बाड़मेर: भारतीय‌ सेना की स्ट्राइक कोर, 'सुदर्शन चक्र' इनदिनों (13-18 नवंबर) राजस्थान के बाड़मेर में एक बड़ा युद्धभ्यास, 'सिंधु सुदर्शन' कर रही है. करीब 40 हजार सैनिक, 700 टैंक, 300 तोप (के-9 सहित) और अटैक हेलीकॉप्टर इस युद्धभ्यास में हिस्सा ले रहे हैं. भोपाल स्थित इस स्ट्राइक कोर की जिम्मेदारी युद्ध की परिस्थिति में राजस्थान से सटी पाकिस्तान सीमा पर दुश्मन की सीमा में घुसकर हमला करने और दुश्मन के क्षेत्र पर अपना अधिकार जमाना है. ऐसे में इस युद्धभ्यास को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं.


इस‌ युद्धभ्यास‌ के लिए राजस्थान से सटी करीब एक हजार किलोमीटर लंबी पाकिस्तानी सीमा को सुदर्शन-चक्र कोर ने कई हिस्सों में बांटकर एक‌ साथ हमला किया. इसके लिए इंटीग्रेटेड बैटेल ग्रुप्स बनाकर दुश्मन पर हमला करने की तैयारी की गई. सिंधु-सुदर्शन वॉर गेम्स की कवरेज के लिए शुक्रवार (15 नवंबर) को एबीपी न्यूज़ की टीम खासतौर से थार रेगिस्तान में मौजूद रही.


युद्धभ्यास की शुरूआत हुई रॉकेट लांचर्स के हमले से जिनकी रेंज करीब 20-90 किलोमीटर होती है. ग्रैड, पिनाका और स्मर्च रॉकेट लांचर्स से इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय सीमा के दूसरी तरफ बंकर्स, चौकियां और दूसरे डिफेंसेस पर लगातार रॉकेट दागकर दुश्मन के हौंसलों को कमजोर किया गया. साथ ही के-9 तोप से भी गोलाबारी की गई. इन तोप की रेंज 15-40 किलोमीटर तक है. कोरिया से हाल ही में हुए सौदे में ली गईं‌ इन तोपों को पहली बार इस युद्धभ्यास में तैनात किया गया है. टैंक की तरह दिखने वाली ये खास तोपें रेगिस्तान में भी आसानी से दौड़ सकती हैं.



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रॉकेट लांचर्स और तोप से गोलाबारी के बाद सरहद को पार करने की जिम्मेदारी आर्मर्ड यानि टैंकों की थी. अंतर्राष्ट्रीय सीमा पार कर टैंकों ने दुश्मन की चौकियों और फील्ड-हेडक्वार्टर्स पर अपना घेरा लगाकर बंदी बना लिया. इस युद्धभ्यास का मकसद ना केवल दुश्मन की सीमा पर अधिकार करना है बल्कि उसकी युद्धक-क्षमता को भी नेस्तनाबूद करना है. यानि उसकी चौकियों, टैंक, तोप इत्यादि को भी तबाह करना है. इसके अलावा दुश्मन के सैनिकों को सरेंडर करना भी इस सिंधु-सुदर्शन युद्धभ्यास का मुख्य उद्देश्य है.


सिंधु नदी पाकिस्तान में बहती है फिर भारतीय सेना की सुदर्शन स्ट्राइक कोर पाकिस्तानी सीमा से सटे पोखरण रेंज में क्यों कर रही है बड़ा युद्धभ्यास, 'सिंधु-सुदर्शन'. इस सवाल के जवाब से पाकिस्तान सहित दुनियाभर में हड़कंप मच गया है. अंतर्राष्ट्रीय मैग्जीन, डिप्लोमेट में भारतीय सेना के इस युद्धभ्यास को लेकर लेख छापा है.


वहीं अपुष्ट खबरें आई हैं कि पाकिस्तानी सेना ने अपने टैंक और मैकेनाइज्ड यूनिट्स को सीमा के करीब तैनात कर दिया है. युद्धभ्यास के नाम से भी सभी के कान खड़ें हो गए हैं. क्योंकि सिंधु नदी पूरे पाकिस्तान में बहती है. और सिंधु-सुदर्शन एक्सरसाइज पाकिस्तान से महज 40-50 किलोमीटर की दूरी पर हो रही है.



