Indian Army Five-Day Conference: सेना के शीर्ष कमांडरों ने युद्ध की तैयारी और सीमा बुनियादी ढांचे के विकास की समीक्षा के लिए सोमवार (7 नवंबर) को पांच दिवसीय सम्मेलन की शुरुआत की. उधर भारत और चीन दोनों ही देश लगातार तीसरी बार अपने सैनिकों को हिमालय की विवादित सीमा पर, विशेषकर पूर्वी लद्दाख में तैनात कर रहे हैं.


थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे की अध्यक्षता में होने वाला सम्मेलन मौजूदा और उभरती सुरक्षा और प्रशासनिक मामलों पर विचार-मंथन करेगा ताकि 12 लाख बल के भविष्य की रूपरेखा तैयार की जा सके. एक अधिकारी ने TOI को बताया, "आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए बदलाव, नई मानव संसाधन प्रबंधन नीति के कार्यान्वयन और प्रगतिशील सैन्य प्रशिक्षण के लिए भविष्य की चुनौतियां भी विचार-विमर्श का हिस्सा होंगी."


RAW के पूर्व अधिकारी भी होंगे शामिल


रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, वायुसेना और नौसेना प्रमुख सेना कमांडरों के साथ बातचीत करेंगे. दिलचस्प बात यह है कि एक पूर्व शीर्ष राजनयिक के साथ-साथ भारत की बाहरी खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) के एक सेवानिवृत्त अधिकारी भी इस दौरान 'समकालीन भारत-चीन संबंधों' और 'राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए तकनीकी चुनौतियों' पर बात करेंगे.


चीन के साथ गतिरोध


चीन के साथ 30 महीने से जारी सैन्य टकराव निश्चित रूप से एजेंडे में उच्च स्थान पर होगा. कुल मिलाकर डी-एस्केलेशन, यदि ऐसा होता है तो दोनों देश अपने 50,000 से अधिक सैनिकों को वापस ले जाएंगे, जिन्हें पूर्वी लद्दाख सीमा पर भारी हथियार प्रणालियों के साथ तैनात किया गया है. 


'चीन को नहीं होगा कोई फायदा'


गौरतलब है कि बीते दिनों सेंटर फॉर कंटेम्पररी चाइना स्टडीज (CCCS) के एक सम्मेलन में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (EAM S Jaishankar) ने कहा था कि सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन, शांति भारत और चीन के बीच सामान्य संबंधों का आधार बनी हुई है. सीमा विवाद (Border Dispute) के बाद भारत-चीन संबंधों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा था कि पिछले कुछ साल संबंधों और एशिया की संभावनाओं दोनों के लिए गंभीर चुनौती का दौर रहा है. उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि मौजूदा गतिरोध को जारी रखने से भारत या चीन को कोई फायदा नहीं होगा.


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