पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर तैनात भारतीय सैनिक पहन रहे हैं अमेरिकी सेना की यूनिफॉर्म, जानें क्यों?
भारतीय सेना के इतिहास में ये शायद पहली बार है जब भारतीय सैनिक दो देशों की वर्दी पहन रहे हैं यानी एक स्वदेशी और दूसरी अमेरिकी सेना की. पैंगोंग-त्सो झील कवरेज के लिए पूर्वी लद्दाख गई एबीपी न्यूज की टीम को कैंपों में अमेरिकी सेना की वर्दी पहने भारतीय सैनिक दिखाई पड़े थे. अब, एलएसी पर तैनात भारतीय सैनिकों को अमेरिकी विंटर-क्लोथिंग मिलनी शुरू हो गई है.
लद्दाखः पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर तैनात भारतीय सैनिकों को अमेरिकी विंटर-क्लोथिंग मिलनी शुरू हो गई है. ये यूनिफॉर्म अमेरिकी सेना की है लेकिन भारतीय सैनिकों के यूनिफॉर्म से अलग है. हाल ही में सीडीएस बिपिन रावत पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना की फॉरवर्ड पोस्ट पर तैयारियों का जायज़ा लेने गए थे. उस वक्त भारतीय सैनिकों के दो तरह की यूनिफॉर्म में दिखने की तस्वीर सामने आई थी. एक भारतीय सेना की पारंपरिक सर्दियों की ऑलिव वर्दी और दूसरी अमेरिकी सेना की विंटर-क्लोथिंग थी.
दो यूनिफॉर्म पहने दिखे एलएसी पर तैनात भारतीय सैनिक
पैंगोंग-त्सो झील कवरेज के लिए पूर्वी लद्दाख गई एबीपी न्यूज की टीम को कैंपों में अमेरिकी सेना की वर्दी पहने भारतीय सैनिक दिखाई पड़े थे. भारतीय सेना के इतिहास में ये शायद पहली बार है जब भारतीय सैनिक दो देशों की वर्दी पहन रहे हैं यानी एक स्वदेशी और दूसरी अमेरिकी सेना की. अब हम आपको बताते हैं ये कैसे संभव हो पाया. पिछले साल जब पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर भारत का चीनी के साथ विवाद शुरू हुआ, तब भारत के सामने चीनी सेना से निपटना प्रमुख चुनौती होने के साथ मौसम से लड़ना भी टेढ़ी खीर था.
सर्दी की ऑलिव वर्दी और अमेरिकी सेना की विंटर-क्लोथिंग
मई 2020 में जब चीन से विवाद शुरू हुआ, तब भारतीय सेना की एक डिवीजन यानी 20 हजार सैनिक चीन से सटी पूर्वी लद्दाख की 826 किलोमीटर लंबी एलएसी (लाइन ऑफ एक्चयुल कंट्रोल) पर तैनात रहते थे. लेकिन जब चीन ने करीब 50 हजार पीएलए सैनिक पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर तैनात किए, तो भारत को भी 'मिरर-डिप्लोयमेंट' करना पड़ा. यानी 30 हजार अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती करनी पड़ी. ऐसे में 30 हजार अतिरिक्त सैनिकों के लिए विंटर-क्लोथिंग की बेहद जरूरत थी. भारत ने यूरोप की कुछ कंपनियों से बल्क में 'विंटर क्लोथिंग' की खरीदारी की, लेकिन उसकी कमी हो गई. कमी को पूरा करने के लिए उसकी मदद अमेरिका ने की.
दरअसल, वर्ष 2016 में भारत और अमेरिक ने लॉजिस्टिक एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट यानि लेमोआ करार किया था. इसके तहत दोनों देश एक दूसरे के सैन्य अड्डे, छावनी और बंदरगाह इस्तेमाल करने के साथ सैन्य मदद भी कर सकते हैं. इसलिए पिछले साल अक्टूबर में अमेरिका ने अपने विंटर-स्टॉक से भारतीय सेना को मदद की. हालांकि, अभी साफ नहीं है कि अमेरिका से भारत को कितनी विंटर-क्लोथिंग की सप्लाई हुई है. लेकिन पूर्वी लद्दाख में बड़ी तादाद में भारतीय सैनिक अमेरिकी सेना की विंटर-यूनिफॉर्म पहने देखे जा सकते हैं.
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