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लेकिन भारतीय सेना के उच्चपदस्थ सूत्रों ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि सिंधु-सुदर्शन सालाना होने वाले युद्धभ्यास है जो राजस्थान के रेगिस्तान में होता है. दरअसल, पिछले कुछ सालों से भारतीय सेना 'कोल्ड-स्टार्ट' रणनीति अपना रही है. इस कोल्ड स्टार्ट 'डॉक्ट्रिन' के तहत भारतीय सेना की स्ट्राइक कोर हमेशा अपने को ऑपरेशेनली तैयार रहती हैं. इसके मद्देनजर महज 24-48 घंटे में स्ट्राइक कोर दुश्मन की सीमा में घुसकर हमला करने के लिए तैयार हो सकती हैं. क्योंकि पहले‌ युद्ध के लिए तैयार होने में भारतीय सेना को कई हफ्तों से लेकर छह छह महीने लग जाते थे. इसीलिए भारतीय सेना की कोई ना कोई स्ट्राइक कोर सालभर वॉर-गेम्स में जुटी रहती हैं.


बता दें कि जहां स्ट्राइक कोर की जिम्मेदारी दुश्मन की सीमा में घुसकर हमला करना होता है, तो बाकी कोर (जैसे लेह स्थित 14वीं और श्रीनगर स्थित 15वीं कोर) की जिम्मेदारी अपनी सीमाओं की महज रखवाली करना होता है. भारत के पास फिलहाल चार स्ट्राइक कोर हैं. इनमें से तीन स्ट्राइक कोर (मथुरा स्थित स्ट्राइक कोर-वन, अंबाला स्थित 'खड़गा' और भोपाल स्थित 'सुदर्शन चक्र') का उद्देश्य पाकिस्तान से होने वाले युद्ध के दौरान दुश्मन पर हमला करना है. जबकि पानागढ़ (पश्चिम बंगाल) स्थित 17वीं माउंटेन स्ट्राइक कोर चीन से उठने वाले खतरे के लिए हाल ही खड़ी की गई है. इस माउंटेन स्ट्राइक कोर ने हाल ही में अरूणाचल प्रदेश में अपना पहला युद्धभ्यास संपन्न किया है.



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भोपाल स्थित 21वीं स्ट्राइक कोर को श्रीकृष्ण और विष्णु जी के सबसे अचूक हथियार, सुदर्शन चक्र के नाम से जाना जाता है. ये युद्धभ्यास इस मायने में भी अहम है क्योंकि राजस्थान से सटी पाकिस्तानी सीमा पर भी भारतीय सेना इंटीग्रेटेड बैटेल ग्रुप (आईबीजी) बनाने जा रही है. हाल ही में भारतीय सेना ने इस‌ तरह की एक नई यूनिट खड़ी की है जिसे ट्रायल के तौर पर अजमाया जायेगा. ये आईबीजी सेना की मौजूदा ब्रिगेड से बड़ी यूनिट है लेकिन डिवीजन से थोड़ी छोटी है. इस आईबीजी में इंफेट्री यानि पैदल सैनिकों के साथ इंफेट्री कॉम्बेट व्हीकल (आईसीवी), टैंक, तोप, अटैक हेलीकॉप्टर्स सब एक साथ रहते हैं. ऐसें में युद्ध में हिस्सा लेने वाले एसैट्स यानि सैन्य मशीनरी संभालने वाली यूनिट्स (मैकेनाइज्ड इंफेंट्री, आर्मर्ड, आर्टिलरी, एवियशन इत्यादि) को बेहतर समन्वय से तेजी से मोबिलाइज किया जा सकता है.


सामरिक जानकारों को मानना है कि भविष्य में होने वाले युद्ध 'शॉर्ट‌ एंड स्विफ्टि' होंगे यानि छोटे और बहुत तेज बदलती परिस्थितियों में होंगे. ऐसे में इन छोटे युद्धों को ध्यान में रखकर ही इन आईबीजी का गठन किया गया है. हाल ही में जब अरूणाचल प्रदेश में माउंटेन स्ट्राइक कोर ने अपना युद्धभ्यास किया था तो उसमें भी आईबीजी की तर्ज पर ही वॉर-गेम्स किए थे.‌ एक स्ट्राइक कोर में इस तरह की दो से तीन आईबीजी होंगी.


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