नई दिल्ली: भारतीय सेना को जल्द ही करीब 73 हजार अमेरिकी एसॉल्ट राइफल्स मिलने जा रही हैं. रक्षा मंत्रालय ने इस बाबत अमेरिका की 'सिग-सौर' कंपनी से करार किया है. भारत ने ये एसआईजी-716 ब्रांड की एसॉल्ट राइफल्स फास्ट-ट्रैक मोड से खरीदी हैं. माना जा रहा है कि ये राइफल्स अगले एक साल में भारतीय सेना को मुहैया करा दी जायेंगी.
जानकारी के मुताबिक, इन 72,400 एसआईजी-716 राइफल्स से मुख्यत सीमा पर तैनात सैनिकों को लैस किया जायेगा. माना जा रहा है कि सबसे पहले इन राइफल्सको चीन सीमा पर तैनात किया जायेगा. पिछले 20 सालों में सेना के इंफेंट्री सैनिकों के लिए एसॉल्ट राइफल्स की ये सबसे बड़ी डील है. इससे पहले 90 के दशक के आखिर में सेना को स्वदेशी इनसास राइफल्स दी गईं थीं. लेकिन इंसास राइफल्स में लगातार आ रही खराबी के चलते इनकी जगह नई एसॉल्ट राइफल्स की तलाश सेना कर रही है. उसी कड़ी में 7.62 एमएम की इन सिग-सौर राइफल्स को चुना गया है.
आपको बता दें कि हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने इंफेंट्री मॉर्डनाइजेशन के तहत सेना की इंफेंट्री बटालियन मे् पूरी तरह से इंसास राइफल्स की जगह सात लाख चालीस हजार (7.40 लाख) एसॉल्ट राइफल्स को खरीदने की मंजूरी दे दी है.
इन राइफल्स की कुल कीमत करीब 12,280 करोड़ रूपये है. इन राइफल्स को ‘बाय एंड मेक इंडियन’ (BUY AND MAKE INDIAN) कैटेगरी के तहत सेनाओं के लिए मुहैया कराई जायेंगी. इसके लिए स्वदेशी सरकारी और निजी क्षेत्र की कंपनियां इस खरीद प्रक्रिया में हिस्सा ले सकती हैं. यानि कोई भी भारतीय कंपनी कुछ गन्स को किसी विदेशी कंपनी से सीधे खरीदकर बाकी भारत में ही तैयार करेगी. माना जा रहा है कि ये राइफल्स 7.62 एमएम की होंगी. लेकिन क्योंकि इस प्रक्रिया में काफी लंबा वक्त लगता है, इसलिए फॉस्ट-ट्रैक तरीके से 72400 एसॉल्ट राइफल्स को सीधे अमेरिकी कंपनी से खरीदने का फैसला लिया गया है.
हालांकि, बाकी की एसॉल्ट राइफल्स की खरीदने के प्रक्रिया के लिए एक ब्रिगेडयर रैंक के अधिकारी की अध्यक्षता में एक खास कमेटी का गठन किया गया है जो अमेरिका, आस्ट्रेलिया, इजरायल, साउथ कोरिया और यूएई सहित कुल पांच देशों की यात्रा कर रही है.
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