नई दिल्लीः सरहद पर दुश्मन से लोहा लेना हो या देश के भीतर कोरोना से लड़ना या फिर सात समंदर पार, हर जगह भारतीय सेना मानवता की मदद के लिए सबसे आगे खड़ी मिलती है. ताजा उदाहरण अफ्रीकी देश कॉन्गो (या कांगो) का है जहां ज्वालामुखी फटने से मुसीबत में आए एक शहर की निगहबानी ना केवल भारतीय सैनिक कर रहे हैं बल्कि आम लोगों को सुरक्षित वहां से निकलने में भी मदद कर रहे हैं. भारतीय सेना की ये टुकड़ी यूएन पीसकीपिंग मिशन के तहत काफी लंबे समय से कॉन्गो में तैनात है.
भारतीय सेना के मुताबिक, 22 मई यानि शनिवार की शाम को कॉन्गों के गोमा शहर के करीब माउंट नयारगोंगो में ज्वालामुखी फट गया. ज्वालामुखी फटने के चलते संयुक्त-राष्ट्र यानि यूएन ने शहर में तैनात शांति-सेना को यहां से सुरक्षित स्थान पर जाने का अलर्ट जारी कर दिया. लावा के शहर में दाखिल होने के डर से स्थानीय लोग भी शहर छोड़कर जाने लगा. ऐसे में यूएन पीसकीपिंग मिशन का हिस्सा, भारतीय सेना की टुकड़ी ने मोर्चा संभाल लिया.
भारतीय सेना ने सबसे पहले अपने 70 प्रतिशत सैनिकों को सुरक्षित एक दूसरी कंपनी-हेडक्वार्टर में भेज दिया. इसके बाद 30 प्रतिशत सैनिकों की मदद से गोमा शहर मे अपने ब्रिगेड हेडक्वार्टर को सुरक्षित करने के अलावा यूएन बिल्डिंग और शहर के एयरपोर्ट और एविएशन फ्यूल डिपो को सुरक्षित अपने घेरे में ले लिया. जानकारी के मुताबिक, सेना ने शहर के आम लोगों को भी सुरक्षित स्थानों पर जाने में मदद की.
इसके अलावा भारतीय सेना ने एक सुरक्षित स्थान पर अपनी ऑबर्जेवेशन-पोस्ट भी स्थापित की, ताकि ज्वालामुखी पर नजर रखी जा सके. इस पोस्ट से भारतीय सैनिक ज्वालामुखी के लावा के बहाव पर नजर रख संयुक्त-राष्ट्र को संबंधित जानकारी मुहैया करा रहे हैं. भारतीय सेना की यूएन-विंग के मुताबिक, अभी तक की जानकारी के मुताबिक, लावा के एक छोटी से धारा गोमा शहर की तरफ आ रही है. ज्वालामुखी का अधिकतर लावा पड़ोसी देश रवांडा की तरफ जा रहा है.
आपको बता दें कि गृहयुद्ध से पीड़ित अफ्रीकी देश, कॉन्गो में वर्ष 1999 से भारतीय सेना की एक टुकड़ी तैनात रहती है. ये टुकड़ी, संयुक्त राष्ट्र के एमएनयूएससीओ मिशन का हिस्सा है, जिसकी अंग्रेजी में फुल-फॉर्म है यूनाईट नेशन्स ऑर्गेनाईजेशन स्टेबिलाइजेशन मिशन इन डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो (एमएनयूएससीओ एक फ्रांसीसी शब्द है).
भारतीय सेना की एमएनयूएससीओ मिशन में पूरी एक ब्रिगेड यानि करीब तीन हजार सैनिक तैनात हैं, जिनकी अगुवाई एक ब्रिगेड रैंक का अधिकारी करता है. कई बार स्थानीय मिलिशिया ने भारतीय सेना के कैंप पर हमला भी करने की कोशिश की है जिसे भारतीय सैनिकों ने हर बार असफल बनाया है. इसके अलावा इस यूएन मिशन में दूसरे देशों के सैनिक भी कॉन्गो में तैनात रहते हैं. लेकिन सबसे ज्यादा संख्या भारतीय सैनिकों की है.