SiG Sauer Assault Rifles: भारत ने अमेरिका के साथ 73,00 SiG सॉर असॉल्ट राइफलों के लिए सौदा किया है. भारतीय सेना के जवानों के लिए पहले भी अमेरिका से यही 72,400 असॉल्ट राइफल मंगवाई गई थी. चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में और पाकिस्तान के साथ एलओसी पर चल रहे संघर्ष के बीच हथियारों की डिलीवरी की जाएगी. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 73,00 SiG सॉर असॉल्ट राइफलों के लिए अमेरिका के साथ 837 करोड़ रुपये का सौदा हुआ है. 


दरअसल, रूसी AK-203 कलाश्निकोव राइफलों के निर्माण में देरी होने की वजह से अमेरिका के साथ फरवरी 2019 में 647 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट किया गया. ये कॉन्ट्रैक्ट अमेरिकी हथियार कंपनी SiG Sauer के साथ फास्ट ट्रैक हथियार खरीददारी के लिए हुआ था. इसके जरिए 647 करोड़ रुपये में 72,400 SiG-716 राइफलों को खरीदा गया. इसमें से सेना के लिए 66,400, वायुसेना के लिए 4,000 और नौसेना के लिए 2,000 राइफल्स अमेरिका से मंगाए गए थे. 


पिछले साल मिली थी राइफलों को खरीदने की मंजूरी


राजनाथ सिंह की अगुवाई वाली 'डिफेंस एक्यूजिशन काउंसिल' (डीएसी) ने पिछले साल दिसंबर में 73,000 SiG-716 राइफलों को खरीदने की मंजूरी दी थी. इसी तरह से सेना 40,949 हल्की मशीन गन भी खरीद रही है, जिसके लिए 2165 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं. डीएसी की तरफ से अगस्त 2023 में सेना के लिए मशीन गन खरीदने की मंजूरी दी गई थी. AK-203 प्रोजेक्ट की घोषणा 2018 में की गई थी, लेकिन देरी की वजह से इसकी लागत आदि बढ़ते जा रहे हैं. 


क्या है SiG-716 राइफलों की खासियत? 


SiG-716 राइफलों को पेट्रोलिंग वाली राइफल्स के तौर पर देखा जाता है. इनके जरिए आधा किलोमीटर दूर बैठे दुश्मन को भी ढेर किया जा सकता है. इस हथियार को आमतौर पर पैदल चलने वाली बटालियन के जवानों को दिया जाता है, जिनका मुख्य काम चीन-पाकिस्तान सीमा की रक्षा करना है. इस असॉल्ट राइफल की बैरल 16 इंच की है. सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि इसमें छह तरह की टेलीस्कोपिक पोजीशनिंग भी ली जा सकती है. इसमें 7.62x51mm की गोलियां लगती हैं. 


SiG-716 के जरिए स्नाइपर हमले को भी अंजाम दिया जा सकता है. 34.39 इंच की लंबाई वाली ये राइफल 3.58 किलोग्राम की है. इस राइफल की एक मैगजीन में 20 गोलियां आती हैं, जबकि एक मिनट में 685 गोलियां दागी जा सकती हैं. 


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