बिहार: भारतीय सेना में शामिल हुए 30 'टेक्नो-वॉरियर्स', दुश्मनों के हौसले करेंगे पस्त
बिहार के गया में भारतीय सेना के ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए) में अधिकारियों की पासिंग आउट परेड (पीओपी) आज हुई.
गया: बिहार के गया में भारतीय सेना के ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए) में अधिकारियों की पासिंग आउट परेड (पीओपी) आज हुई. इसमें देश के 30 और विदेश के 13 अधिकारी आज पास आउट हुए. इस बार के पीओपी की खास बात ये है कि इस बैच के सभी अधिकारी इंजीनियर्स हैं. लेकिन ये अधिकारी सेना की इंफेंट्री से लेकर ईएमई और टैंक रेजीमेंट में तैनात किए जा सकते हैं. साईबर वॉरफेयर से लेकर स्पेस वॉरफेयर और इंफोर्मेशन वॉरफेयर तक से लड़ने में इन्हें महारत है. यही वजह है कि सेना इन्हें 'टेक्नो-वॉरियर्स' के तौर पर देख रही है यानी आधुनिक तकनीक में कौशल ऐसे यौद्धा जो देश की सेवा और सुरक्षा के लिए ओटीए गया में तैयार हुए हैं.
पासिंग आऊट परेड (पीओपी) के बाद ये सभी सेना के कमीशंड अधिकारी बन जाएंगे. समारोह में वियतनाम की सेना की डिप्टी चीफ लेफ्टिनेंट जनरल न्गौ मिन थेएन मुख्य अतिथि हैं. कुल 30 भारतीय अधिकारी और 13 विदेशी कैडेट्स इस पीओपी के हिस्सा हैं. विदेशी कैडेट्स में चार वियतनाम के हैं और बाकी भूटान, श्रीलंका और म्यांमार के हैं. वियतनामी और बाकी नौ विदेशी कैडेट्स पिछले चार साल से भारतीय सेना के 34वें टीईएस कोर्स का हिस्सा रहे हैं. ऐसे में ये वियतनामी कैडेट्स हिंदी भाषा के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और रीति-रिवाजों से भी वाकिफ हो गए हैं. वे भी अपनी अपनी देश की सेनाओं के टेक्नो-वॉरियर्स के तौर पर सेवाएं देंगे.
वियतनाम की सेना के डिप्टी चीफ बोले
इस मौके पर कैडेट्स को संबोधित करते हुए ले. जनरल न्गौ मिन थेएन ने कहा है कि आज के समय में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है कि सैन्य अधिकारी टेक्नोलोजी के साथ कदम ताल रखें और हमेशा फ्रंट से लीड करें जिसके लिए भारतीय सेना हमेशा से जानी जाती है. दरअसल, बॉर्डर विवाद हो या फिर दक्षिण चीन सागर में ड्रैगन की दादागिरी हो, चीन और वियतनाम के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण हैं. ठीक वैसे ही जैसे भारत का चीन से सीमा विवाद हो या फिर हिंद महासागर में चीन की उपस्थिति. भारत और वियतनाम दोनों ही चीन से युद्ध लड़ चुके हैं लेकिन वियतनामी सेना के जनरल को ओटीए गया में पीओपी का मुख्य अतिथि बनाकर भारत ने 'मिलिट्री-डिप्लोमेसी' का एक सटीक कार्ड चल दिया है.
वियतनामी सेना को दुनिया की दो बड़ी सुपर-पॉवर, चीन और अमेरिका को अलग अलग लड़ाईयों में दांत खट्टे करने के तौर पर एक अलग पहचान मिल चुकी है. आपको बता दें कि चीन ने जब भारत को घेरने के लिए 'स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स' की नीति अपनाई तो भारत ने भी मिलिट्री-डिप्लोमेसी के जरिए चीन पर अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया. भारतीय सेना हर साल वियतनाम के कैडेट्स को ओटीए गया सहित आईएमए देहरादून में सैन्य प्रशिक्षण देती है. ओटीए गया के कमांडेंट, लेफ्टिनेंट जनरल सुनील श्रीवास्तव ने एबीपी न्यूज को बताया कि इस तरह से दोनों देशों की सेनाओं में अच्छा तालमेल बनता है.
भारत और वियतनाम ने एक साझा विजन स्टेटमेंट साइम किया है जिसमें 2015- 20 के दौरान दोनों देशों का रक्षा क्षेत्र में किस तरह का सहयोग होगा उसपर जोर दिया गया है. थलसेना में वियतनाम के सैनिकों की ट्रेनिंग के साथ साथ भारतीय नौसेना भी अबतक करीब 450 वियतनामी नौसैनिकों को सबमरीन वॉरफेयर और दूसरी युद्धकला में प्रशिक्षण दे चुकी है. भारतीय वायुसेना ने भी वियतनाम के पायलट्स को प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है. इसके अलावा दोनों देशों की थलसेनाएं और नौसेनाएं एक सात साझा युद्धभ्यास भी करती हैं.
हाल ही में भारत ने वियतनाम को 100 मिलियन डॉलर का डिफेंस लाइन क्रेडिट दिया है जिसके तहत भारत, समुद्री बोट्स का निर्माण भी वियतनाम के लिए कर रहा है. वियतनामी सेना की मदद के लिए भारत एक आर्मी सॉफ्टवेयर पार्क भी वियतनाम में खोलना जा रहा है. भारत की डिफेंस पीएसयू, बीईएल ने अपना दफ्तर वियतनाम में खोल लिया है.
आपको बता दें कि दोनों देशों के वरिष्ट सैन्य अधिकारियों और राष्ट्रध्यक्षों की एक दूसरे के देश की यात्राओं से संबंध और प्रगाढ हुए हैं. हाल ही में वियतनाम के सेना प्रमुख भी भारत के दौरे पर आए थे (24-27 दिसम्बर). लेकिन दोनों देशों के संबंध और भी मजबूत हो जाएंगे जब भारत दुनिया की सबसे घातक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, ब्रह्मोस वियतनाम को निर्यात करेगा जिसे लेकर दोनों देशों में बातचीत चल रही है.
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