Ajay Bhatt in Lok Sabha: भारतीय सेना ने निर्माता-निर्देशक ओनिर (Onir) की फिल्म को एनओसी इसलिए देने से मना कर दिया था, क्योंकि फिल्म में कश्मीर में तैनात एक सैनिक के संबंध एक स्थानीय युवक से दिखाए गए थे. फिल्म से भारतीय सेना की छवि खराब हो सकती थी, इसलिए फिल्म को एनओसी नहीं दी गई. ये जानकारी शुक्रवार को रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट (Ajay Bhatt) ने सांसद वरुण गांधी (Varun Gandhi) के सवाल के जवाब में लोकसभा में दी.


रक्षा राज्यमंत्री के मुताबिक, पिछले एक साल में यानि 1 जनवरी 2021 से इस साल 31 जनवरी तक भारतीय सेना (थलसेना) को सेना पर आधारित फिल्म बनाने के लिए कुल 18 प्रपोजल यानि प्रस्ताव मिले थे. इनमें से 16 प्रस्तावों को हरी झंडी दे दी गई, जबकि एक प्रपोजल को अस्वीकृत कर दिया गया है. जो प्रस्ताव अस्वीकृत किया गया है, वो ओनिर की फिल्म का है. एक प्रस्ताव अभी भी सेना के पास लंबित है. हाल ही में ओनिर ने अपनी फिल्म को नो ओब्जेकशन सर्टिफिकेट यानि एनओसी न मिलने पर नाराजगी दिखाई थी. ओनिर का दावा था कि ये एक सच्ची कहानी पर आधारित है. रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने ये भी जानकारी दी कि इस फिल्म से सुरक्षा संबंधी सवाल भी खड़े हो रहे थे. इसीलिए फिल्म को एनओसी नहीं दी गई.


रक्षा राज्यमंत्री के मुताबिक, "अनुमोदन प्रक्रिया मनमानी या फिर भेदभावपूर्ण नहीं है और ना ही इससे भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होता है. प्रत्येक मामले पर राष्ट्रीय सुरक्षा, भारत की रक्षा, देश और विभिन्न राज्यों में कानून व्यवस्था की स्थिति, सशस्त्र सेनाओं में अनुशासन बनाए रखने, सैन्य सेवा के लोकाचार और परंपराओं एवं नागरिकों की सामान्य भावनाओं तथा भारत के नागरिकों और जनसामान्य के मन में सशस्त्र सेनाओं की छवि जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुए विचार किया जाता है."


वरुण गांधी ने अपने सवाल में ओनिर की फिल्म का जिक्र नहीं किया था और सिर्फ जानकारी मांगी थी कि किन कारणों से सेना ने एक फिल्म को एनओसी देने से इंकार कर दिया है. वरुण गांधी ने एनओसी ना दिए जाने को अभिव्यक्ति की आजादी से जोड़कर सवाल पूछा था. फिल्म को एनओसी ना मिलने को ओनिर लगातार ट्विटर पर सेना और रक्षा मंत्रालय को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं. ओनिर का दावा है कि उनकी फिल्म एक समलैंगिक-सैनिक पर आधारित है, जो एक सच्ची कहानी है.


रक्षा राज्यमंत्री के मुताबिक,"अनुमोदन प्रकिया भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) के अंतर्गत प्रत्याभूत की गई है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं करती है. बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता उन उपयुक्त प्रतिबंधों के भी अध्यधीन होती है जो भारत की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा करने, राष्ट्र की सुरक्षा करने, दूसरों राष्ट्रों के साथ मित्रवत संबंध तथा सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने, मर्यादा अथवा नैतिकता अथवा अपराध के लिए उकसाने इत्यादि के लिए अपेक्षित हो सकते हैं." रक्षा राज्यमंत्री ने संसद के पटल पर ये भी जानकारी रखी कि पिछले तीन सालों में भारतीय वायुसेना को फिल्म बनाने के 13 प्रस्ताव मिले हैं और किसी को भी अस्वीकृत नहीं किया गया है. भारतीय नौसेना को पिछले दस सालों में एक प्रस्ताव मिला है जो अभी भी लंबित है. रक्षा मंत्रालय को अभी तक दो प्रस्ताव मिले हैं.


पिछले साल से रक्षा मंत्रालय ने सेना पर आधारित सभी फिल्मों, सीरियल और ओटीटी कंटेट को रक्षा मंत्रालय से एनओसी लेना अनिवार्य बना दिया है. अजय भट्ट के मुताबिक, "फिल्म निर्माताओं को रक्षा संबंधी विषयवस्तु पर आधारित फिल्मों के लिए अनापत्ति प्रमाण-पत्र जारी करने के पीछे तर्क यह सुनिश्चित करना होता है कि सशस्त्र सेनाओं को उस रूप में चित्रित नहीं किया जाए जिससे सशस्त्र सेनाओं, सरकार या फिर देश की अपकीर्ति हो, साथ ही तथ्यात्मक यथार्थता को भी सुनिश्चित करना होता है कि किसी भी वर्गीकृत मामले को ओपन डोमेन में नहीं दर्शाया जाए, जिससे देश की सुरक्षा पर प्रभाव पड़े." 


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