Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के बयान पर बवाल मचा है. दरअसल, फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में सेना और आतंकवादियों की मिलीभगत के आरोप लगाए थे. इस पर सेना मुख्यालय के सूत्रों ने भी फारूक अब्दुल्ला के बयान पर आपत्ति जताई है. 


सेना मुख्यालय के सूत्रों ने कहा, 'इस तरह की बयानबाजी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए नुकसानदेह है. इस निराधार आरोप में न केवल तथ्यों का अभाव है बल्कि ये उन बहादुर पुरुषों और महिलाओं के लिए भी अपमानजनक है जो हमारे देश की रक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं.'


जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर क्या कहा?


सेना मुख्यालय के सूत्रों ने कहा, भारतीय सेना मजबूती के साथ सीमा की रक्षा कर रही है और देश की सीमाओं की रक्षा करने का उसका गौरवशाली इतिहास भी रहा है. हाल के वर्षों में जम्मू-कश्मीर की स्थिति में नाटकीय रूप से सुधार देखने को मिला है.'


पेश किए गए ये आंकड़े


जानकारी दी गई कि 2019 में, 'आतंकवादियों की घुसपैठ की 219 कोशिशें की थीं लेकिन सेना के अथक प्रयासों की वजह से, पिछले साल यह संख्या घटकर सिर्फ 48 रह गई और इस साल शून्य पर आ चुकी हैं. सैन्य बलों की सफलता घुसपैठ की कोशिशों को खत्म करने में बिल्कुल स्पष्ट है. 2017 में मात्र 1 से बढ़कर 2023 में 17 घुसपैठ की कोशिशों को सेना ने नाकाम किया.'


'राजनीति से प्रेरित लगती है टिप्पणी'


सेना ने कहा, 'फारूक अब्दुल्ला की टिप्पणी राजनीति से प्रेरित लगती है. सच तो ये है कि हमारी सीमाओं को सुरक्षाबलों ने और भी अधिक सुरक्षित किया है.' इस संबंध में शीर्ष सैन्य सूत्रों ने पुष्टि करते हुए कहा, 'सेना की सीधी निगरानी वाले क्षेत्रों में घुसपैठ की कोई भी कोशिश सफल नहीं हो सकी है, जो मिलीभगत के हालिया दावों को और भी बेदम करती है.'


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