Indian Army Combat Exercise: गलवान घाटी की हिंसा के दो साल बाद पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) में इन दिनों भारतीय सेना (Indian Army) एक खास‌ एक्सरसाइज कर रही है. 'समघट' नाम की ये एक्सरसाइज बिना हथियारों के की जा रही है. भारत की चार मार्शल-आर्ट्स को मिलाकर इस अनआर्म्ड कॉम्बेट एक्सरसाइज (Unarmed Combat Exercise) को भारतीय सैनिक कर रहे हैं. यहां मार्शल आर्ट (Martial Arts) और बिना हथियार के लड़ने की कला सिखाई जा रही है.


बुधवार को भारतीय सेना की उधमपुर (जम्मू कश्मीर) स्थित उत्तरी कमान के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पूर्वी लद्दाख के दौरे के दौरान समघट युद्धाभ्यास में भारतीय सैनिकों की अनआर्म्ड कॉम्बेट का जायजा लिया. इस एक्सरसाइज में सैनिक बिना किसी बंदूक, बम-गोले या फिर किसी दूसरे तरह के हथियार के दुश्मन से लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. किस तरह कूंगफु कराटे से बचाव से लेकर मुकाबला करना इस युद्धाभ्यास में भारतीय सैनिक सीख रहे हैं.


सेना का 'समघट' एक्सरसाइज


उत्तरी कमान ने समघट एक्सरसाइज‌ की तस्वीरें भी जारी की है. इन तस्वीरों में सैनिक रॉयट-गियर यानी दंगा नियंत्रण करने वाली एक शील्ड और डंडा लेकर जूड़ो-कराटे का मुकाबले करते हुए दिख रहे हैं. एक तस्वीर में एक सैनिक बेंच पर लेटा है और उसके पेट पर एक बड़ा सा पत्थर रखा है. दूसरा सैनिक पास में ही खड़े होकर एक हथौड़े से इस पत्थर को तोड़ रहा है.


मार्शल आर्ट और बिना हथियारों के लड़ने की ट्रेनिंग


बता दें कि साल 2020 में गलवान घाटी की हिंसा के दौरान भारत और चीन के सैनिकों के बीच बिना हथियारों के झड़प हुई थी. झड़प के दौरान चीनी सैनिकों ने मार्शल आर्ट और मध्यकालीन नुकीले हथियारों का इस्तेमाल किया था. इससे पहले भी एक बार पैंगोंग-त्सो झील के किनारे हुई झड़प में चीनी सैनिक भारतीय‌ सैनिकों के खिलाफ मार्शल आर्ट का इस्तेमाल करते देखे गए थे. यही वजह है कि लाइन ऑफ कंट्रोल यानि एलएसी (LAC) पर तैनात भारतीय सैनिकों को अब मार्शल आर्ट और बिना हथियारों के लड़ने सिखाया जा रहा है. 


दुश्मन के खिलाफ उग्र बर्ताव की कला


यहां तक की ट्रैनिंग में उन्हें दुश्मन के खिलाफ उग्र बर्ताव अपनाने की कला सिखाई जा रही है. बुधवार को ही पूर्वी लद्दाख में तैनात भारतीय सेना की अक्साई-चिन ब्रिगेड के सैनिक ऑल-टेरेन व्हीकल यानि एटीवी में सवार होते हुए दिखाई पड़े. इस‌ दौरान हाई ऑल्टिट्यूड यानि बेहद उंचाई और उबड़ खाबड़ इलाकों में इनपर सवार होकर सैनिकों ने इन एटीवी की परफॉर्मेंस को तो परखा ही साथ ही सेना के मूवमेंट की भी समीक्षा की.


पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) के दौरे पर गए लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी ने 1962 के युद्ध में परमवीर चक्र विजेता लेफ्टिनेंट कर्नल थनसिंह थापा की पोर्टर का काम करने वाली 82 वर्षीय एक स्थानीय महिला, तेस्तेन नमग्याल को सम्मानित किया. धनसिंह थापा के नाम से ही पैंगोंग-त्सो झील (Pangong Tso Lake) के उत्तर में स्थित फिंगर एरिया में भारतीय सेना की आखिरी फॉरवर्ड पोस्ट है. इसी फिंगर एरिया में भी वर्ष 2020 में भारतीय‌ सेना की चीनी सैनिकों से झड़प हुई थी.


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