Women In Indian Army: भारतीय सेना की पांच महिला अधिकारियों को प्रमोशन कर दिया गया कर्नल रैंक
Women In Indian Army: पहली बार है जब कॉर्प्स ऑफ सिग्नल्स, कॉर्प्स ऑफ इलेक्ट्रोनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स, कॉर्प्स ऑफ इंजीनियर्स में काम कर रही महिला अधिकारियों को कर्नल रैंक की मंजूरी दी गई हो.
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Women In Indian Army:: भारतीय रक्षा सेवा में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने की दिशा में भारतीय सेना की तरफ से लगातार कदम उठाए जा रहे हैं. भारतीय सेना के एक चयन बोर्ड ने गणना योग्य सेवा (reckonable service) के 25 साल पूरे होने पर कर्नल (टाइम स्केल) रैंक में पदोन्नति का रास्ता साफ किया है. ऐसा पहली बार है जब कॉर्प्स ऑफ सिग्नल्स, कॉर्प्स ऑफ इलेक्ट्रोनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स (EME) और कॉर्प्स ऑफ इंजीनियर्स में काम कर रही महिला अधिकारियों को कर्नल रैंक के लिए मंजूरी दी गई हो.
इससे पहले, महिला अधिकारियों के लिए पदोन्नति सिर्फ आर्मी मेडिकल कॉप्स (एएमपी), जज एडवोकेट जनरल (जेएजी) और आर्मी एजुकेशन कॉर्प्स (एईसी) में लागू होता था. भारतीय सेना की अधिक शाखाओं में पदोन्नति के रास्ते का विस्तार महिला अधिकारियों के लिए इस क्षेत्र में करियर के बढ़ते अवसरों का संकेत है.
A Selection Board of the Indian Army cleared the way for the promotion of five women officers to Colonel (Time Scale) rank, post completion of 26 years of reckonable service: Ministry of Defence pic.twitter.com/sFW6YNGRBE
— ANI (@ANI) August 23, 2021
भारतीय सेना की अधिकांश शाखाओं से महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के निर्णय के साथ, यह कदम एक लैंगिक समानता सेना के प्रति भारतीय सेना के दृष्टिकोण को परिभाषित करता है. जिन पांच महिलाओं को कर्नल टाइम स्केल रैंक के लिए चयन किया गया है, वो हैं कॉर्प्स ऑफ सिग्नल्स से लेफ्टिनेंट कर्नल संगीता सरदाना, कॉर्प्स ऑफ ईएमई से लेफ्टिनेंट कर्नल सोनिया आनंद और लेफ्टिनेंट कर्नल नवनीत दुग्गल और कॉर्प्स ऑफ इंजीनियर्स से लेफ्टिनेंट कर्नल रीनू खन्ना और लेफ्टिनेंट कर्नल ऋचा सागर.
एक बड़े घटनाक्रम में, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते एक अंतरिम आदेश पारित किया, जिसमें महिलाओं को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में प्रवेश परीक्षा देने की अनुमति दी गई, जहां पहले केवल पुरुष ही शामिल हो सकते थे. केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने तर्क दिया कि यह सरकार का नीतिगत निर्णय है. केंद्र की दलील से असहमत, जस्टिस संजय किशन कौल और हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा कि यह लैंगिक भेदभाव पर आधारित एक नीतिगत निर्णय है. उत्तरदाताओं (केंद्र) को रचनात्मक ²ष्टिकोण रखना चाहिए.
शीर्ष अदालत ने महिलाओं के लिए अवसरों का विरोध करने के लिए सेना की खिंचाई की और उसे अपना रवैया बदलने और ऐसे मामलों में न्यायिक आदेश पारित होने की प्रतीक्षा नहीं करने को कहा. शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि महिलाएं एनडीए में प्रवेश के लिए परीक्षा में बैठ सकती हैं, जो 5 सितंबर को निर्धारित है. शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रवेश आदि उसके अंतिम आदेश के अधीन होंगे. पीठ ने कहा कि एनडीए में महिलाओं के लिए बार नहीं बना सकते.
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