लद्दाख में लंबी सर्दियों के लिए तैयार सेना, राशन-तेल और दूसरे जरूरी सामान को ऐसे स्टॉक कर रही आर्मी
वायुसेना के ग्लोबमास्टर एयरक्राफ्ट से राशन के साथ-साथ बड़ी तादाद में सैनिक एलएसी पर पहुंचाएं जा रहे हैं. लद्दाख की जलवायु यानि बेहद कम ऑक्सीजन और हाई ऑल्टिट्यूज इलाका को देखते हुए सैनिकों को एक हफ्ते का एक्लेमिटाईजेशन कराया जाता है.
पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर चीन के खिलाफ भारत ने सर्दियों के लिए अपनी कमर कस ली है. भारतीय वायुसेना के साथ मिलकर थलसेना खाने-पीने के सामान के साथ साथ राशन, तेल, टेंट और स्पेशल यूनिफॉर्म को बड़ी तादाद में लद्दाख पहुंच रही है. आखिर कैसी है ड्रैगन के खिलाफ भारत की ऑप्स-लॉजिस्टिक की तैयारी ये जानने के लिए एबीपी न्यूज की टीम पहुंची पूर्वी लद्दाख के एक फॉरवर्ड एयरबेस पर.
एबीपी न्यूज की टीम जब इस फॉरवर्ड एयरबेस पर पहुंची तो एक के बाद एक सी-17 ग्लोबमास्टर मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, सी130 जे सुपर हरक्युलिस और आईएल76 एयरक्राफ्ट लगातार लैंडिंग कर रहे हैं. ये सभी एयरक्राफ्ट दुनिया के सबसे बड़ी मालवाहक विमान हैं जो 70-80 टन सामान तक ले जा सकते हैं.
सी-17 एयरक्राफ्ट राजधानी दिल्ली और चंडीगढ़ से ये सारा सामान यहां लद्दाख लाया जा रहा है. ये सारा सामान डिफेंस फोर्सेज यानि भारत के सैनिकों के लिए हैं जो इस वक्त चीन के खिलाफ लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल (एलएसी) पर तैनात हैं. इनमें पानी की मिनरल बोतल, जूस, खास आर्टिक टेंट और दूसरा सामान है. इन विमानों से सारा सामान खास ट्रकों में अनलोड किया जा रहा है. ट्रकों से इस सामान को चिनूक हेवीलिफ्ट हेलीकॉप्टर्स में लोड किया जा रहा है.
अमेरिका से लिए हैं चिनूक हेलीकॉप्टर्स दरअसल, फॉरवर्ड एयरबेस से एलएसी की दूरी करीब 100-150 किलोमीटर है. इसलिए सैनिकों की रसद और दूसरे सामान को चिनूक हेलीकॉप्टर से भेजा जा रहा है. हाल ही में भारत ने इन 22 चिनूक हेलीकॉप्टर्स को अमेरिका से लिया था और पिछले चार महीने से ये हेलीकॉप्टर्स भारतीय सेना के लिए वर्क-हॉर्स बने हुए हैं. रसद और राशन ले जाने से लेकर तोप और एंटी-एयरक्राफ्ट गन्स तक ये चिनूक हेलीकॉप्टर्स टेक्टिकल पोजिशन्स पर पहुंचा रहे हैं.
वायुसेना के ग्लोबमास्टर एयरक्राफ्ट से राशन के साथ-साथ बड़ी तादाद में सैनिक एलएसी पर पहुंचाएं जा रहे हैं. लद्दाख की जलवायु यानि बेहद कम ऑक्सीजन और हाई ऑल्टिट्यूज इलाका को देखते हुए सैनिकों को एक हफ्ते का एक्लेमिटाईजेशन कराया जाता है. उसके बाद ही उन्हें फॉरवर्ड लोकेशन पर भेजा जाता है. आपको बता दें कि इस वक्त पूर्वी लद्दाख से सटी 826 किलोमीटर लंबी एलएसी पर भारत के करीब 50 हजार सैनिक तैनात हैं. लेकिन जरूरत पड़ने पर और भी सैनिकों को मैदानी इलाकों से यहां तैनात किया जा सकता है.
फाइटर जेट्स और अटैक हेलाकॉप्टर्स भी दिन-रात अपने मिशन में लगे फॉरवर्ड एयरबेस पर सिर्फ मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के ही ऑपरेशन्स ही नहीं चल रहे हैं. बल्कि फाइटर जेट्स और अटैक हेलाकॉप्टर्स भी दिन-रात अपने मिशन में लगे रहते हैं. भारतीय वायुसेना के सुखोई, मिग29, रफाल, मिराज2000 और एलसीए तेजस लड़ाकू विमान दिन-रात लद्दाख से सटी एलएसी पर कॉम्बेट एयर पैट्रोलिंग करते रहते हैं.
इसके अलावा हाल ही में अमेरिका से लिए गए अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर्स भी इस फॉरवर्ड एयरबेस पर ऑपरेशंस कर रहे हैं. इसके तहत एलएसी के उन पहाड़ों पर ये पैट्रोलिंग कर रहे हैं जो फाइटर जेट्स की जद में नहीं आ पाते.
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