Self Reliant India: सेना की तैयारी से लेकर युद्ध के मैदान की रियल टाइम जानकारी तक, ये स्वदेशी कंपनियां तैयार करेंगी 5 हथियार
Indian Army Swadeshi Weapon: भारतीय सेना ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए तैयारी तेज कर दी है. इसके तहत हथियार स्वदेशी कंपनियां तैयार करेंगी.
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Swadeshi Weapon: युद्ध के मैदान की रियल टाइम जानकारी के लिए इंटरनेट से जु़ड़े रेडियो सेट, एंटी ड्रोन सिस्टम, लॉएटरिंग म्युनिशन और प्रिशेसन बम तक अब स्वदेशी होने जा रहा है. यही वजह है कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भारतीय सेना ने बड़ा कदम उठाते हुए मेक इन इंडिया के तहत पांच (05) ऐसे हथियार और सैन्य उपकरणों को चुना है, जिनका प्रोजेक्ट स्वदेशी कंपनियां तैयार करेंगी.
भारतीय सेना के मुताबिक जिस मेक-2 प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली है. उसके तहत इन पांचों हथियार और सैन्य उपकरणों का प्रोटो-टाइप डिजाइन, डेवलपमेंट और इनोवेटिव सोल्यूशंस इंडियन वेंडर (कंपनियों) ही करेंगी. अगर प्रोटोटाइप सफल रहता है तो उसके बाद सेना इन कंपनियों को ऑर्डर भी देगी.
यह है पांच मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट
- ड्रोन किल सिस्टम- इस एंटी-ड्रोन सिस्टम के लिए 18 स्वदेशी एमएसएमई कंपनियां और स्टार्ट-अप्स को चुना गया है. इसके प्रोजेक्ट में 35 तरह के ड्रोन किल सिस्टम सेट तैयार किए जाने हैं. ये सिस्टम लो रेडियो क्रॉस सेक्शन ड्रोन और अनमैन्ड एरियल सिस्टम (यूएएस) को हार्ड-किल के लिए तैयार किया जाना है.
- मीडियम रेंज प्रिसेशन किल सिस्टम (एमआरपीकेएस) यानि लॉएटरिंग-म्युनिशन- करीब दो घंटे तक आसमान में लॉएटर करने वाले आत्मघाती (कामेकाज़ी) ड्रोन की रेंज करीब 40 किलोमीटर होनी चाहिए. इस तरह के ड्रोन के लिए 15 डेवलपिंग एजेंसी यानि कंपनियों को प्रोजेक्ट सेंक्शन किया गया है.
- 155एमएम टर्मिनली गाईडेड म्युनिशन (टीजीएम)- दुश्मन के हाई-वैल्यू टारगेट को निशाना बनाने के लिए सेना ने 06 एजेंसियों (कंपनियों) को गाइडेड म्युनिशन के लिए सेंक्शन दिया है. सेना इस तरह के म्युनिशन तैयार होने के बाद कम से कम 2000 टीजीएम राउंड खरीदेगी. ये म्युनिशन यानि बम तोप से भी दागे जा सकते हैं.
- हाई फ्रीक्वंसी मैन पैक्ड सॉफ्टवियर डिजाइन रेडियो (एचएफएसडीआर)-युद्ध के मैदान से रियल टाइम जानकारी कमांडर्स को देने के मकसद से इंटरनेट से जुड़े रेडियो सेट के लिए भारतीय सेना ने 14 कंपनियों को चिन्हित किया है. भारतीय सेना को ऐसे 300 हाई फ्रीक्वंसी रेडियो सेट की जरूरत है. ये लाइट वेट रेडियो सेट लंबी दूरी के कम्युनिकेशन के लिए जरूरी हैं. डेटा-कैपेबिलिटी और बैंडविथ से लैस होने के चलते जीआईएस के जरिए इन रेडियो सेट से मैप नेवीगेशन भी किया जा सकता है. इनमें अतिरिक्त सुरक्षा भी होगी ताकि दुश्मन सेना की कम्युनिकेशन में सेंधमारी कर संवेदन बातचीत और जानकारी सुन ना सके. भारतीय सेना फिलहाल पुराने रेडियो सेट इस्तेमाल करती है जिनमें डेटा हैडलिंग क्षमता बेहद कम होती है.
- इन्फेंट्री ट्रेनिंग वैपन सिम्युलेटर (आईडब्लूटीएस)- सैनिकों को फायरिंग की प्रैक्टिस से लेकर रणक्षेत्र के अलग-अलग सिनेरियो में ट्रेनिंग के लिए सेना को सिम्युलेटर की जरूरत है. भारतीय सेना को कम से कम 125 ऐसे सिम्युलेटर की जरूरत है. इन्हें बनाने के लिए चार (04) एमएसएमई और स्टार्ट-अप को चिंहिंत किया गया है.
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