नई दिल्ली: सैन्य अधिकारियों के सेलेक्शन में हुए घोटाले को लेकर सेना ने साफ तौर से कहा है कि भ्रष्ट आचरण किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. भारतीय सेना ने आधिकारिक बयान जारी कर कहा है कि भर्ती प्रक्रिया में उपयुक्त उम्मीदवारों के चयन में भ्रष्ट आचरण के प्रति शून्य सहिष्णुता है. बयान के मुताबिक, सेना की खुफिया एजेंसियो द्वारा एक सक्रिय ऑपरेशन के आधार पर सर्विस सेलेक्शन बोर्ड (एसएसबी) में चयन प्रक्रियाओं में संभावित भ्रष्ट आचरण सामने आया है. क्योंकि जांच के दायरे में सामान्य नागरिक भी (सैनिकों के साथ) लिप्त पाए गए हैं, इसलिए भारतीय सेना ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी है.
फर्जी मेडिकल सर्टिफेकट के ज़रिए कराते थे भर्ती
आपको बता दें कि आर्मी सेलेक्शन प्रक्रिया में हुई गड़बड़ी मामले में बड़ी जानकारी सामने आई है. एबीपी न्यूज को मिली एक्सक्लूजिव जानकारी के मुताबिक, आरोपी सैन्य अफसर फर्जी मेडिकल सर्टिफेकट बनाकर सेना में भर्ती कराने का गोरखधंधा करते थे. इसके एवज में आरोपी चयनित कैडेट्स से एक मोटी रकम वसूलते थे. यही वजह है कि सीबीआई ने ऑफिर्सस ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए), चेन्नई के दो कैडेट्स सहित हाल ही में वहां से पास-आउट हुए एक लेफ्टिनेंट रैंक के अधिकारी को भी एफआईआर में आरोपी बनाया है.
एबीपी न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक, मिलिट्री-इंटेलीजेंस (एमआई) की सूचना पर सेना मुख्यालय की एडज्यूटेंट ब्रांच (एजी ब्रांच) की विजिलेंस विंग ने पहले मामले की गोपनीय तरीक सें जांच की. जांच पुख्ता होन पर विजिलेंस विंग के ब्रिगेडियर, वी के पुरोहित ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी.
फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने का काम राजधानी दिल्ली के बेस हॉस्पिटल और फील्ड हॉस्पिटल तक फैला हुआ था. यहां तैनात अधिकारी और जवान उन युवाओं को अपना शिकार बनाते थे, जो सर्विस सेलेक्शन बोर्ड (एसएसबी) में मेडिकल-ग्राउंड में अस्थायी तौर से 'अनफिट' करार दिए जाते थे.
पैसा लेकर देते थे मेडिकल सर्टिफिकेट
राजधानी दिल्ली के बेस हॉस्पिटल में तैनात नाएब हवलदार, कुलदीप सिंह, और मेडिकल बोर्ड सेक्शन में तैनात नायक परविंदर जीत सिंह सहित फील्ड हॉस्पिटल में तैनात मेजर अमित फगना मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने का काम करते थे. इन सभी ने ओटीए में हाल ही में चुने गए दो कैडेट (ऑफिसर्स) को मेडिकल फिट करार देकर सेना में चयन कराया था. इसके अलावा ओटीए से पास आउट हुए एक लेफ्टिनेंट रैंक के अधिकारी को भी इन्होनें पैसा लेकर मेडिकल सर्टिफिकेट देने का काम किया था.
लेकिन सूत्रों की मानें तो इस भर्ती घोटाले का एपीसेंटर (यानि केंद्र) पंजाब का कपूरथला एसएसबी सेंटर था. यहां तैनात लेफ्टिनेंट कर्नल सुरेंद्र सिंह और मेजर भावेश कुमार को सीबीआई ने इस घोटाले में मुख्य आरोपी बनाया है. मेजर भावेश के माता-पिता और पत्नी को भी आरोपी बनाया है. सेना का आरोप है कि मेजर भावेश अपने माता-पिता और पत्नी के बैंक-एकाउंट्स और ऑन-लाइन पेयमेंट-एप्स में फर्जीवाड़ा का पैसा मंगाता था. लेफ्टिनेंट कर्नल सुरेंद्र सिंह के एक करीबी रिश्तेदार को भी पैसा मिलने का आरोप है. सीबीआई ने इन सभी को एफआईआर में नामजद किया है. हालांकि, इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड एक लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक का अधिकारी है जो इनदिनों स्टडी-लीव पर है. उसका नाम है लेफ्टिनेंट कर्नल एम वी एस एन ए भगवान, जो इनदिनों विशाखापट्टनम में रहता है. उसे भी सीबीआई ने पूरे मामले में नामजद किया है. भगवान भी पहले एसएसबी सेंटर, कपूरथला में तैनात था.
घोटाले की धुरी इन दोनों सैन्य अधिकारियों के आसपास घूम रही है
सेना मुख्यालय की गोपनीय रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल सुरेंद्र सिंह अब तक 10-15 अभ्यर्थियों से सेना में सेलेक्शन के नाम पर घूस ले चुका था. लेफ्टिनेंट कर्नल एम वी एस एन ए भगवान भी पैसा लेकर यही काम करता था. रिपोर्ट के मुताबिक, इस घोटाले की धुरी इन दोनों सैन्य अधिकारियों के आसपास घूम रही है.
हालांकि, घोटाले के तार एसएसबी सेंटर, बेंगलुरू और रक्षा मंत्रालय के अधीन डीजी (रिक्रूटमेंट) विभाग तक पहुंच रहे हैं. इसके अलावा बेंगलुरू का सेलेक्शन सेंटर साउथ भी जांच के दायरे में है. यहां तैनात लेफ्टिनेंट कर्नल विनय को सीबीआई ने अपनी एफआईआर में आरोपी बनाया है.
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