Indian Army: नए शेल्टर्स, स्पेशल फ्यूल और बैटरी... लद्दाख की खून जमा देने वाली सर्दी से बचने का सेना ने बनाया 'सुपर प्लान'
Indian Army in Ladakh: लद्दाख में चीन के साथ लगने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारतीय सेना अपनी तैयारियों में जुटी है, ताकि सर्दियों से बचा जा सके.
Indian Army on LAC: भारतीय सेना इस साल लद्दाख में पड़ने वाली कड़कड़ाती सर्दी से अपने जवानों और हथियार-टैंकों को बचाने के लिए जबरदस्त तैयारी कर रही है. जवानों को टेंपरेचर कंट्रोल शेल्टर यानी ऐसे शिविरों में रखा जाएगा, जहां तापमान को कंट्रोल किया जा सकता है. साथ ही स्पेशल फ्यूल और बैटरी का भी इस्तेमाल किया जाएगा, ताकि टैंक जैसे सेना के वाहनों को दुरुस्त रखा जा सके. लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तापमान शून्य से नीचे चला जाता है, जिसमें हथियारों को एक्टिव रखना मुश्किल होता है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सैकड़ों टैंकों और अन्य मशीनीकृत वाहनों को लद्दाख की खतरनाक सर्दियों से बचाने की तैयारी तेज हो गई है. मई 2020 में एलएसी पर चीन के साथ शुरू हुई तनातनी के बाद से ही भारतीय सेना ने लद्दाख में मौजूदगी को बढ़ा दिया है. ये चौथा साल होने वाला है, जब बड़ी संख्या में सैनिक सीमा पर मौजूद रहने वाले हैं. सेना ने पूर्वी लद्दाख में रूसी मूल के टी-72 और टी-90 टैंकों और बीएमपी की 400 से अधिक या लगभग तीन ब्रिगेड तैनात की हैं. पहले यहां इनमें से सिर्फ एक तिहाई ही तैनात होती थी.
टैंकों का कैसे रखा जा रहा ख्याल?
- टैकों का ख्याल रखने के लिए सेना लेड-एसिड बैटरी की जगह लेड टिन बैटरियों का इस्तेमाल कर रही है.
- ऐसे स्पेशन फ्यूल, मल्टीग्रेड ल्यूबरिकेंट और हाइड्रोलिक फ्लूएड्स का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो खून जमा देने वाली सर्दी का मुकाबला कर सकें.
- लेह से पहले रिपेयर फैसिलिटी तैयार किए गए हैं, जहां मध्यम स्तर की खराबी आने पर टैंकों समेत अन्य वाहनों को ठीक किया जा सके.
- बख्तरबंद वाहनों के लिए हीट शेल्टर्स तैयार किए गए हैं.
- लगातार ऑपरेशनल चेक और ड्रिल की जा रही है, ताकि वाहनों की क्षमता को जांचा जा सके.
लद्दाख का इलाका टैंकों के लिए मुफीद
अधिकारियों का कहना है कि यहां पर टैकों के इतने बड़े काफिले को ठीक से रखना एक चुनौती है. खासतौर पर पूर्वी लद्दाख के उन इलाकों में जो बेहद ही ऊंचाई पर मौजूद हैं. यहां तापमान माइनस 30 डिग्री तक पहुंच जाता है. हालांकि, लद्दाख का शुष्क रेगिस्तान जैसा इलाका टैंकों और मशीनीकृत वाहनों की तैनाती के लिए बेहतरीन माना जाता है और इसकी नदी घाटियां युद्धाभ्यास के लिए उपयुक्त हैं. तापमान के कम होने से ईंधन और ल्यूबरिकेंट जम जाते हैं. इस वजह से इस बार खास ईंधन का इस्तेमाल किया जा रहा है.
सैनिकों के लिए बनाए गए खास शेल्टर्स
सेना लद्दाख की कड़कड़ाती सर्दी से सैनिकों को बचाने के लिए भी मेहनत कर रही है. सैनिकों के लिए टेंपरेचर कंट्रोल शेल्टर्स बनाए गए हैं. इनमें एयर ब्लोअर्स लगे हुए हैं, ताकि शेल्टर के भीतर का तापमान कंट्रोल किया जा सके. इन शेल्टर्स में पूरे बेड़े को रखा जा सकता है. पूर्वी लद्दाख में चीन की हर चुनौती से निपटने के लिए 70 हजार सैनिकों को तैनात किया गया है. इसके अलावा, टैंक, आर्टलरी गन और टैंकों की भी तैनाती हुई है.
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