LAC: लद्दाख में चीन से जारी गतिरोध के बीच भारतीय जवानों को सेना का तोहफा, जल्द मिलेंगे अपडेटेड ड्रोन
LAC: सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने बताया था, वर्षों में पूर्वी लद्दाख की सीमा क्षेत्र में बुनियादी ढांचे का एक महत्वपूर्ण स्तर विकसित किया गया है, जिसमें 35,000 सैनिकों के आवास की व्यवस्था की गई है.
LAC: पूर्वी लद्दाख (East Ladakh) में चीन (China) के साथ जारी सैन्य टकराव के दौरान सीमा (Border) पर तैनात भारतीय सेना (Indian Army) को लगभग 350 आर्टिलरी सिस्टम (artillery systems) और 'विंटराइज्ड' हॉवित्जर तैनात करने के बाद एक और तोहफा मिला. सेना के जवानों को अब लंबी दूरी की और ज्यादा ऊंचाई से ज्यादा सटीक रूप से निर्देशित करने के लिए विभिन्न प्रकार के ड्रोन (variety of drones) और निगरानी उपकरणों (surveillance devices) से लैस किया गया है. इन उपकरणों के हाथ में आने के बाद दुश्मनों के ठिकानों पर पहले से ज्यादा सटीक मारक क्षमता बढ़ेगी.
80 मिनी रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम (RPAS), 10 रनवे-इंडिपेंडेंट RPAS, 44 अपग्रेडेड लॉन्ग-रेंज सर्विलांस सिस्टम और 106 इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम की स्वदेशी खरीद के प्रस्ताव के लिए अगले कुछ दिनों के भीतर अनुरोध जारी किए जाएंगे. मौजूदा समय में बहुत बड़े मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी), जैसे कि इजरायली सेना के विमानन विंग द्वारा रणनीतिक निगरानी के लिए उपयोग किए जा रहे हैं.
पूर्वी लद्दाख में सेना की सुविधाएं विकसित की गईं
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, "नए छोटे RPAS, जिनकी परिचालन सीमा 15-20-किमी से 60-90-किमी तक है, के बदले उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सामरिक ओवर-द-हिल निगरानी के लिए तोपखाने इकाइयों की आवश्यकता होती है. यदि वे अच्छा प्रदर्शन करते हैं, सेना उनकी संख्या बढ़ाएगी.”
सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने अभी हाल ही में कहा था कि पिछले दो वर्षों में पूर्वी लद्दाख के अग्रिम क्षेत्रों में सीमा के बुनियादी ढांचे का एक महत्वपूर्ण स्तर विकसित किया गया है, जिसमें 35,000 सैनिकों के आवास के साथ-साथ 450 टैंक और अन्य बख्तरबंद वाहनों के लिए गैराज और 350 आर्टिलरी सिस्टम और हॉवित्जर शामिल हैं.
30 महीनों से जारी है सीमा रेखा पर गतिरोध
पूर्वी लद्दाख में पिछले 30 महीने से चीन के साथ गतिरोध जारी है जिसमें तैनात तोपखाने, पुरानी 105 मिमी फील्ड गन और बोफोर्स हॉवित्जर और 'अपगन' धनुष और सारंग तोपों से लेकर नए M-777 अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर और K-9 सेल्फ-प्रोपेल्ड ट्रैक्ड गन के अलावा स्वदेशी पिनाका मल्टी-लॉन्च रॉकेट सिस्टम के साथ-साथ रूसी मूल की Smerch और Grad इकाइयां भी तैनात हैं. जहां आर्टिलरी गन की स्ट्राइक रेंज 30 से 40 किमी तक होती है, वहीं रॉकेट 90 किमी तक जा सकते हैं.
सेना ने बताया कैसे उपकरणों की जरूरत
सेना (Army) ने कहा कि "दिन और रात की क्षमता वाले नए RPAS को आगे की चेक पोस्टों (Check Post) द्वारा गहराई से देखने और प्रत्यक्ष रूप से तोपखाने की मारक क्षमता का विश्लेषण करने की आवश्यकता होती है. एक स्वदेशी LORROS (लंबी दूरी की टोही और अवलोकन प्रणाली) भी परीक्षण शुरू होने वाला है. मौजूदा इजरायली लोरोस (Israeli Lorros) को दो दशक पहले शामिल किया गया था."
सेना ने आगे बताया कि नए मैन-पोर्टेबल मिनी-आरपीएएस जिसका कुल वजन 15 किलोग्राम है, की मिशन रेंज 15 किमी से कम नहीं होनी चाहिए और कम से कम 90 मिनट की ऑपरेशनल सहनशक्ति होनी चाहिए. रनवे-स्वतंत्र आरपीएएस, कम से कम चार घंटे के धैर्य के साथ 13,000 फीट की ऊंचाई पर लंबवत टेक-ऑफ और लैंडिंग में सक्षम होनी चाहिए.
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