(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Jammu Kashmir Tourism: सीमा पर शांति ने घाटी को बनाया जन्नत, अब उठाएं बॉर्डर टूरिज्म का लुत्फ
Tourist On India-Pak Border: घाटी में युद्ध विराम अच्छे से चलने की वजह से भारतीय सेना बॉर्डर टूरिस्म को बढ़ावा देने के लिए प्रयास कर रही है. सेना ने सीमा से सटे इलाकों में ढिलाई बरतनी शुरू कर दी है.
Tourist In Valley: जम्मू और कश्मीर में पर्यटन को एक बड़ा बढ़ावा मिलने के लिए पूरी तरह तैयार है क्योंकि सेना ने नियंत्रण रेखा पर अधिकांश क्षेत्रों में प्रतिबंधों में ढील दी है. भारतीय सेना ने कश्मीर घाटी में सीमा पर पर्यटकों की अधिक पहुंच की अनुमति दी है क्योंकि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम अच्छे से चल रहा है. एक जगह जहां विकास दिखाई दे रहा है वह है कुपवाड़ा का केरन सेक्टर. दशकों तक तोपों के साये में रहने के बाद नियंत्रण रेखा के पास स्थित यह सुरम्य स्थान धीरे-धीरे खुद को पर्यटन स्थल में बदल रहा है. पर्यटकों की रुचि और आगमन को बढ़ाने के लिए, भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पर्यटन विभाग हर साल केरन उत्सव का आयोजन कर रहे हैं और अब पिछले हफ्ते केरन आने वाले पहले पर्यटकों के साथ, स्थानीय लोगों ने अपने घरों को उनके लिए होम-स्टे में बदलना शुरू कर दिया है.
घर को बना दिया होटल
28 साल के वकार खान ने पिछले महीने अपने तीन मंजिला घर को होम-स्टे में बदल दिया और मुंबई से पर्यटकों का अपना पहला समूह उनके यहां रुका. किशनगंगा नदी के दृश्य के साथ-साथ ज़ीरो लाइन पर उनका होटल पर्यकों को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के नजारे दिखाता है. वकार कहते हैं कि यह एक अनूठा अनुभव है जिसका पूरे देश के लोग आनंद ले सकते हैं. यह पहला बॉर्डर होटल है जिसे कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में सफलतापूर्वक शुरू किया गया है जहां पर्यटकों को सीमा की बाढ़ से परे क्षेत्रों में प्रवेश की अनुमति है.
केरन गांव, पाकिस्तान से घुसपैठ को रोकने के लिए बनाई गई सीमा-बाढ़ के बाहर स्थित है और यहां आने वाले लोग पाकिस्तान के नीलम गाओं को देख सकते हैं, जो किशन गंगा नदी के दूसरे किनारे पर है. यहाँ आने वाले पर्यटक न सिर्फ देश के आखिरी छोर को देख सकेंगे बल्कि सेना के जवानों का भी हौसला बड़ा सकते हैं. पर्यटयक यहां एडवेंचर टूरिज्म के साथ ट्राउट मछली पकड़ने, राफ्टिंग, ट्रेकिंग आदि जैसे एडवेंचर का लुत्फ उठा सकते हैं.
दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशक द्वारा पिछले साल द्विपक्षीय युद्धविराम समझौते का सम्मान करने के निर्णय ने एलओसी के दोनों किनारों और जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले लोगों के जीवन में सामान्य स्थिति ला दी है.
पर्यटक फिर उठा सकेंगे बॉर्डर टूरिज्म का लुत्फ
सरहदी इलाकों को पर्यटकों के लिए खोलने का काम उत्तरी कश्मीर के गुरेज़ से शुरू की गयी थी. साल 2007 में पहली बार गुरेज़ घाटी पर्यटकों के लिए खोली गई तो करीब 5,000 पर्यटक आए थे. लेकिन इसके बाद सरहदों पर गोलाबारी फिर से शरू हो गई. इसके बाद बॉर्डर के इलाके को एक बार फिर रोक दिया गया. भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम के स्थिर रहने के चलते एक बार फिर से बॉर्डर टूरिज्म शरू कर दी गई.
केरन के रहने वाले आकम खान का कहना है कि पाकिस्तान के कब्ज़े वाले इलाके के नीलम गाओं को पर्यटक सीथल के तोर पर विकसित किया है. वहां होटल हैं, लॉज हैं और बड़ी संख्या में पर्यटक आते है. अभ हमको भी उम्मीद है कि सेना की मदद से हमारे यहां भी ऐसा ही विकास हो सकेगा.
प्रशासन बॉर्डर टूरिज्म खोलने की बना रहा है योजना
सेना के अधिकारी ने कहा कि केरन में पर्यटन को बढ़ावा देने से न केवल शांति और समृद्धि आएगी बल्कि यह गुरेज के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए उत्प्रेरक का काम करेगा. जमीनी स्थिति में सुधार के साथ, प्रशासन सीमा पर्यटन को खोलने की योजना बना रहा है. अगर सब कुछ ठीक रहा तो यात्री जल्द ही कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर बड़ी संख्या में जा सकेंगे.
सीमा पर पर्यटन की हैं अपार संभावनाएं
पिछले साल से बड़ी संख्या में कश्मीर आने वाले पर्यटक ऐसे अनछुए स्थानों की यात्रा करने में रुचि दिखा रहे हैं. अधिकारियों का मानना है कि एलओसी से लगे सीमावर्ती जिलों बांदीपोरा, कुपवाड़ा और बारामूला में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. बांदीपोरा, कुपवाड़ा और बारामूला में सीमा पर्यटन की प्रक्रिया शुरू करने की शुरुआत के लिए, पर्यटन विभाग ने पहले चरण में करनाह, गुरेज, उरी, बांगस घाटी जैसे स्थानों में सीमा पर्यटन शुरू करने फैसला लिया है.
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