Indian Soldiers: चीन (China) से सटी एलएसी (LAC) पर तैनात भारतीय सैनिकों (Indian Soldiers) को तिब्बत (Tibet) की संस्कृति से लेकर तिब्बत के चीनीकरण तक के बारे में पूरी तरह जानकारी हो इसको लेकर पहली बार भारतीय सेना (Indian Army) ने तिब्बत-कैडर (Tibet Cadre) तैयार किया है. इस कैडर के पहले बैच की 42 दिनों की खास ट्रेनिंग (Special Training) पूरी हो चुकी है. रविवार को अरूणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालय एंड कल्चरल स्टडीज में सेना के इस कैडर के अधिकारियों को सर्टिफिकेट दिए गए.


भारतीय सेना की कोलकता स्थित पूर्वी कमान ने सैन्य-अधिकारियों के लिए खास तिब्बतलॉजी कैडर तैयार करने का बीड़ा उठाया है. इस कोर्स में अरूणाचल प्रदेश और असम में तैनात सैनिकों को अरूणाचल प्रदेश के डूहांग स्थित सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालय एंड कल्चरल स्टडीज में 42 दिनों का खास कोर्स कराया गया है. इस कोर्स में सैन्य-अफसरों को तिब्बती भाषा, तिब्बत के बौद्ध-धर्म और साहित्य के साथ-साथ तिब्बत के लोगों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई.




सैनिकों को चीनीकरण पर रिसर्च करने का मिला मौका


खास बात ये है कि कोर्स के दौरान 1950 से पहले तिब्बत के राजनैतिक-तंत्र और उसके बाद के पॉलिटिकल-सिस्टम के बारे में भारतीय अफसरों का ज्ञानवर्धन किया गया. क्योंकि 1950 में चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया था और तब से चीन का ही हिस्सा है. सैन्य अफसरों को तिब्बत के सिनीजाईजेश यानि चीनीकरण पर भी खास रिसर्च करने का मौका दिया गया. इस कोर्स के दौरान अरूणाचल प्रदेश के बोमडीला बौद्ध-विहार के गुरू पदम-श्री तुलकु रिनपोचे और दुनियाभर में तिब्बत मामलों के विशेषज्ञ माने जाने वाले क्लोडे अर्पी ने भी खास लेक्चर दिए.




कोर्स पूरा होने पर दिए गए सर्टिफिकेट


रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) के तेजपुर (असम) स्थित क्षेत्रीय प्रवक्ता, लेफ्टिनेंट कर्नल ए एस वालिया के मुताबिक, 42 दिन का कोर्स पूरा होने के बाद दीक्षांत समारोह के दौरान सीआईएचसीएस के डायरेक्टर ने सभी सैन्य अफसरों को सर्टिफिकेट प्रदान किए और इस दौरान अपने सबोंधन में विश्वास जताया कि इस कोर्स को करने वाले सैन्य अफसर तिब्बत (Tibet) मामलों में दक्ष हो गए होंगे. आपको बता दें कि भारत की चीन (China) से सटी 3488 किलोमीटर लंबी एलएसी (LAC) का एक बड़ा हिस्सा तिब्बत स्वायतत्त क्षेत्र से सटा है. चीन तो अरूणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) को दक्षिण तिब्बत के तौर पर देखता है. ऐसे में यहां तैनात सैनिकों को तिब्बत के लोगों और संस्कृति और भाषा के बारे में जानकारी होनी जरुरी है.


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