों के बीच आए दिन झड़प होती रहती है, क्योंकि अक्सर जानवर खाते पीते सीमा पर चले जाते हैं. ऐसा ही कुछ बीते कुछ दिनों पहले हुआ, जब पूर्वी लद्दाख के डेमचौक इलाके में 40 चीनी याक चारा खाते-खाते भारतीय सीमा के भीतर आ गई.
इस बात की जानकारी 19 अगस्त को वीडियो पोस्ट करके चुशूल के काउंसलर कॉन्चेक तेनजिंग ने सोशल मीडिया पर शेयर की और कहा कि हमारे जानवर वहां जाते हैं तो वह लोग उन्हें वापस नहीं करते हैं, लेकिन हम बड़ा दिल दिखाते हुए चीनी जानवरों को वापस कर रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक दोनों देशों के बीच एक प्रोटोकॉल तय किया गया है, जिसके तहत भारतीय सीमा में यदि कोई जानवर आता है तो चीनी सेना को उसकी खबर की जाती है और उसके बाद लौटाया जाता है. भारतीय इलाके में चीनी याक के आने की जानकारी उस वक्त दी गई, जब भारतीय सेना ने हिदायत दी थी कि ऐसा ना हो.
चरवाहों के भेष में भारत में घुसते हैं चीनी जासूस
लद्दाख के ठंडे मरुस्थलों और तिब्बत के पठार में सदियों से जनजातीय लोग रहते हैं, जो अपने जानवरों को यहां चराने के लिए लेकर जाते हैं, लेकिन बीते कुछ दशकों से चीन इन इलाकों में चारवाहों के भेष में अपने जासूस सैनिक भेजता रहा है और भारत में अपनी गतिविधियों को अंजाम देता रहा है और यही कारण है कि वह इन चारगाहों पर कब्जे का दावा भी ठोकता रहा है. जब कभी भी भारत और चीन के बीच कोई विवाद होता तो उसका साफ कहना होता है कि उनके इलाके पर कब्जा किया गया है.
ऐसे शुरू होता है विवाद
भारत में लद्दाख एक ऐसी जगह है, जहां पर ठंडा रेगिस्तान होता है यहां पर किसी भी प्रकार के कोई पेड़ पौधे नहीं होते. अप्रैल से इन जगहों पर हल्की-फुल्की घास आनी शुरू हो जाती है, जहां पर चीन और भारत के चरवाहे अपने-अपने पशुओं को लेकर आते हैं. जैसे-जैसे घास खत्म होती जाती है चरवाहे आगे बढ़ने लगते हैं. हर साल सितंबर और अक्टूबर के महीने में चरवाहे दोनों देशों के कुछ इलाकों तक पहुंच जाते हैं. बस इसके बाद से ही विवाद शुरू हो जाता है और दोनों देशों के सैन्य अधिकारी बातचीत करके इसे सुलझाते हैं.
तनाव में बदल गया विवाद
चीन और भारत के बीच यह जमीन वाला विवाद 2020 के बाद तनाव में बदल गया. एलएसी के बेहद करीब कुछ चारगांहों को भारतीय सेना ने बंद कर दिया और उनकी जगह अन्य पशुओं को लेकर जाने की बात कही. लद्दाख में लगभग 10 चारगाह है. जब भी चीनी सेना भारतीय इलाकों में घुसने की कोशिश करती है तो फेसऑफ और स्टैंडऑफ से बचने के लिए वह अपने चरवाहों और उनके पशुओं को भेज देती है.
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